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भारत: झील के संरक्षण व कायाकल्प के लिये युवजन की कार्रवाई

भारत के ओडिशा राज्य के मंगलाजोडी गाँव की चिल्का आर्द्रभूमि में प्रवासी पक्षियों का झुण्ड.
© UNICEF/Dhiraj Singh
भारत के ओडिशा राज्य के मंगलाजोडी गाँव की चिल्का आर्द्रभूमि में प्रवासी पक्षियों का झुण्ड.

भारत: झील के संरक्षण व कायाकल्प के लिये युवजन की कार्रवाई

जलवायु और पर्यावरण

भारत में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़), यूथ4वॉटर अभियान के ज़रिये, जलवायु कार्रवाई में युवजन को शामिल करने के लिये प्रयासरत है. ऐसे ही एक कार्यक्रम के तहत, ओडिशा राज्य में स्थित चिल्का झील का कायाकल्प सम्भव हुआ है, जिससे ना केवल स्थानीय लोगों को अपनी आजीविका प्राप्त हुई है, बल्कि क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का आवागमन बढ़ गया है, जोकि क्षेत्रीय पर्यटन के लिये वरदान साबित हो रहा है. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर छोटे प्रयासों से आ रहे बड़े बदलावों की एक कहानी....

भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा में स्थित चिल्का झील, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहाँ हर साल दुनिया के विभिन्न हिस्सों और भारतीय उपमहाद्वीप से लाखों प्रवासी पक्षी आते हैं.

इस आर्द्रभूमि में कई गाँव बसे हुए हैं, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिये मछली-पालन पर निर्भर हैं. हालाँकि, साल-दर-साल, अधिकाधिक तलछट जमा होने के कारण झील सिकुड़ती जा रही है, जिससे आर्द्रभूमि के निवासियों की आजीविका के लिये ख़तरा पैदा हो गया है.

इससे, कई स्थानीय लोगों को वैकल्पिक रोज़गार खोजने के लिये आर्द्रभूमि से बाहर निकलने के लिये मजबूर होना पड़ा. उन्हें दूसरे राज्यों में जाकर फिर से अपना घर बसाना पड़ा.

खोरधा के टांगी में आर्द्रभूमि के पास स्थित एक गाँव के निवासी, 55 वर्षीय अशोक बेहरा बताते हैं, "जब मैं छोटा था तब ऐसा नहीं था. बढ़ते तापमान, बाढ़ व चक्रवात और बाढ़ग्रस्त नदियों द्वारा जमा भारी तलछट के कारण चिल्का झील सिकुड़ने लगी.” 

भारत के मंगलाजोडी गाँव के पास चिल्का वैटलैण्ड में, प्रवासी पक्षी टूर गाइड.
© UNICEF/Dhiraj Singh
भारत के मंगलाजोडी गाँव के पास चिल्का वैटलैण्ड में, प्रवासी पक्षी टूर गाइड.

अनूठी पहल

प्रवासियों के सामने आए गम्भीर आर्थिक और सामाजिक संकट को देखते हुए, स्थानीय समुदाय ने नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर युवाओं को इसके रख-रखाव में शामिल करने और आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करने की अनूठी पहल शुरु की, ताकि लोगों को आजीविका की खोज में बाहर न जाना पड़े.

ये पहल, जल संरक्षण, क्षेत्र के कायाकल्प और आजीविका सृजन पर केन्द्रित है.

इसके लिये, यूनीसेफ़ ने अपनी यूथ4वॉटर पहल के माध्यम से आसपास के गाँवों के युवाओं को प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन गतिविधियों के लिये एकजुट किया.

युवजन अब हर सप्ताह झील से प्लास्टिक की बोतलें, काग़ज़, डिब्बे, काँच आदि निकालने के लिये, एकजुट होकर काम करते हैं.

 चिल्का वेटलैंड से प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे और ठोस कचरा इकट्ठा करते युवा.
© UNICEF/Dhiraj Singh
चिल्का वेटलैंड से प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे और ठोस कचरा इकट्ठा करते युवा.

झील में बाँस की घास भी उग गई है जो मछली पकड़ने वाली नौकाओं की आवाजाही को प्रभावित करती है. इससे लोग, भोजन के लिये पक्षियों का शिकार करने के लिये मजबूर हो गए थे.

