कोविड-19: ‘रीजेनेरॉन’ दवा मिश्रण, उपचार में सहायक, क़ीमतों में कटौती की अपील
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘रीजेनेरॉन’ (Regeneron) एण्टीबॉडी दवा मिश्रण को, कुछ शर्तों के साथ, कोविड-19 मरीज़ों के उपचार की सूची में शामिल किया है. यूएन एजेंसी ने शुक्रवार को इस आशय की जानकारी देते हुए इस उपचार को न्यायोचित ढंग से उपलब्ध कराने के लिये दवाओं की क़ीमत कम करने की भी अपील जारी की है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में क्लीनिकल देखभाल विभाग की प्रमुख डॉक्टर जैनेट डियाज़ ने बताया कि कोविड-19 मरीज़ों की देखभाल में रीजेनेरॉन’ मिश्रण - casirivimab और imdevimab - एक बड़ी प्रगति है.
उन्होंने कहा कि मामूली से सामान्य लक्षणों वाले मरीज़ों के उपचार के लिये यह हमारी पहली सिफ़ारिश है, चूँकि इसकी मदद से ज़्यादा जोखिम वाले संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत कम हो जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दवाओं के इस मिश्रण का उन मरीज़ों पर सशर्त इस्तेमाल किये जाने की बात कही है, जो गम्भीर रूप से बीमार नहीं हैं, मगर कोविड-19 की वजह से जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने का जोखिम अधिक है.
या फिर ऐसे मरीज़ जो गम्भीर रूप से संक्रमित हैं और जिनके शरीर में एण्टीबॉडीज़ नहीं हैं.
डॉक्टर डियाज़ ने जिनीवा में जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे मरीज़ों को अतिरिक्त एण्टीबॉडीज़ दिये जाने का सकारात्मक असर दिखाई देता है. “और वो असर क्या है? मृत्यु दर में गिरावट.”
अमेरिका में पिछले वर्ष एण्टीबॉडी थेरेपी के आपात इस्तेमाल की अनुमति तब प्रदान की गई थी, जब वायरस संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती किये गए पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के उपचार में इसका प्रयोग किया गया था.
ब्रिटेन ने भी रीजेनेरॉन को स्वीकृति दे दी है, जबकि योरोप में इसकी समीक्षा चल रही है.
रीजैनेरॉन, इस दवा को बनाने वाली कम्पनी का नाम है.
कैंसर सहित अनेक बीमारियों के उपचार के लिये, यह दवा, कई दशकों से बाज़ार में उपलब्ध रही है.
एण्टीबॉडी वाला उपयार पिछले वर्ष ही विकसित किया गया है और इसका अवलोकन कोविड-19 में किया जा रहा है, कैंसर के लिये नहीं.
सार्थक लाभ
यूएन एजेंसी की ये सिफ़ारिशें मुख्यत:, ब्रिटेन में नौ हज़ार मरीज़ों पर किये गए एक अध्ययन पर आधारित हैं.
अध्ययन के मुताबिक़ इस उपचार के ज़रिये अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों की मौतों में कमी लाने में सफलता मिली – ऐसे संक्रमित लोग जिनकी ख़ुद की प्रतिरोधक प्रणाली वायरस का कारगर ढंग से मुक़ाबला नहीं कर पा रही थी.
डॉक्टर डियाज़ का कहना है कि ब्रिटेन के इस अध्ययन से मिली जानकारी अब अन्य लोगों के उपचार में इस्तेमाल की जा रही है.
“हमने देखा कि इसका लाभ हुआ था, हमारे विचार से यह सार्थक था.”
यह उपचार दशकों से, कैंसर सहित कई अन्य बीमारियों के लिये उपलब्ध रहा है.
यह दवाओं की एक ऐसी श्रेणी पर आधारित है जिन्हें मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज़ कहा जाता है.
इनसे उसी तरह एण्टीबॉडीज़ बनती हैं, जैसा कि मानव शरीर संक्रमणों का मुक़ाबला करने के लिये स्वाभाविक रूप से तैयार करता है.
क़ीमत में कटौती की अपील
स्विट्ज़रलैण्ड की औषधि निर्माता कम्पनी ‘Roche’, एण्टीबॉडी उपचार के लिये ‘रीजनेरॉन’ के साथ साझीदारी में काम कर रही है, जिसके पास इसका पेटेण्ट है.
डॉक्टर डियाज़ ने ‘रीजेनेरॉन’ से दवा की क़ीमत को कम करने और उसके दुनिया भर में न्यायसंगत वितरण का आग्रह किया है ताकि इसके जीवनरक्षक फ़ायदे, निम्न व मध्य आय वाले देशों तक पहुँचाए जा सकें.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, दान के लिये कम्पनी के साथ विचार-विमर्श में जुटी है ताकि संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के ज़रिये इसे वितरित किया जा सके.
स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इसके समानान्तर, औषधि निर्माता कम्पनियों के नाम एक अपील जारी की गई है, ताकि इच्छुक कम्पनियाँ, अपने उत्पाद, पूर्व अनुमति के लिये भेज सकें.
एजेंसी के अनुसार इससे उत्पादन में तेज़ी लाने, उपचार की उपलब्धता बढ़ाने और उसका दायरे विस्तृत बनाने में सहायता मिलेगी.