विश्व मानवीय दिवस पर 'मानवता के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों' को अभिवादन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर अपने वीडियो सन्देश में कहा कि दुनिया भर में, ज़रूरतमन्द लोगों की सहायता के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले सैकड़ों-हज़ारों सहायता कर्मी, "मानवता में सर्वश्रेष्ठ" का प्रतिनिधित्व करते हैं.
उन्होंने कहा, मानवीय सहायता कर्मी, लोकप्रियता व सुर्ख़ियों से दूर एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिये, चौबीसों घण्टे काम करते हैं."
"वे अविश्वसनीय बाधाओं से लड़ते हुए, अक्सर बड़े व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद, कुछ सबसे ख़तरनाक परिस्थितियों में लोगों की पीड़ा कम करने के प्रयासों में लगे रहते हैं."
विश्व मानवीय दिवस प्रतिवर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है.
इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इराक़ के बग़दाद शहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर 2003 में हुई बमबारी की बरसी मनाने के लिये 2008 में शुरू किया था. उस हमले में 22 सहायताकर्मी मारे गए थे.
इस वर्ष की थीम – "It takes a village"- इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि जब भी और जहाँ भी लोग संकट में होंगे, वहाँ ऐसे बहुत से अन्य लोग भी होंगे जो उनकी मदद के लिये आगे आएंगे.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "इस गाँव से मतलब है वो लोग, जो आपदा आने पर हमेशा सबसे पहले मदद के लिये तैयार रहते हैं – पड़ोसी-पड़ोसियों की मदद करते हैं. इसमें वो वैश्विक समुदाय शामिल है जो पुनर्निर्माण में सहयोग के लिये एकजुट होकर सामने आता है."
रिकॉर्ड-तोड़ आवश्यकताएँ
संघर्षों, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, ग़रीबी, भुखमरी और विस्थापन के अभूतपूर्व स्तरों के कारण मानवीय सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या इतनी अधिक कभी नहीं रही है.
महासचिव ने कहा कि विश्व मानवीय दिवस, हर जगह मौजूद इन मानवीय सहायता कर्मियों की सराहना करने का एक अवसर है.
उन्होंने कहा, "हम उनके समर्पण और साहस को अभिवादन करते हैं, और इस नेक काम में अपनी जान गँवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं. ये सर्वश्रेष्ठ मानवता का प्रतिनिधित्व करते हैं."
एकजुटता और सराहना
स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के कार्यालय, OCHA ने, ज़रूरतमन्द लोगों के साथ जनता की एकजुटता दिखाने, और इस काम में जुटे लोगों की सराहना करने के लिये, एक सप्ताह तक चलने वाला सोशल मीडिया अभियान #ItTakesAVillage शुरू किया.
मानवीय सहायताकर्मियों में शिक्षक शामिल हैं, जो संकट में फँसे बच्चों के लिये जीवन रेखा का काम करते हैं. वे लड़कों और लड़कियों को सीखने में मदद करते हैं ताकि वे अपना भविष्य न खोएँ.
OCHA ने बताया कि पिछले साल, आपात-स्थितियों में रहने वाले लगभग 11 करोड़ बच्चे, प्रारम्भिक शिक्षा सहित औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा हासिल करने में सफल रहे.
महिलाओं और लड़कियों को प्राथमिकता
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए) यह सुनिश्चित करने के लिये काम कर रहा है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया, महिलाओं और लड़कियों की ज़रूरतों, अधिकारों और सम्मान को प्राथमिकता दे.
इस वर्ष, एजेंसी का लक्ष्य अन्य सेवाओं के साथ-साथ, जीवन रक्षक यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल, सूचना और आपूर्ति के साथ, संकट से प्रभावित 5 करोड़ 45 लाख महिलाओं, लड़कियों और युवाओं तक पहुँचना है.