सूडान: लोकतांत्रिक परिवर्तन का 'आधार' मानवाधिकार हों
संयुक्त राष्ट्र के नए मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने सूडान की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा ख़त्म करते हुए कहा है कि उन्होंने अपनी इस यात्रा के लिये सूडान को यह सन्देश देने के लिये चुना कि देश में सैन्य शासन से लोकतंत्र की तरफ़ बदलाव के लिये, मानवाधिकार ही प्रमुख आधार हों.
मानवाधिकारों के लिये संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बुधवार को ख़ार्तूम में एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि पूर्व तानाशाह उमर अल-बशीर के निष्कासन के बाद, अक्टूबर 2021 के सैन्य अधिग्रहण से नागरिक सत्ता साझेदारी ख़त्म होने के कारण, सूडान "एक निर्णायक दोराहे” पर खड़ा रह गया है.
UN Human Rights Chief @volker_turk travelled to El Fasher, northern Darfur, where he met representatives of internally displaced people and other civil society organisations. https://t.co/PUnI9TO0TY
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उन्होंने कहा, "चूँकि परिवर्तन हेतु एक नए ढाँचे के निर्माण के लिये राजनैतिक वार्ता जारी है, मैं इसमें शामिल सभी लोगों से आग्रह करता हूँ कि वे अपने प्रभाव, सत्ता के दाँव-पेचों व व्यक्तिगत हितों को अलग रखते हुए, सूडान के लोगों के आम हितों पर ध्यान केन्द्रित करें."
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ मानवाधिकार अधिकारी ने "आम सहमति की दिशा में साहसिक क़दम" उठाने और मानवाधिकारों के संरक्षण को "प्रेरक शक्ति" के रूप में इस्तेमाल करने की हिमायत करते हुए कहा: "देश का भविष्य इसी पर निर्भर करता है."
बहुत कुछ दाँव पर
उन्होंने रेखांकित किया कि इसमें क्या-कुछ दाँव पर लगा है. उन्होंने कहा कि आधी आबादी प्रतिदिन केवल 2 डॉलर की आय अर्जित करती है; बिजली के मूल्य पिछले एक साल में 25 गुना बढ़ गए हैं; रोटी और ईंधन की क़ीमतें दोगुनी हो गई हैं; और अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी है जिसके परिणाम, "सबसे कमज़ोर वर्ग के लिये गम्भीर” हो रहे हैं.
इसके अलावा, दारफ़ुर, ब्लू नाइल, कोर्डोफन और देश के अन्य हिस्सों में सशस्त्र हमलों में वृद्धि हुई है, और ज़मीन, पानी व अन्य संसाधनों की ऐतिहासिक समस्याएँ आज भी अन्तर-जातीय संघर्षों का कारण बनी हुई हैं.
साथ ही, सूडान पर जलवायु परिवर्तन का गहरा असर पड़ने की सम्भावना है, जिससे भूमि और संसाधनों को लेकर तनाव बढ़ने का ख़तरा रहेगा.
वोल्कर टर्क ने इस "हताश मानवीय स्थिति" की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक तिहाई आबादी को सहायता की आवश्यकता है; 37 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, यानि इस वर्ष की शुरुआत में ही 211,000 से अधिक; और सात लाख बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि इस बीच, युवजन विरोध कर रहे हैं. उनकी मांग है कि सत्ता नागरिकों को सौंप दी जाए.
मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, "भुखमरी व्याप्त है... सुशासन की ज़रूरत है एवं देश के संस्थानों व आबादी के बीच एक ऐसे नए सामाजिक अनुबन्ध की आवश्यकता है, जो मानवाधिकारों पर आधारित हो."
समाधानों तक पहुँच
उन्होंने रेखांकित किया कि "स्थिति गम्भीर है" और कहा कि "समस्याओं से बचने" और कुछ चुनौतियों पर क़ाबू पाने के तरीक़े पहुँच के भीतर हैं.
उच्चायुक्त ने शान्ति की दिशा में "क़दम" बढ़ाने के लिये नागरिक प्राधिकरण बहाल करने हेतु जुबा शान्ति समझौते को तत्काल लागू करने और देश के सबसे अस्थिर हिस्सों में सुरक्षा प्रदान करने के लिये, राष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा योजना के कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया.
