लेबनान: सार्वजनिक जल प्रणाली ध्वस्त होने के कगार पर, यूनीसेफ़ की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को चेतावनी जारी की है कि लेबनान में सार्वजनिक जल प्रणाली पर भीषण बोझ है और यह किसी भी क्षण ध्वस्त हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो कुल आबादी के 71 फ़ीसदी हिस्से, यानि 40 लाख से अधिक लोगों के लिये, जल आपूर्ति ठप हो जाने का तात्कालिक संकट खड़ा हो जाएगा.
यूएन एजेंसी का अनुमान है कि बढ़ते आर्थिक संकट, वित्तीय तंगी और क्लोरीन इत्यादि की क़िल्लत के कारण, अगले चार से छह हफ़्तों में अधिकांश जल पम्प ठप हो जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं.
"Lebanon's precious public water system is on life support."Without urgent action, @yukiemokuo warns of an increase in disease and the closure of schools and hospitals.https://t.co/zFD6iT8ru6
UNICEF
इन हालात में जल की क़ीमतें एक महीने में 100 फ़ीसदी तक बढ़ सकती हैं, और बड़ी संख्या में परिवारों को वैकल्पिक या निजी आपूर्ति पर निर्भर रहना होगा.
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि यूकी मोकुओ ने बताया, “सार्वजनिक जल प्रणाली की सुलभता में बाधा उत्पन्न होने की वजह से घर-परिवारों को जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता ज़रूरतों के सम्बन्ध में बेहद मुश्किल फ़ैसले लेने होंगे.”
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का यह अनुमान, लेबनान के चार प्रमुख सार्वजनिक जनोपयोगी सेवा कम्पनियों से मिले आँकड़ों पर आधारित है.
ये समीक्षा दर्शाती है कि 70 प्रतिशत से अधिक आबादी ‘बेहद गम्भीर’ और ‘गम्भीर’ परिस्थितियों में रह रही है.
लगभग 17 लाख लोगों को एक दिन में केवल 35 लीटर जल ही मिल पाता है, जबकि वर्ष 2020 से पहले राष्ट्रीय औसत 165 लीटर था.
पिछले कुछ महीनों में जल उपलब्धता में 80 फ़ीसदी तक की कमी आई है, और बोतलबन्द पानी की क़ीमतें एक साल में दोगुनी हो गई हैं.
“भरी गर्मी के महीनों में, जब डेल्टा वैरिएंट के कारण कोविड-19 के मामलों में फिर उछाल आ रहा है, लेबनान की मूल्यवान सार्वजनिक जल प्रणाली अन्तिम साँसें गिन रही है और किसी भी लम्हे ध्वस्त हो सकती है.”
यूनीसेफ़ के मुताबिक़ ईंधन, क्लोरीन, ज़रूरी पुर्ज़ों और अन्य मरम्मत कार्यों की न्यूनतम ज़रूरतों को पूरा करने के लिये चार करोड़ डॉलर की आवश्यकता है.
इस रक़म के ज़रिये, महत्वपूर्ण प्रणालियों को बरक़रार रख पाना सम्भव होगा.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि स्कूलों, अस्पतालों सहित अन्य सेवा केन्द्रों में कामकाज सुचारू रूप से चल पाना कठिन होगा और लाखों लोगों को मजबूरी में असुरक्षित व महंगी क़ीमतों वाले जल स्रोतों पर निर्भर रहना होगा.
इसका तात्कालिक दुष्प्रभाव सार्वजनिक स्वास्थ्य पर होने की आशंका है, जिससे देश में बीमारियों के मामले बढ़ सकते हैं.
विश्व बैंक के आँकड़े दर्शाते हैं कि लेबनान, 19वीं शताब्दी के मध्य से अब तक के तीन सबसे ख़राब वित्तीय व राजनैतिक संकटों से गुज़र रहा है.
लेबनान की मुद्रा वर्ष 2019 से, अपना 90 प्रतिशत मूल्य खो चुकी है और वर्ष 2018 से सकल घरेलू उत्पाद में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है.
पिछले सप्ताह यूएन की विशेष समन्वयक जोआना व्रोनेका ने नई सरकार के गठन पर सहमति ना बन पाने पर गहरा खेद प्रकट किया था.
उन्होंने आगाह किया था कि देश के नेताओं को अनेक चुनौतियों का सामना करने की ख़ातिर तत्काल साथ आना होगा.