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वायरल हेपेटाइटिस की विकराल चुनौती, उन्मूलन प्रयासों में तेज़ी का आहवान

सीरिया के होम्स मेंं एक नवजात शिशु को पोलियो से बचाने वाली दवा की ख़ुराक पिलाते हुए एक नर्स.
© UNICEF/Faour
सीरिया के होम्स मेंं एक नवजात शिशु को पोलियो से बचाने वाली दवा की ख़ुराक पिलाते हुए एक नर्स.

वायरल हेपेटाइटिस की विकराल चुनौती, उन्मूलन प्रयासों में तेज़ी का आहवान

स्वास्थ्य

दक्षिण-पूर्व एशिया के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय (WHO SEARO) का कहना है कि वर्ष 2030 तक, सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे के रूप में वायरल हेपेटाइटिस को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये मौजूदा प्रयासों में तेज़ी लानी होगी.

क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बुधवार, 28 जुलाई, को ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ के अवसर पर अपनी प्राथमिकताओं की जानकारी देते हुए, उन पर तत्काल ध्यान दिये जाने की पुकार लगाई है. 

हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी, और ई, अचानक सामने आए या लम्बे समय से होने वाले गहन संक्रमण का कारण बन सकते हैं. इससे यकृत (Liver) में सूजन आती है जिससे लिवर कैंसर या सिरोसिस होने का ख़तरा बढ़ जाता है.   

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वर्ष 2019 में, दुनिया भर में, वायरल हेपेटाइटिस के कारण 11 लाख लोगों की मौत हुई.

हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिये एक सुरक्षित व कारगर वैक्सीन उपलब्ध है, और उसे ज़्यादा ना बढ़ने देने के लिये एण्टीवायरल दवाएँ भी मौजूद हैं.

साथ ही, हेपेटाइटिस सी के अधिकतर मामलों में उपचार करने वाली दवाओं के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है.  

विश्व भर में, 29 करोड़ से अधिक लोग, लम्बे समय से हेपेटाइटिस बी (chronic hepatitis B) और पाँच करोड़ 80 लाख लोग लम्बे समय से हेपेटाइटिस सी (chronic hepatitis C) की अवस्था में जीवन जीते हैं.   

दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में क़रीब छह करोड़ लोग लम्बे समय से हेपेटाइटिस बी और एक करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी की अवस्था में जी रहे हैं. 

वर्ष 2019 में, क्षेत्र में एक लाख 80 हज़ार लोगों की मौत हेपेटाइटिस बी की वजह से और 38 हज़ार की मौत हेपेटाइटिस सी के कारण हुई, जबकि इन्हें पूर्ण रूप से सम्भाला जा सकता है. 

तत्काल कार्रवाई का आहवान

इस वर्ष, ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ की थीम है – हेपेटाइटिस प्रतीक्षा नहीं कर सकता (Hepatitis can’t wait).

डॉक्टर खेत्रपाल सिंह ने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस उन्मूलन के लिये कार्रवाई करने में अब और देरी नहीं की जा सकती. हेपेटाइटिस की रोकथाम हो सकती है और उपचार भी सम्भव है. 

इसके बावजूद, हेपेटाइटिस सम्बन्धी बीमारियों के कारण एचआईवी और मलेरिया की तुलना में कहीं ज़्यादा संख्या में लोगों की मौत होती है - हर 30 सेकेण्ड में एक मौत.

इस क्रम में, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सभी देशों से हेपेटाइटिस पर जवाबी कार्रवाई में तेज़ी लाने और समयबद्ध लक्ष्य हासिल किये जाने का आहवान किया है. 

डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में, क्षेत्र में हेपेटाइटिस की रोकथाम की दिशा में प्रगति हुई है. 

क्षेत्र में स्थित 11 सदस्य देशों में से 9 देशों को, हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की तीसरी ख़ुराक की कवरेज 90 फ़ीसदी तक पहुँचाने में सफलता मिली है. चार देशों – बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, थाईलैण्ड – ने हेपेटाइटिस बी पर क़ाबू पाने के सम्बन्ध में लक्ष्य हासिल किये हैं. 

उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस से निपटने के लिये कि लभगग सभी क्षेत्रीय देशों ने रणनीतियाँ लागू करनी शुरू कर दी हैं.

इसके तहत एकीकृत व समन्वित कार्रवाई की जा रही है, महत्वपूर्ण आबादियों के साथ सम्पर्क स्थापित किया गया है और सामुदायिक व नागरिक समाज संगठनों की इस प्रक्रिया में एक अहम भूमिका है. 

अहम प्राथमिकताएँ

यूएन एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय ने पाँच प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी देते हुए उन पर तत्काल ध्यान दिये जाने की बात कही है:

-    राजनैतिक संकल्प को मज़बूती प्रदान की जानी होगी.

-    कार्रवाई के लिये पैरोकारी व जागरूकता प्रसार पर ज़ोर देना होगा.

-    निदान व उपचार के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुँच बेहतर बनानी होगी.

-    स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में इंजेक्शन की 100 प्रतिशत सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.

-    आपूर्ति श्रृंखला संचालन कार्रवाई व ख़रीद प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना होगा.

कोविड-19 के दौरान भी, यूएन एजेंसी अति आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ बरक़रार रखने के लिये सभी देशों को समर्थन मुहैया करा रही है – इनमें हेपेटाइटिस से मुक़ाबला करने के प्रयास भी हैं ताकि 2030 तक स्थापित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें. 

विश्व दिवस पर, यूएन एजेंसी ने नए हेपेटाइटिस संक्रमण मामलों में कमी लाने, परीक्षण व उपचार सभी ज़रूरतमन्दों के लिये उपलब्ध कराने और सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़तरे के रूप में इसका उन्मूलन करने के लिये अपना संकल्प दोहराया है. 

उन्होंने कहा कि साथ मिलकर तेज़ गति से व्यापक स्तर पर कार्रवाई करनी होगी, और किसी को भी पीछे नहीं छूटने देना होगा.