कैंसर से संघर्षरत एक किशोर का, यूएन दौरे का सपना पूरा
न्यूयॉर्क की यात्रा करना और यूएन मुख्यालय देखना, सोलह वर्षीय किशोर कैलोनिक इलैक उर्फ़ केल (Kale) की जीवनपर्यन्त इच्छा रही है. जनवरी में Make-a-Wish संस्थान ने केल के सपने को वास्तविकता में बदल दिया, जब उन्हें एक राजदूत और एक यूएन अधिकारी की मदद से, अपने परिवार के साथ, यूएन मुख्यालय का सैर-सपाटा करने का अदभुत मौक़ा मिला.
केल कैलीफ़ोर्निया में रहते हैं. एक वर्ष पहले उनकी दाहिनी आँख से कुछ धुंधला नज़र आने लगा. चिकित्सा परीक्षणों के बाद, उनके परिवार को ये दहला देने वाला समाचार मिला कि केल की दाईं आँख के निकट की नस में, एक फोड़ा या रसौली है.
केल के पिता विलियम कहते हैं कि केल के लिए ये बहुत कठिन रहा है. उन्होंने बताया कि उनके बेटे को कैंसर से युद्ध लड़ने के साथ-साथ, हाई स्कूल के छात्रों से, किशोर आयु का बहुत मुश्किल बर्ताव भी झेलना पड़ रहा है.
केल दो भाइयों में बड़े हैं और उनके माता-पिता दोनों ही इतिहास के शिक्षक हैं. केल को विदेश और अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों व मामलों में रुचि है और उसका सपना एक राजनयिक बनने का है.
केल ने यूएन न्यूज़ से बातचीत में कहा, “संयुक्त राष्ट्र, पृथ्वी पर अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के लिए सबसे बड़ी शक्तियों में से एक है. इसमें मुझे बहुत गहरी दिलचस्पी है. और चूँकि इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है, और मैं इस शहर को भी देखना चाहता था, इसलिए मुझे लगा कि ये पूरी यात्रा बहुत दिलचस्प अनुभव वाली होगी.”
ठीक हो जाने की सम्भावनाओं को बेहतर बनाना
Make-a-Wish संस्थान का मानना है कि बीमारियों से जूझ रहे बच्चों की इच्छाएँ पूरी करने से, उनके लिए मुश्किलों का पटल कुछ तब्दील किया जा सकता है, उन्हें उनकी सीमितताओं से नज़र हटाने में मदद की जाए, चिन्ता का सामना कर रहे परिवारों को समर्थन दिया जाए; और पूरे समुदायों में प्रसन्नता का माहौल भरा जाए.
ये संस्थान, संयुक्त राज्य अमेरिका में, हर साल लगभग 15 हज़ार इच्छाएँ पूरी करता है, जो चिकित्सा दलों की सिफ़ारिशों पर आधारित होती हैं.
संस्थान की एक पदाधिकारी कोलीन ली कहती हैं, “औसतन एक इच्छा को पूरी करने के लिए, छह से 18 महीने का समय लगता है. ये पहला मौक़ा है जब किसी बच्चे ने, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की.”
केल ने संस्थान को अपनी इच्छा भेजते समय लिखा था, “संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की यात्रा करना, वहाँ किए जाने वाले ख़ास कामकाज की नज़र से, मेरे लिए महत्वपूर्ण है, मानवीय मिशनों से लेकर शान्तिरक्षा प्रयासों तक, सभी काम, इस विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने की उम्मीद में किए जाते हैं.”
“इसलिए मेरा ख़याल है कि इस स्थान को देखना मेरे लिए अहम है, ताकि मैं मुख्यालय में होने वाले कामकाज, और वहाँ किस तरह निर्णय लिए जाते हैं, उस सबको बेहतर तरीक़े से समझ सकूँ.”
एक यादगार दिवस बनाना
जब इस संस्थान से ये अनुरोध, संयुक्त राष्ट्र को मिला तो एक ऐसा वृहद कार्यक्रम तैयार करने की कोशिश की गई, जिससे केल का दिन यादगार बन सके.
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का दौरा कराने वाली इकाई की मुखिया रौला हिनेदी बताती हैं, “हमने इस यात्रा को यादगार बनाने के मक़सद से, ना केवल गाइडेड टूर कराया, बल्कि केल की मुलाक़ात उच्च स्तर के कुछ कर्मचारियों और राजदूतों से भी कराने का फ़ैसला किया.”
