लेबनान: बदहाल सामाजिक-आर्थिक हालात, 'नाज़ुक डोर से बंधा' आम लोगों का जीवन
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर और मानवीय राहत मामलों की समन्वयक नजत रोश्दी ने कहा है कि स्थानीय आबादी की आजीविकाएँ बर्बाद व आशाएँ धूमिल हो चुकी हैं और देश एक नाज़ुक डोर से लटक रहा है. उन्होंने देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों के मद्देनज़र और बिगड़ती स्थिति से निपटने के लिये, आपात राहत योजना की अवधि बढ़ाए जाने की घोषणा की है.
नजत रोश्दी ने गुरूवार को एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए बताया कि वो युवा जिनका सपना केवल स्कूल जाने का था, उन्हें अपने परिवार के भरण-पोषण के लिये अनौपचारिक रोज़गार चुनने पड़ रहे हैं.
“अन्य लोग हताश होकर अन्यत्र एक नए जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं, जिससे देश की सम्पन्न और होनहार मानव पूंजी लगभग समाप्त हो जाएगी.”
Today 🇺🇳Resident &Humanitarian Coordinator @rochdi_najat announced the extension of the Emergency Response Plan for #Lebanon due to the increasing humanitarian needs & mounting no. of vulnerable people in dire need of assistance. Read her full statement👉https://t.co/D3322sGX1t pic.twitter.com/mAAughNEdE
UN_Lebanon
विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार, इस वर्ष वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.5 प्रतिशत सिकुड़ने की सम्भावना है – 2021 में यह आँकड़ा 10.5 प्रतिशत और 2020 में 21.4 प्रतिशत था.
मुद्रा का तेज़ी से अवमूल्यन हुआ है, जबकि मुद्रास्फीति में 890 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है.
यूक्रेन में युद्ध के कारण देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ बद से बदतर हो रही हैं. लेबनान में गेहूँ भण्डार ख़त्म हो रहे हैं, ईंधन क़ीमतें बढ़ रही हैं और खाद्य सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा हो गया है.
जैसे-जैसे बेरोज़गारी बढ़ रही है, मासिक न्यूनतम आय घटकर 25 डॉलर से भी कम रह गई है.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जनवरी में जारी एक सर्वेक्षण दर्शाता है कि लेबनान में क़रीब एक-तिहाई श्रम बल बेरोज़गार है, और बेरोज़गारी वर्ष 2018-2019 में 11.4 प्रतिशत से बढ़कर इस साल 29.6 फ़ीसदी तक पहुँच गई है.
चिन्ताजनक आँकड़े
वैश्विक बाज़ारों में कच्चे तेल की क़ीमतों में वृद्धि की वजह से गैस व डीज़ल की क़ीमतें बढ़ी हैं, और उसके परिणामस्वरूप लेबनान की जनता के लिये दैनिक जीवन प्रभावित हुआ है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इससे हज़ारों परिवारों के खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और सम्भवत: भूख की चपेट में आने का जोखिम है.”
हाल ही में कराए गए एक आकलन के अनुसार, इस वर्ष के अन्त तक, 22 लाख लोगों की भोजन व अन्य बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये समर्थन की दरकार होगी. पिछले वर्ष की तुलना में यह 46 प्रतिशत वृद्धि है.
90 प्रतिशत से अधिक परिवार सस्ता भोजन करने, 60 फ़ीसदी अपने आहार का आकार घटाने, और 41 प्रतिशत दिन में आहार की मात्रा घटाने के लिये मजबूर हैं.
निराशाजनक स्थिति
नजत रोश्दी ने मौजूदा चुनौतियों के मद्देनज़र, एक व्यापक और समावेशी सामाजिक संरक्षा नीति की अहमियत को रेखांकित किया है.
उन्होंने इसे एकमात्र ऐसी रणनीति बताया है, जिससे अल्पकालिक आपात उपायों और दीर्घकालिक अधिकार-आधारित तौर-तरीक़ों के बीच मानवीय सहायता के समाधान की तलाश की जाए.
देश में स्वास्थ्य सैक्टर ध्वस्त होने के कगार पर है और 19 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत है. पिछले वर्ष अगस्त से यह आँकड़ा 43 फ़ीसदी बढ़ा है.
रैज़ीडेण्ड कोऑर्डिनेटर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि अस्पताल में भर्ती होने की क़ीमतों में उछाल आया है, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर बहुत बोझ है, दवाओं की क़ीमतें अत्यधिक हैं और चिकित्सा सामग्री व बिजली की क़िल्लत है.
उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि लेबनान में संकट से हर कोई, हर जगह प्रभावित हुआ है, और महिलाओं को इसका एक बड़ा ख़मियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. देश में लिंग-आधारित हिंसा, यौन शोषण और दुर्व्यवहार के मामले बढ़ रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का कहना है कि लाखों बच्चे भूखे सोने के लिये मजबूर हो रहे हैं, उनके लिये स्वास्थ्य सेवा मुहैया नहीं है, और उन्हें शिक्षा छोड़कर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिये काम करना पड़ता है.

संकट पर जवाबी कार्रवाई
मानवीय राहत समन्वयक के नेतृत्व में, संयुक्त राष्ट्र की टीम ने 12 महीने की एक समन्वित रणनीति जारी की है, जिसमें अल्पकालिक समाधानों के स्थान पर सतत समाधान पर बल दिया गया है ताकि गहराते संकट के बुनियादी कारणों से निपटा जा सके.
अगस्त 2021 के बाद से अब तक, इस योजना के तहत 19 करोड़ 70 लाख डॉलर एकत्र किये गए हैं, जिसके ज़रिये छह लाख निर्बलों को मदद पहुँचाई जाएगी, जिनमें प्रवासी व फ़लस्तीनी शरणार्थी भी हैं.
तब से इस वर्ष अप्रैल महीने तक, साढ़े छह लाख लोगों के लिये मासिक खाद्य सहायता भी प्रदान की गई है और क़रीब दो लाख 86 हज़ार लोगों को साफ़ जल प्रदान किया जा रहा है.
600 से अधिक स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में आपात परिस्थितियों के लिये ईंधन का प्रावधान किया गया है.
लेकिन, 22 लाख ज़रूरतमन्द लेबनानी नागरिकों, 86 हज़ार प्रवासियों, दो लाख से अधिक फ़लस्तीनी शरणार्थियों और 15 लाख सीरियाई शरणार्थियों व उनकी ज़रूरतों के कारण, इस चुनौती के टिकाऊ समाधान की तलाश करने पर बल दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र ने आपात राहत योजना की अवधि 2022 के अन्त तक के लिये बढ़ा दी है और निर्बल समुदायों व व्यक्तियों की मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, 16 करोड़ 30 लाख डॉलर की आवश्यकता होगी.