मंकीपॉक्स बीमारी के लिये नए नाम के इस्तेमाल की अनुशंसा
वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सिलसिलेवार विचार-विमर्श के दौर के बाद यह निर्णय लिया गया है.
फ़िलहाल एक साल तक दोनों नामों को इस्तेमाल में लाया जाता रहेगा, जिसके बाद मंकीपॉक्स के इस्तेमाल पर पूर्ण विराम लगा दिया जाएगा.
When the outbreak of #mpox (#monkeypox) expanded earlier this year, racist and stigmatizing language was observed and reported to WHO.
Some countries and individuals asked WHO to propose a way forward to address this https://t.co/VT9DAdYrGY https://t.co/5GctQ6DXO9
WHO
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि दोनों नामों के इस्तेमाल के ज़रिये, वैश्विक महामारी के प्रकोप के दौरान, नाम में बदलाव की वजह से उत्पन्न होने वाले भ्रम से निपटने में मदद मिलेगी.
कुछ विशेषज्ञों ने इस सम्बन्थ में चिंता व्यक्त की थी.
म्पॉक्स (Mpox) एक दुर्लभ वायरल बीमारी है, जिसके संक्रमण मामले मुख्यत: मध्य व पश्चिमी अफ्रीका के वर्षा वन वाले इलाक़ों में सामने आए हैं. मगर, इस वर्ष दुनिया के अन्य हिस्सों में भी यह बीमारी उभरी है.
अब तक 110 देश इससे प्रभावित हुए हैं, 80 हज़ार से अधिक मामलों को दर्ज किया गया है, और 55 लोगों की मौत हुई है.
म्पॉक्स बीमारी के फैलाव का दायरा बढ़ने के साथ, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को ऑनलाइन माध्यमों पर व कुछ समुदायों में नस्लवादी और कलंकित करने वाली भाषा के इस्तेमाल की रिपोर्टें प्राप्त हुई थीं.
संगठन ने बताया कि अनेक निजी व सार्वजनिक बैठकों के दौरान, कईं व्यक्तियों व देशों ने इस सिलसिले में अपनी चिंताओं को साझा किया, और विश्व स्वास्थ्य संगठन से नाम में परिवर्तन का सुझाव दिया.
नई बीमारियों का नामकरण
पकड़ कर रखे गए अनेक बन्दरों में इस बीमारी की वजह बनने वाले वायरस की खोज के 12 वर्ष बाद इस रोग को 1970 में मंकीपॉक्स नाम दिया गया था.
यह वर्ष 2015 से अनेक दशक पहल की बात है, जब यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बीमारियों के नामकरण के विषय में सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों को प्रकाशित किया था.
इन दिशानिर्देशों में अनुशंसा जारी की गई है कि नई बीमारियों के नाम रखे जाने के दौरान यह ध्यान रखा जाना होगा कि व्यापार, यात्रा, पर्यटन और पशु कल्याण पर अनावश्यक, नकारात्मक असर को हरसम्भव ढँग से कम किया जा सके.
इसके साथ ही, किसी भी प्रकार के सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, पेशेवर या जातीय समूहों को ठेस पहुँचाये जाने से भी बचना होगा.
परामर्श प्रक्रिया
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा विचार-विमर्श प्रक्रिया से गुज़रने के बाद ही नई और अपवाद स्वरूप, पहले से मौजूद बीमारियों के नामकरण के विषय में निर्णय लिया जाता है.
इस क्रम में 45 देशों के चिकित्सा और वैज्ञानिक विशेषज्ञों, सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों, और आम जनता से इस सिलसिले में अपने सुझाव भेजे जाने के लिये कहा गया.
इस विचार-विमर्श के आधार पर, और महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस के साथ चर्चा के बाद, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने म्पॉक्स नाम के इस्तेमाल की सिफ़ारिश की है.
चर्चा के दौरान, तार्किक, वैज्ञानिक नज़रिये से उपयुक्तता, मौजूदा इस्तेमाल के दायरे, उच्चारण क्षमता, विभिन्न भाषाओं में इस्तेमाल की क्षमता समेत कई अन्य अहम बातों का ख़याल रखा गया.
संगठन ने अपने संचार प्रयासों में म्पॉक्स के इस्तेमाल की बात कही है, और साथ ही अन्य पक्षों को भी इसके लिये प्रोत्साहित किया है.