उन्होंने पारम्परिक प्रथाओं, स्थानीय विवाद-समाधान तंत्र और शान्ति पहलों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सूडान के "ऊर्जावान, जीवन्त" लोगों के पास पूरे देश के लाभ के लिये निर्माण करने की दूरदृष्टि मौजूद है.
यह देखते हुए कि जनसंख्या का औसत आयुवर्ग - 18.9 वर्ष है, वोल्कर टुर्क ने उनकी क्षमता का हवाला देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी "मानव अधिकारों को साकार और आत्मसात” करती है.

भरोसा घटा
देश में दशकों के दमन और कुछ उथल-पुथल भरे वर्षों के बाद, अधिकारियों और लोगों के बीच विश्वास क़ायम करना एक बड़ी चुनौती है.
देश के संस्थानों को, महिलाओं सहित सबसे कमज़ोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने, उनकी पहुँच में होने और उनके लिये काम करने की आवश्यकता है.
मानवाधिकार प्रमुख ने अपनी यात्रा के दौरान, उच्च-स्तरीय अधिकारियों, विदेश मामलों, न्याय और आन्तरिक मामलों के कार्यवाहक मंत्रियों से मुलाक़ात की.
साथ ही वे, "विभिन्न प्रकार के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के मुद्दों पर काम कर रहे” नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और मानवाधिकार पीड़ितों से भी मिले.
एकत्र होने का अधिकार
उन्होंने उल्लेख किया कि ओएचसीएचआर ने ख़ार्तूम में प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ अत्यधिक बल-प्रयोग का आलेखन किया है, जिसमें गोला-बारूद का प्रयोग किये जाने के मामले भी शामिल हैं.
उन्होंने संकेत दिए कि सैन्य अधिग्रहण के बाद से "कम से कम 119 लोग मारे गए हैं और 8,050 से अधिक घायल हुए हैं.”
उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों से सुरक्षा बलों को निर्देश देने का आहवान किया कि वो विरोध-प्रदर्शनों से निपटते समय, मानवाधिकार क़ानूनों और मानकों के तहत ही कार्रवाई करें.
उन्होंने कहा, "लोगों को शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार है, और यह सुनिश्चित करने का दायित्व देश का लोग गोली मारे जाने के डर के बिना, इस अधिकार का प्रयोग किया जा सके."
महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों के ख़िलाफ़ यौन और लिंग आधारित हिंसा की ख़बरें भी बेहद चिन्ताजनक हैं. साथ ही, दारफ़ूर क्षेत्र में नागरिकों व आन्तरिक रूप से विस्थापितों के बीच, गम्भीर मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है.
वहीं, ब्लू नाइल और कोर्डोफन राज्यों में घातक घटनाओं के परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग मारे गए हैं.

न्याय सूत्र
उच्चायुक्त की यात्रा में एक प्रमुख सूत्र था - जवाबदेही की आवश्यकता.
पीड़ितों को मान्यता मिलनी चाहिए, दुर्व्यवहार व अत्याचारों के भुक्तभोगियों को उचित रूप से पहचान, सम्मान एवं मुआवज़ा मिलना चाहिए, और अपराधियों को सज़ा मिलनी चाहिये.
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा,"दंडमुक्ति अधिक हिंसा को जन्म देती है. इससे सीधे तौर पर निपटा जाना चाहिये.”
बदलाव का नाज़ुक दौर
वोल्कर टर्क ने सभी पक्षों से, नागरिक शासन बहाल करने और "अधिकांश आबादी को संकट में डालने वाली अनिश्चितता” को समाप्त करने की दिशा में प्रबल प्रयास करने का आहवान किया.
उन्होंने आश्वासन दिया कि यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय भी, अन्तरराष्ट्रीय समर्थन के साथ-साथ, मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण समेत सभी क्षेत्रों में क्षमता मज़बूत करने में सहयोग देगा.
उच्चायुक्त ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि उन्हें "सूडान में अगले चरण के परिवर्तन” के लिये, "एकता, संयुक्त शक्ति और महान क्षमता" से गहरी उम्मीदें हैं.