वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

वैश्विक महामारी के रोकथाम उपायों में व्यापक फेरबदल की पुकार

नेपाल में स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चों पर डटे कर्मचारियों को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक दी जा रही है.
© UNICEF/Preena Shrestha
नेपाल में स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चों पर डटे कर्मचारियों को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक दी जा रही है.

वैश्विक महामारी के रोकथाम उपायों में व्यापक फेरबदल की पुकार

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा नियुक्त एक पैनल ने अपनी रिपोर्ट में वैश्विक महामारियों के ख़तरों व विनाशकारी असर से निपटने के लिये निडर कार्रवाई का आग्रह किया है. महामारी की तैयारी एवँ जवाबी कार्रवाई के लिये अन्तरराष्ट्रीय पैनल (Independent Panel for Pandemic Preparedness and Response) ने अपनी रिपोर्ट में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को ज़्यादा अधिकार दिये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है.

लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति और पैनल के सह-अध्यक्ष ऐलेन जॉनसन सरलीफ़ ने कहा, “हमारा सन्देश सरल व स्पष्ट है: मौजूदा प्रणाली, कोविड-19 से हमारी रक्षा करने में विफल रही.”

“अगर हम इसे बदलने के लिये अभी कार्रवाई नहीं करते, तो यह महामाही के अगले ख़तरे से हमारी रक्षा नहीं करेगी, जो कभी भी घटित हो सकता है.”

Tweet URL

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने इस स्वतंत्र पैनल का गठन किया था, जिसन अब तक लिये गए सबक़ की आठ महीने तक समीक्षा करने के बाद अपने निष्कर्ष व सिफ़ारिशें साझा की हैं.

न्यूज़ीलैण्ड की पूर्व प्रधानमंत्री और पैनल की सह-अध्यक्ष हेलेन क्लार्क ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि, “कोविड-19 के कारण हुई गम्भीर बीमारियों, मौतों, और सामाजिक-आर्थिक क्षति पर विराम लगाने के लिये औज़ार उपलब्ध हैं.”

उनके मुताबिक इस विनाश को फिर होने से रोकने के लिये, नेताओं के पास कार्रवाई के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.

“मौजूदा प्रणाली – राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर – कोविड-19 से लोगों की रक्षा करने के लिये पर्याप्त नहीं थी.”

पैनल ने अपनी रिपोर्ट के सम्बन्ध में जारी वक्तव्य में कहा, “दिसम्बर 2019 के मध्य से अन्त तक, अज्ञात स्रोत से हुए न्यूमोनिया के अनेक मामलों की रिपोर्टिग से लेकर, अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वनजिक स्वास्थ्य आपात स्थिति को घोषित करने में जितना समय लगा, वो बेहद लम्बा था.”

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में सिलसिलेवार ढँग से घटनाक्रम और हालात से निपटने के लिये उठाए गए क़दमों की जानकारी दी है.

पैनल के मुताबिक फ़रवरी 2020 का महीना व्यर्थ गवाँ दिया गया.

ऐसा इसलिये हुआ, चूँकि चीन के वूहान में शुरुआती मामलों के सामने आने और 30 जनवरी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा के बाद,  बहुत से अन्य देश, कोरोनावायरस के फैलाव को रोकने के लिये बहुत कुछ कर सकते थे.  

'रोकथाम सम्भव'

सर-अध्यक्ष जॉनसन सरलीफ़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रीय राजधानियों के कक्षों में अतीत के स्वास्थ्य संकटों की समीक्षा की रिपोर्टें भरी पड़ी हैं.

“अगर उन चेतावनियों पर ध्यान दे दिया जाता, तो हम मौजूदा विनाशकारी हालात से बच सकते थे.”

रिपोर्ट बताती है कि तेज़ कार्रवाई के ज़रिये वैश्विक स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में हुई तबाही को रोका जा सकता था.

“यह स्पष्ट है कि मौजूदा प्रणाली एक और नए व बेहद संक्रामक वायरस को महामारी में तब्दील होने से रोकने में अक्षम है, जो किसी भी समय उभर सकता है.”

पैनल ने अपनी सिफ़ारिशों में राष्ट्राध्यक्षों से आग्रह किया है कि कारगर साबित हो चुके सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को आगे बढ़कर अपनाना होगा ताकि महामारी का अन्त किया जा सके.

साथ ही भावी महामारियों व दुनिया भर में उनके फैलाव की रोकथाम के लिये सुधारों को लागू किया जाने पर बल दिया गया है.  

पैनल के मुताबिक जिन उच्च-आय वाले देशों के पास वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, उन्हें सितम्बर 2021 तक कोवैक्स पहल के तहत 92 निम्न और मध्य-आय वाले देशों में कम से कम एक अरब ख़ुराक मुहैया कराने का संकल्प लेना चाहिए.   

इसके अतिरिक्त, वैक्सीन उत्पादन में जुटे देशों व कम्पनियों को टीकों के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को साझा करने पर सहमत होने की अपील की गई है.