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कृत्रिम बुद्धिमत्ता को नैतिक जामा पहनाने के लिये, 193 देशों का वैश्विक समझौता

कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है.
Unsplash/Possessed Photography
कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता को नैतिक जामा पहनाने के लिये, 193 देशों का वैश्विक समझौता

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के तमाम सदस्य देशों ने गुरूवार को एक ऐसा ऐतिहासिक मसौदा स्वीकृत किया है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) का स्वस्थ विकास विकास सुनिश्चित करने के लिये दरकार साझा मूल्य व सिद्धान्त परिभाषित किये गए हैं.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हमारे दैनिक जीवन में हर जगह मौजूद है, हवाई यात्राओं के टिकट ख़रीदने से लेकर, चालक के बिना ही चलने वाली कारें ख़रीदने, और क़र्ज़ की अर्ज़ी दाख़िल करने तक.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कैंसर का पता लगाने और उसका इलाज करने के लिये स्क्रीनिंग करने जैसे विशेषीकृत क्षेत्रों में या विकलांगता वाले लोगों के लिये समावेशी वातावरण बनाने में मदद करने में भी प्रयोग होती है.

यूनेस्को के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सरकारों और निजी सैक्टर को निर्णय लेने में भी मदद कर रही है, साथ ही, जलवायु परिवर्तन और दुनिया भर में भुखमरी जैसी वैश्विक समस्याओं का सामना करने में भी मदद करती है.

अलबत्ता, एजेंसी ने आगाह करते हुए यह भी कहा है कि टैक्नॉलॉजी ने बहुत सी असाधारण चुनौतियाँ भी पेश की हैं. 

यूनेस्को एक वक्तव्य में कहा है कि हम लैंगिक और जातीय पूर्वाग्रह, निजता, गरिमा और एजेंसी को दरपेश ख़तरे देखते हैं. साथ ही, व्यापक निगरानी और क़ानून लागू करने में, ग़ैर-भरोसेमन्द टैक्नॉलॉजी के बढ़े हुए प्रयोग के भी ख़तरे बढ़े हैं.

“अभी तक, इन मुद्दों के जवाब मुहैया कराने के लिये, कोई सार्वभौमिक मानक मौजूद नहीं रहे हैं.”

इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इस स्वीकृत मसौदे या गाइड का मक़सद, टैक्नॉलॉजी का नैतिक विकास सुनिश्चित करने के लिये, आवश्यक क़ानूनी ढाँचे का निर्माण करना है. 

यूनीसेफ़ की प्रमुख ने कहा, “दुनिया को, मानवता के फ़ायदे की ख़ातिर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये नियमों की दरकार है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का नैतिकीकरण करने की सिफ़ारिश, एक प्रमुख उत्तर है. इसमें देशों को उनके स्तर पर ये सिफ़ारिशें लागू करने की ज़िम्मेदारी देकर, एक वैश्विक फ़्रेमवर्क मुहैया कराया जा रहा है.”

उन्होंने कहा कि यूनेस्को, इसके क्रियान्वयन में, 193 देशों को सहायता व समर्थन मुहैया कराएगा और उनसे इस मामले में प्रगति के बारे में नियमित रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा जा रहा है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवता के लिये सकारात्मक योगदान

कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में तेज़ी से क़दम बढ़ाने के लिये डेटा बेहद अहम है.
Unsplash/Maxime Valcarce
कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में तेज़ी से क़दम बढ़ाने के लिये डेटा बेहद अहम है.

इस मसौदे का मक़सद कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फ़ायदे रेखांकित करना, और इसके जोखिमों को कम करना भी है. 

यूएन एजेंसी के अनुसार, ये मसौदा ये सुनिश्चित करने के लिये भी दिशा-निर्देश उपलब्ध कराता है कि डिजिटल बदलावों के ज़रिये, मानवाधिकारों को प्रोत्साहन मिले और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान हो.

पारदर्शिता, जवाबदेही और निजता के इर्द-गिर्द मुद्दों के समाधान तलाश करने के साथ-साथ, आँकड़ों, शिक्षा, संस्कृति, श्रम, स्वास्थ्य देखभाल और अर्थव्यवस्था के प्रशासन पर कार्रवाई केन्द्रित नीतियों के लिये भी दिशा-निर्देश मुहैया कराना, इस मसौदे का मक़सद है.

इस मसौदे की एक मुख्य पुकार, आँकड़ों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करना है.

यूनेस्को का कहना है कि करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाले निर्णय, निष्पक्ष, पारदर्शी और ऐसे भी होने चाहिये जिन पर सवाल भी उठाए जा सकेंगे.