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जबरन गुमशुदगी के मामले, मानवाधिकारों का गम्भीर उल्लंघन

ग्वाटेमाला के राबिनाल में जबरन गुमशुदगी के पीड़ितों की स्मृति में सामुदायिक संग्रहालय.
UNDP Guatemala/Caroline Trutmann Marconi
ग्वाटेमाला के राबिनाल में जबरन गुमशुदगी के पीड़ितों की स्मृति में सामुदायिक संग्रहालय.

जबरन गुमशुदगी के मामले, मानवाधिकारों का गम्भीर उल्लंघन

मानवाधिकार

मंगलवार, 30 अगस्त को 'जबरन गुमशुदगी के पीड़ितों के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस (International day of the victims of enforced disappearances), के अवसर पर रेखांकित किया गया है कि पीड़ितों के परिवारजन को अपने लापता रिश्तेदारों को ग़ायब किये जाने के मामलों की सच्चाई और उनके वास्तविक हालात के बारे में जानने का अधिकार है.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि लोगों को जबरन ग़ायब किया जाना एक अपराध है.

ऐसे मामलों को आमतौर पर अपहरण और गिरफ़्तारी के तहत राज्यसत्ता के एजेण्ट द्वारा अंजाम दिया जाता है और पीड़ितों को अक्सर गुप्त हिरासत में रखा जाता है.

कुछ पीड़ितों को यातनाएँ दी जाती हैं और निष्पक्ष अदालती कार्रवाई के बिना ही जान से मार दिया जाता है. पीड़ितों के परिवारों और समाज से उनकी सच्चाई को गुप्त रखा जाता है.

जबरन गुमशुदगी के मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र के मुख्य तंत्र -- समिति और कार्य समूह -- के पास प्रतिदिन नए मामले सामने आते हैं.

जबरन गुमशुदगी से सभी व्यक्तियों के संरक्षण के लिये अन्तरराष्ट्रीय सन्धि वर्ष 2010 ( The International convention for the protection of all persons from enforced disappearance) में लागू की गई थी.

इस सन्धि में हर पीड़ित के लिये जबरन गुमशुदगी की परिस्थितियों के सम्बन्ध में सच जानने के अधिकार की पुष्टि की गई है और यह भी ग़ायब हुए व्यक्ति के साथ वास्तव में क्या हुआ. 

मानवाधिकार का विषय

क़ानून की पहुंच से बाहर ले जाये जाने और समाज से "ग़ायब" होने के कारण, पीड़ित वास्तव में अपने सभी अधिकारों से वंचित हो जाते हैं. 

जबरन गुमशुदगी के मामलों में जिन मानवाधिकारों का नियमित तौर पर उल्लंघन होता है, उनमें स्वतंत्रता और व्यक्ति की सुरक्षा का अधिकार और पहचान का अधिकार शामिल है.

आतंक फैलाने की रणनीति

इसके अलावा, जबरन गुमशुदगी को मानवाधिकारों के उल्लंघन से कहीं अधिक माना जाता है, और इसे अक्सर समुदायों में भय फैलाने की रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

यह एक वैश्विक समस्या बनती जा रही है, और दुनिया के एक विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है.

इसे देशों के भीतर संघर्ष की जटिल परिस्थितियों के दौरान, विशेष रूप से विरोधियों के राजनैतिक दमन के एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है. 

दुनिया भर के कम से कम 85 देशों में टकराव या दमन के दौरान लाखों लोगों के ग़ायब होने के मामले सामने आए हैं.