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कोविड-19: संक्रमण मामलों में तेज़ वृद्धि की वजह बना डेल्टा वैरिएंट

भारत की राजधानी नई दिल्ली में, एक अस्पताल के कोविड-19 आपदा राहत कक्ष में, स्वास्थ्यकर्मी, मरीज़ों की देखभाल करते हुए.
© UNICEF/Amarjeet Singh
भारत की राजधानी नई दिल्ली में, एक अस्पताल के कोविड-19 आपदा राहत कक्ष में, स्वास्थ्यकर्मी, मरीज़ों की देखभाल करते हुए.

कोविड-19: संक्रमण मामलों में तेज़ वृद्धि की वजह बना डेल्टा वैरिएंट

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 संक्रमण मामलों व मृतक संख्या में लगातार वृद्धि पर चिन्ता जताई है और कहा है कि कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट, अब तक 132 देशों में फैल चुका है.
 

पिछले सप्ताह लगभग 40 लाख मामलों की पुष्टि हुई और मौजूदा रुझानों के मद्देनज़र, अगले दो हफ़्तों में कोरोनावायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 20 करोड़ को पार सकती है. 

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयसेस ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि वास्तविक मामलों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. 

WHO के छह में से पाँच क्षेत्रों में, कोविड-19 संक्रमण के मामले औसतन, 80 फ़ीसदी तक बढ़े हैं, या पिछले चार सप्ताह में लगभग दोगुने हो गए हैं.”

“अफ़्रीका में, मृतक संख्या उसी अवधि में 80 फ़ीसदी तक बढ़ी हैं.”

महानिदेशक घेबरेयेसस के मुताबिक़ बढ़ोत्तरी के लिये मुख्य रूप से बेहद तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट ज़िम्मेदार है, जिसके मामले अब तक 132 देशों में सामने आ चुके हैं. 

उन्होंने बताया कि यूएन एजेंसी, विशेषज्ञों के अपने नैटवर्क के साथ मिलकर, डेल्टा वैरिएंट के इतनी आसानी व तेज़ी से फैलने की वजहों को समझने का प्रयास कर रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की है कि कोविड-19 वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है, और अब तक चिन्ता बढ़ाने वाले चार वैरिएंट उभर चुके हैं. 

जितने समय तक वायरस का फैलना जारी रहेगा, उसके नए रूपों व प्रकारों का उभरना भी जारी रहेगा. 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि सामाजिक स्तर पर घुलने-मिलने, आवाजाही बढ़ने और सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपाय सख़्ती से लागू नहीं किये जाने के कारण भी मामले बढ़ रहे हैं. 

“बेहद मुश्किल से हासिल की गई प्रगति जोखिम में है या खो रही है, और अनेक देशों में स्वास्थ्य प्रणालियाँ दरक रही हैं.” 

परीक्षणों पर ज़ोर

यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक़ वायरस के प्रति वैश्विक समझ को बेहतर बनाने के लिये रणनैतिक ढंग से परीक्षण किये जाने की आवश्यकता है. 

बताया गया है कि निम्न आय वाले देशों में, उच्च देशों की तुलना में महज़ दो फ़ीसदी परीक्षण ही किये जा रहे हैं, जिसकी वजह से बीमारी के प्रति समझ बढ़ाने और उसमें आ रहे बदलाव को समझना मुश्किल हो रहा है.

कोविड-19 संक्रमण मामल बढ़ने से जीवनरक्षक ऑक्सीजन सहित उपचारों की क़िल्लत भी बढ़ रही है. 29 देशों को बड़े स्तर पर ऑक्सीजन की ज़रूरत है और ये मांग बढ़ रही है. 

“अनेक देशों में अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा के लिये बुनियादी उपकरणों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है.”

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी देशों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में मदद प्रदान कर रही है. साथ ही देशों को वैरीएंट का पता लगाने के लिये दिशानिर्देश भी मुहैया कराए जा रहे हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य हर देश में, इस वर्ष सितम्बर तक कम से कम 10 फ़ीसदी, साल के अन्त तक 40 फ़ीसदी, और अगले साल के मध्य तक 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करना है.

विश्व में अब तक वैक्सीन ख़ुराकों की कुल संख्या की महज़ दो फ़ीसदी ही अफ़्रीकी देशों में दी जा सकी हैं. अफ़्रीकी महाद्वीप में केवल 1.5 प्रतिशत आबादी का ही पूर्ण टीकाकरण हो पाया है.