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WHO: मंकीपॉक्स को, सही रणनीतियों के ज़रिये रोका जा सकता है

मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर पड़े छालों से निकले तरल पदार्थ के सम्पर्क में आने से, बहुत तेज़ी से फैल सकता है.
© Harun Tulunay
मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर पड़े छालों से निकले तरल पदार्थ के सम्पर्क में आने से, बहुत तेज़ी से फैल सकता है.

WHO: मंकीपॉक्स को, सही रणनीतियों के ज़रिये रोका जा सकता है

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को कहा है कि तेज़ी से फैल रही मंकीपॉक्स बीमारी को सही समूहों में सही रणनीतियाँ अपनाकर, रोका जा सकता है.

मंकीपॉक्स संक्रमण पर यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की तकनीकी प्रमुख डॉक्टर रोज़ामुण्ड लुइस ने जिनीवा में प्रैस वार्ता में कहा कि समय भागा जा रहा है और हम सभी को इस बीमारी की रोकथाम के लिये, तुरन्त एकजुट प्रयास करने होंगे.

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एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा

संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने शनिवार को, मंकीपॉक्स के वायरस को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली एक सार्वजनिक स्वास्थय (PHEIC) आपदा घोषित किया था जोकि संगठन का उच्चतम ऐलर्ट है.

डॉक्टर लुइस ने कहा कि इस घोषणा के बाद, देशों व तमाम हितधारकों के दरम्यान समन्वय और सहयोग के साथ-साथ, वैश्विक एकजुटता में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा रही है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के आकलन के अनुसार, योरोप क्षेत्र में मंकीपॉक्स का जोखिम उच्चतम स्तर पर है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसका जोखिम सामान्य है.

डॉक्टर लुइस ने बताया कि इस वर्ष मंकीपॉक्स के संक्रमण के, 75 देशों में अभी तक 16 हज़ार मामले दर्ज किये गए हैं, जबकि असली संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में, कई हज़ार मामलों का सन्देह था, मगर वहाँ टैस्ट सुविधाएँ सीमित हैं. “वैश्विक आँकड़ों में, सन्देहास्पद मामलों को शामिल नहीं किया गया है.”

उन्होंने बताया कि 17 वर्ष से कम उम्र के लगभग 81 बच्चों को, वैश्विक स्तर पर, मंकीपॉक्स के वायरस से संक्रमित पाया गया है. जबकि इन मामलों की बहुसंख्या, युवा पुरुषों में पाई गई है जिनकी औसत आयु 37 वर्ष है.

कलंक की मानसिकता भी वायरस की तरह ख़तरनाक

यह वायरस सबसे पहले बन्दरों में पाया गया था और ये किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट सम्पर्क में आने से, अन्य मानवों में फैलता है. 

अफ़्रीका में ये वायरस एक व्यापक स्तर वाली बीमारी है और इस साल से पहले तक, ये वायरस अफ़्रीका से बाहर फैलते हुए नहीं देखा गया, मगर मई के आरम्भ में कुछ मामले ब्रिटेन में देखे गए जिनसे संकेत मिला कि ये बीमारी योरोप में भी फैल गई है.

डॉक्टर लुइस ने ध्यान दिलाया कि किसी को कलंकित करने और भेदभाव की मानसिकता से बचा जाना होगा क्योंकि उनसे इस बीमारी का सामना करने के प्रयासों को नुक़सान पहुँचेगा.

उन्होंने बताया कि इस समय मंकीपॉक्स संक्रमण कुछ देशों में ऐसे पुरुषों के समूहों तक ही सीमित है जो समलैंगिक पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाते हैं, मगर सभी देशों में ऐसी ही स्थिति नहीं है. 

“साथ ही, ये समझना बहुत ज़रूरी है कि कलंकित करने और भेदभाव का चलन, बहुत हानिकारक और वायरस की ही तरह ख़तरनाक हो सकता है.”

मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के अनेक लक्षण हो सकते हैं जिनमें दर्दनाक छाले पड़ना भी शामिल है. कुछ लोगों में ये लक्षण गम्भीर हो जाते हैं जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है.
टीकाकरण में समन्वय

डॉक्टर लुइस ने बताया कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, वैक्सीन जारी करने के लिये, सदस्य देशों और योरोपीय संघ के साथ मिलकर काम कर रही है और वैश्विक तालमेल व्यवस्था निर्धारित करने के लिये साझीदारों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है, मगर संगठन ने संक्रमण होने के बाद टीका लगवाने की सिफ़ारिश की है.  

उन्होंने बताया कि इस समय लगभग एक करोड़ 64 लाख टीके उपलब्ध हैं मगर उन्हें अन्तिम रूप दिया जाना बाक़ी है. इस समय जो देश वैक्सीन्स बना रहे हैं उनमें डेनमार्क, जापान और अमेरिका प्रमुख हैं.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्तियों के लिये मौजूदा सिफ़ारिश ये है कि वो ख़ुद का एकान्तवास में रखें और जब तक पूरी तरह ठीक ना हो जाएँ, कोई यात्रा ना करें, उनके सम्पर्क में आने वाले लोगों को अपना तापमान लगातार मापते रहना चाहिये और 9 से 21 दिनों के दौरान, अन्य लक्षणों पर भी नज़र रखें.

डॉक्टर लुइस ने कहा कि किसी को टीका लगाए जाने के बाद भी, उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता सक्रिय होने में, कई सप्ताहों का समय लगता है.

नाम में क्या रखा है?

डॉक्टर लुइस के अनुसार, मंकीपॉक्स नाम, बीमारियों के अन्तरराष्ट्रीय वर्गीकरण में पहले से मौजूद है, और सम्भवतः इसका नाम बदलने के लिये, एक प्रक्रिया का पालन करना होगा.