वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

भारत: जी20 बैठकों में हरित विकास, आपदा प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण पर चर्चा

हरित विकास पर भारत में जी20 देशों का कार्यक्रम.
G20 India
हरित विकास पर भारत में जी20 देशों का कार्यक्रम.

भारत: जी20 बैठकों में हरित विकास, आपदा प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण पर चर्चा

जलवायु और पर्यावरण

भारत की अध्यक्षता में इस सप्ताह जी20 समूह के दो कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. भारत में संयुक्त राष्ट्र और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से गुरूवार को केरल राज्य में, हरित विकास पर एक आधिकारिक जी20 शेरपा बैठक हुई. वहीं गुजरात राज्य के गांधीनगर में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) के लिए आरम्भिक चेतावनी की दिशा में सहयोग बढ़ाने पर जी20 देशों के बीच वार्ता आयोजित की गई.

जलवायु परिवर्तन मामलों के लिए यूएन संस्था (UNFCCC) के कार्यकारी उपसचिव, ओवैस सरमद ने अवसर पर कहा, "दुनिया पहले ही 1.1 डिग्री तापमान वृद्धि पर पहुँच चुकी है, जिससे बहुत से जीवन और आजीविकाएँ नष्ट हो रहे हैं. कॉप28 पर एक जन-केन्द्रित दृष्टिकोण और इसके भीतर निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जी20 से स्पष्ट प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण होगी.”

Tweet URL

अफ़्रीका के लिए यूएन निदेशक व जलवायु चैम्पियंस के लिए विशेष सलाहकार, बोगोलो केनेवेंडो ने जी20 की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "प्रकृति के वाणिज्यिक मूल्य के आसपास दोबारा सोचने और सामंजस्य बनाने से, दुनिया भर के देशों को अधिक जवाबदेही के लिए तैयार किया जा सकता है."

वहीं, बारबेडॉस की प्रधानमंत्री के विशेष दूत व जलवायु वित्त समिति पर स्वतंत्र विशेषज्ञ, अविनाश परसौद ने कहा कि, "विकास और जलवायु लक्ष्यों के बीच विरोधाभास ग़लत है. असल में वैश्विक स्तर पर निर्धनता व असमानता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए यह एकमात्र रास्ता हैं.”

कई वक्ताओं ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि पिछले दशक में भारत ने किस तरह एसडीजी की प्रगति और त्वरित जलवायु कार्रवाई के लिए कुछ सबसे महत्वाकांक्षी नीतियों के कार्यान्वयन के साथ, आर्थिक विकास सन्तुलित करने में कामयाबी हासिल की है. यह विशेष रूप से प्रासंगिक है.

हरित विकास

हरित विकास पर आयोजित बैठक में जी20 शेरपा अमिताभ कान्त ने अपने स्वागत भाषण में, हरित विकास के लिए एक नई दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हरित विकास और एसडीजी एजेंडा को आगे ले जाने के लिए “भारत, महत्वाकांक्षी, समावेशी, निर्णायक और कार्रवाई उन्मुख है.”

भारत सरकार में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य,शमिका रवि ने, सतत और हरित विकास के लिए एक नए प्रतिमान पर पैनल चर्चा का संचालन करते हुए सवाल उठाया, "जी20 के हरित विकास एजेंडे की व्यापक प्रकृति क्या होनी चाहिए, विशेष रूप से महत्वपूर्ण और लगातार वित्तपोषण में कमी के सन्दर्भ में?"

इस बिन्दु पर कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के सतत विकास केन्द्र के निदेशक, जैफ़री सैक्स ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "दुनिया के सबसे निर्धन व कमज़ोर देशों में टिकाऊ विकास के वित्तपोषण के लिए दुनिया को हर साल कम से कम एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए."

योरोपीय संघ की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए योरोपीय निवेश बैंक में दक्षिण एशिया क्षेत्र की प्रमुख, नीना फेंटन ने कहा, "अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है. कोविड-19 महामारी, विकास के मोर्चे पर निवेश में बड़ी गिरावट का कारण बनी है और दुनिया को अब अधिक से अधिक तत्परता से जवाबी कार्रवाई करनी होगी.”

आपदा प्रबन्धन व न्यूनीकरण 

भारत में गुजरात राज्य के गांधीनगर में जी20 समूह की शेरपा बैठक में गुरूवार को, आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) पर ‘प्रारम्भिक चेतावनी, प्रारम्भिक कार्रवाई’ के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हुई.

इस आयोजन में, प्रभावित समुदायों और हितधारकों को प्रारम्भिक चेतावनी के अपने अनुभव को साझा करने और उनकी आवश्यकताओं को उजागर करने का मंच प्रदान किया गया.

इसके बाद, पूर्व चेतावनी सूचना प्रसार, लक्षित प्रारम्भिक चेतावनी और प्रारम्भिक कार्रवाई निर्णयों, क्षमता निर्माण एवं स्थानीय स्तर पर प्रभावी संस्थागत तंत्र को सूचित करने के लिए जोखिम सूचना के महत्व पर ध्यान केन्द्रित किया गया.

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए महासचिव के विशेष प्रतिनिधि, मामी मिज़ुतोरी ने कहा, "प्रत्याशित कार्रवाई बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण सम्बन्धी प्रबन्धन प्रणालियों में निवेश की आवश्यकता होती है, जिसमें राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम में कमी की रणनीति, जोखिम डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करना व सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को मज़बूत करना शामिल है."

यह जी20 सदस्यों को प्रभावी और सामयिक, बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थिति, उनमें मौजूद अन्तराल, चुनौतियों और ज़रूरतों के बारे में समझ हासिल करने का अवसर देगा.

कार्यक्रम के अन्तिम भाग में प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली के लिए वित्तपोषण पर चर्चा हुई, प्रारम्भिक कार्रवाई के लिए समर्थन सुनिश्चित करने व बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली की उपलब्धता एवं पहुँच बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर विचार-विमर्श हुआ.

इसके ज़रिए, जी20 देशों के बीच आपदाओं की पूर्व चेतावनी और बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए साझेदरी विकसित होने की उम्मीद है. वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय पहलों पर केन्द्रित इन सत्रों में, प्रमाणित प्रगति, सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों का विस्तार व चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया.

इन विमर्श सत्रों से क्षेत्र में, सेंडाई फ़्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिए हितधारकों और सरकारों व निजी क्षेत्र के के बीच रचनात्मक सहयोग बढ़ने की सम्भावना व्यक्त की गई है.