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जबरन गुमशुदगी पर रोक लगाने के प्रयासों को मज़बूती देने का आहवान

गुमशुदा और लापता लोगों के सम्बन्धी कोसोवो के प्रिस्टीना स्थित यूएन मुख्यालय के बाहर मूक प्रदर्शन करते हुए, (2002). फ़ाइल फ़ोटो.
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गुमशुदा और लापता लोगों के सम्बन्धी कोसोवो के प्रिस्टीना स्थित यूएन मुख्यालय के बाहर मूक प्रदर्शन करते हुए, (2002). फ़ाइल फ़ोटो.

जबरन गुमशुदगी पर रोक लगाने के प्रयासों को मज़बूती देने का आहवान

मानवाधिकार

विश्व के अनेक देशों में लोगों को जबरन ग़ायब कराए जाने की घटनाएँ व्यक्तियों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के साथ-साथ समाजों में आतंक फैलाने की रणनीति को भी दर्शाती हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 30 अगस्त, को 'जबरन गुमशुदगी के पीड़ितों के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' पर सदस्य देशों से इस समस्या पर विराम लगाने का आहवान किया है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा, “जबरन गुमशुदगी का अपराध दुनिया भर में उभार पर है. हम हर दिन नए मामले देखते हैं, इनमें पर्यावरण के रक्षकों की गुमशुदगी भी है जो अक्सर आदिवासी लोग होते हैं.”

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यूएन प्रमुख ने कहा कि हज़ारों लोगों की गुमशुदगी के मामले अब भी अनसुलझे हैं और उनकी पीड़ा अब भी कम नहीं हुई है.

उनके मुताबिक यह अपराध निरन्तर उन लोगों के जीवन में उपस्थित है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है. जबरन गुमशुदगी किसी एक विशेष क्षेत्र तक सीमित ना रहकर अब एक वैश्विक समस्या बन गई है.

अतीत में सैन्य तानाशाही के दौरान लोगो की जबरन गुमशुदगी के मामले सामने आते थे लेकिन अब देशों के भीतर ही हिंसक संघर्ष के दौरान भी जटिल हालात में लोगों को जबरन ग़ायब कराया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इसे विरोधियों के राजनैतिक दमन के औज़ार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. 

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पीड़ितों के परिजनों, प्रत्यक्षदर्शियों और जबरन गुमशुदगी के मामलों को संभाल रहे क़ानूनी सलाहकारों के उत्पीड़न पर चिन्ता जताई गई है. 

जबरन गुमशुदगी पर संयुक्त राष्ट्र की समिति व वर्किंग ग्रुप के मुताबिक सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक कार्रवाई के नाम पर पीड़ितों के परिजनों और नागरिक समाज के सदस्यों पर बदले की भावना से कार्रवाई का रुझान बढ़ रहा है. 

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि दण्डमुक्ति की भावना से पीड़ा और क्षोभ और भी ज़्यादा गहरा होता है इसलिये विश्वसनीय और निष्पक्ष न्यायिक जाँच सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है. 

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत परिवारों व समाजों के पास सच जानने का अधिकार है. साथ ही उन्होंने सदस्य देशों से अपने दायित्वों का निर्वहन किये जाने की पुकार लगाई है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कम से कम 85 देशों में दमन और हिंसक संघर्ष के दौरान लाखों लोगों को जबरन ग़ायब कराए जाने के मामले सामने आए हैं. 

“अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार तन्त्र की मदद से देशों की यह ज़िम्मेदारी जबरन गुमशुदगी की रोकथाम के प्रयासों को मज़बूती प्रदान करना, पीड़ितों को ढूँढना और पीड़ितों व उनके परिजनों को सहायता बढ़ाना है.” 

उन्होंने कहा कि निर्बल समुदायों, विशेषत: बच्चों व विकलांगों तक मदद पहुँचाने के लिये ज़्यादा प्रयास किये जाने होंगे. 

महासचिव ने जबरन गुमशुदगी के सभी मामलों का अन्त करने के लिये अपने संकल्प को फिर दोहराते हुए सभी सदस्य देशों से जबरन गुमशुदगी के दंश से लोगों को बचाने के लिए एक सन्धि पर मोहर लगाने का आहवान किया है. 

उन्होंने कहा कि इस जघन्य अपराध के उन्मूलन की दिशा में यह पहला लेकिन अहम क़दम होगा.