दिन की शुरुआत गाइडेड टूर के साथ, कुछ सुबह-सुबह हुई. केल मुस्कुराते हुए कहते हैं, “वो बहुत अदभुत अनुभव था, मैं आश्चर्यचकित था. मुझे जनरल ऐसेम्बली बहुत अच्छी लगी. मैं पोडियम पर खड़ा हो सका और उस स्थान पर मौजूद होना बहुत अनोखा अनुभव था, जहाँ बहुत महान लोग खड़े होकर भाषण देते हैं. ये बहुत प्रभावशाली अनुभव था.”
सुरक्षा विभाग के सदस्यों ने केल का स्वागत किया जिनमें उच्चतम रैंक वाली महिला अधिकारी पॉवला गोन्साल्वेज़ भी शामिल थीं, जिन्हें 25 वर्ष का अनुभव है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि आप यहाँ के अनुभव का भरपूर आनन्द लें. ये बहुत ही अदभुत संगठन है, और हमें आपको यहाँ देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है.”
सुरक्षा परिषद के परामर्श कक्ष में, केल की मुलाक़ात अधिकारी रिचर्ड नोरोव्सकी से हुई. केल की ये यात्रा और उनके Make-a-Wish बैज ने ऑफ़िसर रिचर्ड की भावनात्मक स्मृतियाँ ताज़ा कर दीं, जिन्हें अपनी बहन को, इसी तरह की यात्रा पर डिज़नीलैंड ले जाना पड़ा था. तब उनकी बहन की उम्र केवल सात वर्ष थी, और वो ल्यूकीमिया नामक कैंसर से पीड़ित थीं. ऑफ़िसर रिचर्ड ने कहा कि वो उन लम्हों को कभी नहीं भूलेंगे और इस बैज की उनकी नज़र में बहुत अहमियत है.
उच्चस्तरीय करियर सलाह
केल के इस दौरे के अगले हिस्से में, कुछ ऐसी बैठकें और मुलाक़ातें हुईं जो उन्हें भविष्य में अपना लक्ष्य निर्धारित करने और हासिल करने में मददगार साबित हो सकती हैं.
वैश्विक संचार विभाग (DGC) में बाहरी सम्बन्धों के निदेशक माहेर नासिर ने, संयुक्त राष्ट्र में अपने कार्यकाल में मिली प्रगति के अनुभव साझा किए. उन्होंने केल को ये भी बताया कि उन्हें किस तरह की शिक्षा व प्रशिक्षण, एक राजनयिक या संयुक्त राष्ट्र में एक अन्तरराष्ट्रीय सिविल सेवक के रूप में करियर बनाने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
माहेर नासिर ने कहा, “चाहे कुछ भी हो जाए, अपने सपने मत छोड़ना, आपके सपनों को पूरा करने के लिए, सितारे भी आपका साथ देंगे.”
माहेर नासिर ने साथ ही ये उम्मीद भी ज़ाहिर की कि वो केल को कुछ वर्षों के बाद, संयुक्त राष्ट्र के गलियारों में देख सकेंगे.
कुछ देशों के राजदूतों और यूएन पदाधिकारियों ने भी केल के साथ अपने अनुभव साझा किए, और कुछ सलाहें भी दीं.
बेहतर बनने के लिए सर्वश्रेष्ठ करें
केल और उनके परिवार, भविष्य के लिए आशाओं से भरे हुए हैं. केल की माँ रॉबिन कहती हैं, “हमारे पास छह से 12 महीनों का समय है, उसके बाद, उनके अनुसार, मरम्मत कार्यक्रम शुरू होगा.”
केल के पिता कहते हैं, “पिछली दो रिपोर्टों में फोड़ा छोटा होता बताया गया है, और केल की दाईं आँख की नज़र भी कुछ बेहतर हुई है. हमें अगले महीने कुछ और ज़्यादा अच्छी ख़बर मिलने की उम्मीद है.”
केल अपनी इस यात्रा के बारे में कहते हैं कि इस दौरे से उन्हें, विश्व भर में संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के बारे में काफ़ी-कुछ जानने का मौक़ा मिला है, इससे उन्हें भी अन्य लोगों की सेवा में काम करने के लिए प्रेरणा मिली है.
केल कहते हैं, “बेहतर बनने के लिए, अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें, क्योंकि जब हम बेहतर होते हैं, तो हम अन्य लोगों की भी बेहतर मदद कर सकते हैं, और उसकी प्रतिक्रिया भी सकारात्मक ही होती है. मददगार बनें और दयालु रहें. यही मेरा सन्देश है.”