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युवा फ़ोरम: अन्याय, कुशासन से जूझती दुनिया में, बेहतरी के ठोस उपायों का आहवान

इथियोपिया में लड़कियों को अपने समुदायों में ख़तना प्रथा के नुक़सानों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है.
© UNICEF/Meklit Mersha
इथियोपिया में लड़कियों को अपने समुदायों में ख़तना प्रथा के नुक़सानों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है.

युवा फ़ोरम: अन्याय, कुशासन से जूझती दुनिया में, बेहतरी के ठोस उपायों का आहवान

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विश्व नेताओं को सुनी-सुनाई, पुरानी बातों से आगे बढ़कर, युवाओं के लिये एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस उपाय करने होंगे. यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बुधवार को आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) की दसवीं युवा फ़ोरम बैठक को सम्बोधित करते हुए ये बात कही है. इस बैठक में 11 हज़ार से युवाओं ने वर्चुअल माध्यम से शिरकत की है.

यूएन प्रमुख ने युवाओं के इस ऑनलाइन कार्यक्रम व उसमें युवाओं की भागीदारी को एक ऐसा मंच क़रार दिया है जोकि युवाओं के सामने पेश चुनौतियों से निपटने के नज़रिये से महत्वपूर्ण है.

इनमें अन्य चुनौतियों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी भी है, जिसकी वजह से हर आठ में से एक युवा, शिक्षा से वंचित हो गए हैं, जिनमें एक बड़ी संख्या लड़कियों की है.

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हर छह में से एक युवा बेरोज़गार हैं, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं.

महासचिव गुटेरेश ने कहा, "इस सन्दर्भ में, हमें हैरानी नहीं होनी चाहिये कि ऑनलाइन व आम स्थानों, दोनों जगहों पर, बदलाव की रफ़्तार के प्रति युवा अपनी अधीरता प्रदर्शित कर रहे हैं...और अन्याय व कुशासन के लिये हताशा जता रहे हैं."

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि शिक्षा, रोज़गार, पर्यावरण संरक्षा और डिजिटल जुड़ाव में ठोस प्रगति की आवश्यकता है.

और इसे एक न्यायोचित, समावेशी, हरित व टिकाऊ पुनर्बहाली के ज़रिये साकार किया जाना होगा.

उन्होंने बताया कि यूएन प्रणाली में युवाओं पर केन्द्रित रणनीति, Youth2030, के ज़रिये युवाओं के लिये और उनके साथ मिलकर काम करने का संकल्प मज़बूत किया जा रहा है.

युवाओं की भागीदारी अहम

युवा मामलों की दूत जयाथमा विक्रमानायके ने बताया कि 11 हज़ार से ज़्यादा युवाओं ने इस फ़ोरम में वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया. यूएन के इतिहास में यह पहली बार है जब इतने व्यापक स्तर पर किसी कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी हुई है.

युवा मामलों की दूत ने कहा कि दुनिया भर में एक अरब 80 करोड़ युवा, जिन मुद्दों का सामना कर रहे हैं, वे पहले किसी भी पीढ़ी के सामने पेश नहीं आए.

इनमें जलवायु संकट, हिंसा व संघर्ष और विषमतापूर्ण प्रणालियाँ हैं, जिनसे युवाओं की ज़िन्दगी और भविष्य के लिये ख़तरा पैदा हो गया है.

उन्होंने कहा कि दुनिया एक दोराहे पर खड़ी है और पिछले वर्ष की चुनौतियों के बावजूद, यह बेहतर ढंग से पुनर्बहाली करने, यथास्थितिवाद का नए सिरे से आकलन करने और न्याय, समानता, टिकाऊपन जैसे मूल्यों पर आधारित नए सामान्य हालात (new normal) का निर्माण करने का समय है.

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के प्रमुख मुनीर अकरम के अनुसार यह फ़ोरम, पिछले एक दशक के संकटों व उपलब्धियों पर मनन का अवसर है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा कोरोनावायरस संकट को हराने के लिये हर एक व्यक्ति के लिये, हर स्थान पर न्यायसंगत ढंग से वैक्सीन का वितरण किया जाना होगा.

बताया गया है कि महामारी जनित आर्थिक मन्दी से उबरने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेण्डा के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिये यह महत्वपूर्ण है.

साथ ही उन्होंने ध्यान दिलाया है कि आर्थिक, सामाजिक, नस्लीय और लैंगिक विषमताओं पर पार पाने की आवश्यकता है, जोकि अब एक महामारी का रूप ले रही हैं.

नए समाधानों की तलाश

आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के अध्यक्ष ने नस्लवाद, चरमपन्थ और फ़ासीवाद को हराने का आहवान किया है.

उन्होंने एक अपील जारी करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी ऊर्जा, विचारों, निडरता, कल्पनाशीलता व नवाचार प्रेरित समाधानों के साथ एक शान्तिपूर्ण, समृद्ध व समान विश्व व्यवस्था के सृजन में योगदान देना होगा.

यूएन महासभा के प्रमुख वोल्कान बोज़किर ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी आवाज़ बुलन्द और अपने अनुभव अन्य लोगों के साथ साझा करने होंगे.

उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी बात कहने का मौक़ा दिया जा रहा है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी युवाओं की भी है कि वे उन सबसे निर्बलों की आवाज़ों को मुखर करें, जिनके स्वर अभी यूएन तक नहीं पहुँच पाए हैं.

महासभा अध्यक्ष ने कहा कि युवाओं को अपनी शक्ति पर सन्देह किये बग़ैर, ऐसे समाधान ढूँढने होंगे जिनसे मानवता के अस्तित्व पर मंडराते ख़तरों से निपटा जा सके.