इस मुद्दे पर, इलाक़े के युवा चैम्पियन पर्यावरण-अनुकूल रोज़गार विकल्पों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं.

इन प्रयासों में, बाँस की घास की सफ़ाई और हस्तशिल्प व फ़र्नीचर बनाने के लिये प्रेरित करके, स्थानीय लोगों को आजीविका का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान किया जाता है.

भारत के ओडिशा राज्य की चिल्का आर्द्रभूमि में, युवजन बाँस की घास को काटकर, हस्तशिल्प उत्पाद बनाने के लिये इकट्ठा कर रहे हैं.
© UNICEF/Dhiraj Singh
भारत के ओडिशा राज्य की चिल्का आर्द्रभूमि में, युवजन बाँस की घास को काटकर, हस्तशिल्प उत्पाद बनाने के लिये इकट्ठा कर रहे हैं.

पारिस्थितिकी पर्यटन और बाँस शिल्प जैसे वैकल्पिक रोज़गारों व क्षेत्र के पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूकता के कारण, प्रवासी पक्षियों की आबादी में बड़ा सुधार दिखाई दे रहा है.

अब झील पर, हर साल, लगभग छह लाख पक्षी आने लगे हैं!

कई लोग जो दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे, वे भी अपने गाँव लौटने लगे हैं और मंगलाजोड़ी को स्थाई आजीविका के साथ-साथ, एक प्रतिष्ठित जल निकाय बनाने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

भारत में एक महिला अपने घर के बाहर घास की बाँस से चटाई बनाते हुए
© UNICEF/Dhiraj Singh
भारत में एक महिला अपने घर के बाहर घास की बाँस से चटाई बनाते हुए

यूथ4वॉटर, मंगलाजोड़ी के स्वैच्छिक कार्यकर्ता, 27 वर्षीय युवा शशिकांत महापात्रा कहते हैं कि चिल्का झील, मंगलाजोड़ी के लोगों के लिये प्रकृति का अनूठा उपहार है. हम इस ख़ूबसूरत जल निकाय के पास रहना अपना सौभाग्य मानते हैं.

"यहाँ के पक्षियों और पारिस्थितिकी तंत्र के साथ हमारा गहरा पारिवारिक सम्बन्ध है. यूथ4वाटर स्वयंसेवकों के रूप में, हम इस झील को साफ़ रखने का प्रयास करते हैं. जल हमारा जीवन है.” 

यूथ4वॉटर मुहिम

वर्ष 2019 में शुरू हुए, यूथ4वॉटर अभियान का उद्देश्य - यूनीसेफ़ के WASH (जल, स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई) कार्यक्रम और जलवायु कार्रवाई में, ओडिशा के युवाओं को शामिल करना है.

यूनीसेफ़ के भारत कार्यालय में WASH विभाग के प्रमुख निकोलस ऑस्बर्ट ने बताया कि, “चिल्का जैसी आर्द्रभूमि अपरिहार्य हैं. इससे पारिस्थितिकी तंत्र में सन्तुलन और प्राकृतिक निस्पंदन तंत्र प्राप्त होता है, जिससे महत्वपूर्ण पेयजल स्रोतों का पुन: भराव और संरक्षण सुनिश्चित होता है, और उतने ही महत्वपूर्ण रूप से - उनका प्रबन्धन स्थाई आजीविका प्रदान करता है."

"हम इन कई लाभों और भारत के भविष्य की रक्षा के लिये युवाओं की मांगों को देखते हुए, उन्हें पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोणों के ज़रिये, आर्द्रभूमि की रक्षा और पुनर्स्थापित करने के अवसर से जोड़ने के लिये उत्साहित थे."

"इस अनुकूलन दृष्टिकोण के विस्तार के लिये वो जो सीखकर वापस आएंगे, हम उनसे सबक़ लेने की उम्मीद करते हैं.” 

यूथ4वॉटर अभियान, युवजन का एक मंच है. वर्तमान में, ओडिशा व बाहर के विभिन्न क्षेत्रों के 17 भागीदारों का गठबन्धन इससे जुड़ा है.