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मानवाधिकारों को मज़बूती व शान्ति को बढ़ावा देने वाले डिजिटल जगत का आहवान

सीरियाई मूल की लड़कियाँ मिस्र में एक टैक्नॉलॉजी लैब के बाहर स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर रही हैं.
© UNICEF/Shehzad Noorani
सीरियाई मूल की लड़कियाँ मिस्र में एक टैक्नॉलॉजी लैब के बाहर स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर रही हैं.

मानवाधिकारों को मज़बूती व शान्ति को बढ़ावा देने वाले डिजिटल जगत का आहवान

आर्थिक विकास

नई टैक्नॉलॉजी की सम्भावनाओं से दमकती दुनिया एक ऐसे युग में प्रवेश कर रही है जहाँ वैश्विक शान्ति, स्थिरता और विकास के लिये नए जोखिम भी मौजूद हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बुधवार को महासभा के 75वें सत्र के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में बेहतर भविष्य की ख़ातिर सर्वजन के लिये डिजिटल टैक्नॉलॉजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने डिजिटल सहयोग पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए अपने वीडियो सन्देश में कहा कि संयुक्त राष्ट्र की नींव 75 वर्ष पहले परमाणु युग की शुरुआत में रखी गई. 

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इसके गठन का उद्देश्य दुनिया की सबसे गम्भीर चुनौतियों से निपटने, शान्ति स्थापित करने और भावी पीढ़ियों की सुरक्षा के लिये एक वैश्विक मंच प्रदान करना था. 

उन्होंने एक बुनियादी सवाल पूछते हुए कहा, “हम अपने बच्चों के लिये किस तरह की दुनिया छोड़ कर जा रहे होंगे?”

क्या यह उन टैक्नॉलॉजी साधनों की विरासत होगी जिनसे महज़ साधन-सम्पन्न और सबसे ज़्यादा कनेक्टिविटी वाले समाजों को बढ़ावा मिले या फिर हम उन्हें एक ऐसी डिजिटल दुनिया सौंपेंगे जिससे मानवाधिकारों को मज़बूती मिले, शान्ति को बढ़ावा मिले, और कमज़ोर तबकों के साथ-साथ सभी लोगों का जीवन बेहतर हो.

महासचिव गुटेरेश ने आगाह करते हुए कहा कि विस्तृत सम्भावनाओं और मंडराती चुनौतियों से भरे डिजिटल जगत में वैश्विक सुशासन और सहयोग की आवश्यकता होगी, जिसमें सभी सैक्टरों को एक साथ लाने में यूएन अहम भूमिका निभा सकता है.

उन्होंने फिर ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी ने डिजिटल टैक्नॉलॉजी में खाई सहित अनेक वैश्विक विषमताओं को उजागर करते हुए उन्हें और ज़्यादा बनाया है.

इसके मद्देनज़र कोविड-19 महामारी से निपटने की जवाबी कार्रवाई में अर्थव्यवस्थाओं व स्वास्थ्य प्रणालियों को दुरुस्त बनाए रखने में टैक्नॉलॉजी की भूमिका समझते हुए युवाओं को सिखाने व हर एक इनसान को जोड़ने की ज़रूरत ध्यान में रखनी होगी.  

यूएन प्रमुख ने डिजिटल सहयोग के लिये अपने रोडमैप का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह एक सुरक्षित ऑनलाइन जगत की दिशा में यह मार्ग प्रशस्त करता है – सभी को जोड़ना और किफायती, समावेशी व अर्थपूर्ण कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना, ऑनलाइन व ऑफ़लाइन.

मानवाधिकारों की रक्षा के लिये डिजिटल टैक्नॉलॉजी का सम्मान करना, और सायबर हमलों, ग़लत सूचनाओं व सभी लोगों के लिये ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना.

डिजिटल खाई को पाटना होगा 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि सार्वभौमिक कनेक्टिविटी और सार्वजनिक कल्याण के रूप में डिजिलट टैक्नॉलॉजी की उपलब्धता के सन्दर्भ में  रोडमैप की सिफ़ारिशें हर व्यक्ति को सुरक्षित व किफ़ायती ढँग से ऑनलाइन जगत से जोड़ने के लिये ज़रूरी हैं. 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर से उबरने और पुनर्निर्माण में बच्चों व परिवारों को सहारा देने के लिये दोनों अहम औज़ार हैं. 

उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर किया कि जो लाखों-करोड़ों बच्चे व युवा ऑनलाइन माध्यमों की पहुँच से दूर हैं, वे पढ़ाई-लिखाई व कौशल विकसित नहीं कर पा रहे हैं, और अपने लिये बेहतर भविष्य को बुनने का अवसर खो रहे हैं. 

ये भी पढ़ें - कोविड-19: संकट के बाद की दुनिया में डिजिटल सहयोग के लिये नया रोडमैप

यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि यूनीसेफ़ ने अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के साथ मिलकर एक नई महत्वाकाँक्षी पहल (GIGA) शुरू की गई है जिसका उद्देश्य हर स्कूल और उसके आस-पास के समुदाय को इण्टरनेट से जोड़ना है. 

इससे अरबों युवाओं को सूचना जगत तक पहुँचने और असीमित अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि शिक्षा की नए सिरे से कल्पना किये जाने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें ऑनलाइन पढ़ाई की भी व्यवस्था होगी – दूरस्थ पढ़ाई के लिये शिक्षा पासपोर्ट जैसा एक मंच.

GIGA पहल के ज़रिये विश्व भर में 22 करोड़ बच्चों तक पहुँचने में सफलता मिली है. 

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि इस पहल के अन्तर्गत मोबाइल फ़ोन कम्पनियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है ताकि ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई के लिये साधनों की सुलभता सम्भव हो. 

साथ ही इससे छात्रों तक ऐसे उपकरण पहुँचाने में मदद मिलेगी जिनमें पहले से प्रासंगिक और सुलभ पाठ्यक्रम मौजूद होगा.