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टैक्नॉलॉजी का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल एक बड़ा ख़तरा, ‘सतर्कता ज़रूरी’

डिजिटल युग में सरकारें, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये निगरानी टैक्नॉलॉजी का सहारा ले रही हैं.
© UNICEF/Elias
डिजिटल युग में सरकारें, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये निगरानी टैक्नॉलॉजी का सहारा ले रही हैं.

टैक्नॉलॉजी का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल एक बड़ा ख़तरा, ‘सतर्कता ज़रूरी’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव और निरस्त्रीकरण मामलों पर उच्च प्रतिनिधि इज़ुमी नाकामित्सु ने आगाह किया है कि प्रौद्योगिकी के लाभ उठाते समय साइबर जगत में पनपती सुरक्षा चिन्ताओं को भी ध्यान में रखना होगा. 

विश्व भर में साढ़े चार अरब से अधिक लोग इण्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं और डिजिटल माध्यमों ने मानव जीवन में बड़े बदलाव किये हैं.

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यूएन अवर महासचिव ने साइबर जगत में शान्ति व सुरक्षा के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि टैक्नॉलॉजी के दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल से भावी पीढ़ी के लिये ख़तरे पैदा हो सकते हैं. 

“डिजिटल टैक्नॉलॉजी से मौजूदा क़ानूनी, मानवीय और आचार-शास्त्र मानकों, अप्रसार, अन्तरराष्ट्रीय स्थिरता और शान्ति व सुरक्षा पर लगातार दबाव बढ़ रहा है.”

वर्ष 2022 तक, इण्टरनेट से 28 अरब 50 करोड़ नैटवर्क यंत्रों के जुड़े होने का अनुमान है, वर्ष 2017 में यह आँकड़ा 18 अरब था. उन्होंने आगाह किया कि इन क्षेत्रों तक पह के अवरोध टूट रहे हैं.

ग़लत जानकारी के फैलने से लेकर जानबूझकर नैटवर्क व्यवधानों तक, हाल के वर्षों में ऐसी दुर्भावनापूर्ण घटनाओं की संख्या में नाटकीय वृद्धि हुई है जिनमें सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी को निशाना बनाया गया. 

यूएन की वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इससे सदस्य देशों के बीच भरोसा दरक रहा है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये ख़तरा बढ़ रहा है.

अवर महासचिव नाकामित्सु ने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर साइबर हमलों की बढ़ती संख्या के सम्बन्ध में, यूएन महासचिव की उन चिन्ताओं का उल्लेख किया. 

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से इन घटनाओं की रोकथाम करने और उन पर विराम लगाने की पुकार लगाई है. 

निरस्त्रीकरण मामलों की प्रमुख नाकामित्सु ने कहा कि ऑनलाइन हिंसक चरमपंथ और तस्करी की घटनाओं से महिलाओं, पुरुषों व बच्चों पर असर हुआ है जिसे अक्सर नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है. 

यही हालात साइबर माध्यमों पर पीछा किया जाना, अंतरंग साथी के साथ हिंसा और निजी जानकारी व तस्वीरों का बग़ैर सहमति आदान-प्रदान करना है. 

इज़ुमी नाकामित्सु ने स्पष्ट किया कि इन वजहों को ध्यान में रखते हुए, डिजिटल जगत में निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में महिलाओं व पुरुषों की समान, पूर्ण व कारगर सहभागिता को सुनिश्चित करना होगा.

सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी के उभरते ख़तरों के साथ-साथ उनसे निपटने के लिये प्रयास भी तेज़ हो रहे हैं. 

पिछले एक दशक में सरकारों के स्तर पर, विशेषज्ञ समूह ने अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिये मौजूदा व पनपते ख़तरों से निपटने के सम्बन्ध में अनुशन्साएँ तैयार की हैं. 

इन प्रयासों के तहत विश्वास बढ़ाने, क्षमता निर्माण करने और सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिये उपाय किये गए हैं और एक वर्किंग समूह के ज़रिये ठोस. कार्रवाई आधारित सिफ़ारिशों को अपनाया गया है. 

यूएन अधिकारी के मुताबिक अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से सदस्य देशों की है, मगर समाज भी इसका एक अहम हिस्सा है और प्रतिभागियों को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.