यूएन प्रमुख और रूसी राष्ट्रपति के बीच बहुपक्षवाद की अहमियत पर चर्चा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने गुरुवार को आपसी बातचीत के दौरान बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने हेतु, नए सिरे से संकल्प लिये जाने की अहमियत पर चर्चा की है. यूएन प्रमुख, रूस सरकार के निमंत्रण पर फ़िलहाल मॉस्को में हैं जहाँ उनकी अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाक़ात होगी.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन में गुरुवार को हुई यह बैठक वर्चुअली आयोजित की गई.
दोनों नेताओं ने चर्चा के दौरान बहुपक्षवाद, एकजुटता और पारस्परिक सहयोग के लिये संकल्प मज़बूत किये जाने की अहमियत पर बल दिया.
अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा विश्वव्यापी महामारी कोविड-19, जलवायु परिवर्तन समेत अन्य वैश्विक चुनौतियों से निपटने में इन सिद्धान्तों को अहम माना गया है.
इसके अलावा, गुरुवार को हुई बैठक में अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय शान्ति, सुरक्षा और मानवीय मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ.
हिंसक संघर्ष व टकरावों को राजनैतिक सम्वाद, आपसी सम्मान व समझदारी से सुलझाये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया.
यूएन प्रमुख ने आदर-सत्कार और संयुक्त राष्ट्र के प्रति रूसी समर्थन के लिये सरकार व जनता का आभार प्रकट किया.
महासचिव गुटेरेश ने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र, रूस के साथ अपने सम्बन्धों को, संगठन के कामकाज के तीन प्रमुख स्तम्भों पर मज़बूत करना चाहता है – शान्ति एवँ सुरक्षा, टिकाऊ विकास, जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता और मानवाधिकार.
मानद डिग्री
गुरुवार को ही, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों पर मॉस्को राज्य संस्थान (Moscow State Institute of International Relations) ने यूएन प्रमुख को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया, जिसे उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की ओर से स्वीकार किया है.
महासचिव गुटेरेश ने प्रोफ़ेसरों और छात्रों को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि इस विश्वविद्यालय का मॉडल यूएन कार्यक्रम का नाम, स्वर्गीय राजनयिक विटले चुरकिन को श्रृद्धांजलि स्वरूप रखा गया था.
विटले चुरकिन न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थाई प्रतिनिधि के तौर पर सेवारत रहे और वर्ष 2017 में उनका निधन हुआ.
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन के दौरान मौजूदा महामारी समेत, देशों के समक्ष मौजूद अन्य साझा चुनौतियों और उनसे निपटने के रास्तों का उल्लेख किया
उन्होंने आगाह किया कि महामारी के अन्त के लिये हर स्थान पर, हर किसी को वैक्सीन उपलब्ध कराई जानी अहम है, मगर अनेक निम्न आय वाले देशों में वैक्सीन की ख़ुराकें नहीं पहुँची हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 वैक्सीनों को विश्व कल्याण की वस्तु के रूप में देखा जाना होगा.