वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

योरोपीय क्षेत्र में, बाल अवस्था कैंसर के उपचार व देखभाल में व्याप्त विषमताएँ

दुनिया भर में, कैंसर बच्चों व किशोरों की मौतों की एक बड़ी वजह है.
Unsplash/NCI
दुनिया भर में, कैंसर बच्चों व किशोरों की मौतों की एक बड़ी वजह है.

योरोपीय क्षेत्र में, बाल अवस्था कैंसर के उपचार व देखभाल में व्याप्त विषमताएँ

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को अपनी एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसमें योरोपीय क्षेत्र में बाल्यावस्था में कैंसर मामलों के निदान, उपचार व देखभाल में व्याप्त विषमताएँ उजागर हुई हैं. यूएन एजेंसी के अनुसार, हर वर्ष बच्चों में कैंसर के हज़ारों मामलों का पता चलता है, जिनमें से बड़ी संख्या में बच्चों की मौतें अब भी हो रही हैं.

Childhood cancer inequalities in the WHO European Region’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को ‘अन्तरराष्ट्रीय बाल्यावस्था कैंसर दिवस’ के अवसर पर पेश किया गया है. 

यह रिपोर्ट कैंसर मरीज़ों व देखभालकर्मियों के अनुभवों और मरीजों के लिये अल्पकालिक व दीर्घकालिक नतीजों पर आधारित है.

Tweet URL

रिपोर्ट दर्शाती है कि कैंसर पीड़ित बच्चों में बीमारी का पता चलने के बाद पाँच वर्ष तक जीवित रहने की दर 1960 के दशक में 30 प्रतिशत से बढ़कर, अब हाल के दिनों में 80 प्रतिशत तक पहुँच गई है.

इसकी वजह बेहतर दवाएँ, निदान और देखभाल की सुलभता बताई गई है.

पिछले वर्ष, विश्व स्वास्थ्य संगठन के योरोपीय क्षेत्र में 48 लाख लोगों में कैंसर की बीमारी का पता चला, और 21 लाख लोगों की इस रोग के कारण मौत हुई.

ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, हर दिन बच्चों में कैंसर के एक हज़ार से ज़्यादा नए मामलों का पता चलता है. 

योरोप में देशीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की निदेशक डॉक्टर नीनो बर्ड्ज़ूली ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में बाल्यावस्था कैंसर के मामलों में मरीज़ों को जीवित रखने में बड़ी प्रगति देखने को मिली है. 

उन्होंने कहा कि नवाचारी टैक्नॉलॉजी, बेहतर निदान व उपचार के ज़रिये बाल्यावस्था कैंसर के 80 फ़ीसदी से अधिक मामलों का इलाज किया जा सकता है.

यूएन की वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि उच्च-आय देशों में बच्चों व किशोरों के लिये कैंसर, अब मौत की सज़ा पाने जैसा नहीं है. मगर, दुर्भाग्यवश, यह बात पूरे योरोपीय क्षेत्र के लिये सच नहीं है. 

खाइयों को पाटना

डॉक्टर नीनो बर्ड्ज़ूली ने नीतिनिर्धारकों से आग्रह किया है कि योरोपीय क्षेत्र में बाल्यावस्था कैंसर के मामलों में देखभाल व उपचार सेवाओं में व्याप्त विषमताओं को दूर करना अहम है, ताकि कैंसर पीड़ित हर बच्चे के लिये जीवन में सर्वोत्तम अवसर सुनिश्चित किये जा सकें.

यूएन एजेंसी विशेषज्ञों ने बताया कि उच्चतर और निम्नतर आय वाले देशों में मरीज़ों के जीवित रहने की दरों में अन्तर है, और यह देशों के भीतर भी सामाजिक-आर्थिक समूहों या लैंगिक आधार पर भिन्न हो सकता है.

रिपोर्ट बताती है कि बाल्यावस्था में कैंसर का सामना करने वाले बच्चों व परिवारों को मौजूदा विषमताएँ किन रूपों में प्रभावित करती हैं.

देशों के बीच; देखभाल के उपलब्ध स्तर में; सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, लिंग और आयु के बीच; और शहरी व ग्रामीण इलाक़ों में निवास होने के आधार पर.

बचपन में कैंसर होना भी विषमता की एक वजह हो सकती है और मरीज़ों के लिये पूरी उम्र उनका स्वास्थ्य, कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य व रोज़गार अवसर प्रभावित हो सकते हैं.

अहम अनुशन्साएँ

रिपोर्ट में इस बात की शिनाख़्त की गई है कि विभिन्न देश, भिन्न-भिन्न शुरुआती पड़ावों पर हैं, और परिस्थितियों के अनुसार वहाँ अलग-अलग कारक हैं. 

इस पृष्ठभूमि में, रिपोर्ट में पेश की गई सिफ़ारिशें कैंसर निदान, उपचार व देखभाल में मौजूदा विषमताओं को हरसम्भव ढँग से दूर करने पर केंद्रित हैं. 

रूस के मॉस्को के एक अस्पताल में ल्यूकीमिया से ग्रस्त बच्चे.
WHO/NOOR/Sebastian Liste
रूस के मॉस्को के एक अस्पताल में ल्यूकीमिया से ग्रस्त बच्चे.

इनमें डेटा एकत्रीकरण व विश्लेषण में निवेश; निशुल्क निदान व उपचार की सुविधा; और जागरूकता प्रसार के लिये चिकित्सकों व नर्सों की पेशेवर ट्रेनिंग सुनिश्चित करना है. 

साथ ही, कैंसर उपचार के लिये मानक प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाना और जीवित मरीज़ों को दीर्घकालीन प्रभावों का सामना करने में सहायता मुहैया कराना है.  

विश्वव्यापी सुलभता में वृद्धि 

पिछले वर्ष, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सेण्ट जूड शोध अस्पताल ने एक प्लैटफ़ॉर्म स्थापित करने की घोषणा की थी.

इसका उद्देश्य, विश्व भर में बच्चों में कैंसर मामलों के लिये दवाओं की सुलभता बढ़ाना है. 

देशों की सीमाओं और सैक्टरों से परे जाकर, बाल्यावस्था कैंसर के लिये वैश्विक पहल, Global Initiative for Childhood Cancer, की मदद से कैंसर से जूझ रहे बच्चों के लिये बेहतर नतीजे हासिल किये जा सकेंगे. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि रिपोर्ट के निष्कर्षों को जानने के बाद अब चुनौती, योरोपीय क्षेत्र में सभी बच्चों के लिये, कैंसर के उपचार व देखभाल में व्याप्त विषमताओं को दूर करना और प्रगति का लाभ उठाना है.