भारत: कृषि में जैव-विविधता संरक्षण के लिये अहम सम्मेलन

किसानों के अधिकारों की रक्षा और खाद्य एवं कृषि में जैव विविधता को संरक्षित करने के लिये, सोमवार को भारत में, पादप आनुवंशिक संसाधनों पर, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन - FAO की अन्तरराष्ट्रीय सन्धि का 9वाँ सत्र शुरू हुआ है. इस सम्मेलन में, अनेक देशों के प्रख्यात वैज्ञानिक और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
19 से 24 सितम्बर तक, नई दिल्ली में चलने वाले 'खाद्य और कृषि के लिये पादप आनुवांशिक संसाधनों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि' (ITPGRFA) के शासी निकाय के 9वें सत्र की मेज़बानी, भारत कर रहा है.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सत्र के दौरान विचार-विमर्श से जलवायु अनुकूल क़िस्मों को विकसित करने में सुविधा होगी; और फ़सल उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिये, पादप आनुवंशिक संसाधनों पर वैज्ञानिक जानकारी के आदान-प्रदान के लिये एक रोडमैप तैयार किया जाएगा.
Mr. @ShombiSharp, UN Resident Coordinator, India welcomed delegates on behalf of the @UN & expressed happiness that UN was associated with the very important @planttreaty. He called for global solutions for global problems, especially that of #climate change on #food production. pic.twitter.com/6nNXyjReh9
AgriGoI
वहीं पादप आनुवांशिक संसाधनों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि' (ITPGRFA) के सचिव, केण्ट ननाडोज़ी ने कहा कि 9वें सत्र का आयोजन, प्रतिभागियों के देशों को लिये पादप आनुवांशिक संसाधनों के विकास व संरक्षण सम्बन्धित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिये एक साझा मंच उपलब्ध कराएगा, जिससे कृषक समुदाय को लाभ मिल सके.
उन्होंने कहा कि देशों के बीच तकनीकी प्रगति के वैज्ञानिक आदान-प्रदान से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी.
पादप आनुवांशिक संसाधनों पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि' (ITPGRFA), संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफ़एओ) के 31वें सत्र के दौरान, नवम्बर 2001 में, रोम में अपनाया गया एक क़ानूनी रूप से बाध्यकारी व्यापक समझौता है, जो 29 जून, 2004 को लागू हुआ और जिसमें वर्तमान में भारत समेत 149 देश अनुबन्धित हैं.
यह सन्धि, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ-साथ, जलवायु सहनसक्षम कृषि समाधान उपलब्ध कराती है.
पादप आनुवांशिक संसाधनों के लिये देश परस्पर निर्भर हैं, और इसलिये इनकी पहुँच व लाभ, साझा करने की सुविधा देने के लिये एक वैश्विक व्यवस्था आवश्यक है.
भारत सरकार में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने, 2019 में रोम में शासी निकाय (GB8) के 8वें सत्र में भाग लिया था और भारत में GB9 की मेज़बानी का प्रस्ताव रखा था.
GB9 का आयोजन “Celebrating the Guardians of Crop Diversity: Towards an Inclusive Post-2020 Global Biodiversity Framework” थीम के तहत किया जा रहा है.
इस थीम का उद्देश्य है, पादप आनुवांशिक संसाधनों के प्रभावी प्रबन्धन में दुनिया के छोटे किसानों के योगदान को स्वीकार करना है.
साथ ही, यह इस विषय पर चर्चा करने का भी अवसर देता है कि सन्धि और इसमें अनुबन्धित देश, किस तरह नए वैश्विक जैव विविधता ढाँचे में योगदान कर सकते हैं.
GB9 में किसानों के अधिकारों पर एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह द्वारा विकसित सन्धि के अनुच्छेद 9 में, निर्धारित किसानों के अधिकारों की प्राप्ति को प्रोत्साहित करने, मार्गदर्शन देने और बढ़ावा देने के विकल्पों पर विचार करेगा.
GB9 से अनौपचारिक परामर्श के परिणाम के साथ-साथ सन्धि के बहुपक्षीय प्रणाली (MLS) के कार्यान्वयन की स्थिति पर विचार-विमर्श करने की अपेक्षा है, जो कृषि अनुसन्धान, विकास और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है.
भारत एक समृद्ध फ़सल आनुवांशिक संसाधन सम्पन्न देश है और इस क्षमता में GB9 के मेज़बान देश के रूप में, भारत से, प्रौद्योगिकी-समृद्ध विकसित और जीन-समृद्ध विकासशील देशों के बीच विसंगति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपेक्षा है.