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कोविड-19: युवाओं के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाने की ज़रूरत

बांग्लादेश के जैसोर में एक लड़का अपनी माँ के साथ पढ़ाई कर रहा है.
© UNICEF/Shafiqul Alam Kiron
बांग्लादेश के जैसोर में एक लड़का अपनी माँ के साथ पढ़ाई कर रहा है.

कोविड-19: युवाओं के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाने की ज़रूरत

स्वास्थ्य

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण युवाओं के कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य पर असर हुआ है. कोरोनावायरस संकट की नई वास्तविकताओं के मद्देनज़र युवा अपनी जि़न्दगी को किस तरह ढाल सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य का ख़याल रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने इसी विषय पर बुधवार को एक वेबिनार का आयोजन किया जिसमें महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी शिरकत की. 

युवा मामलों की दूत जयाथमा विक्रमानायके वेबिनार सीरिज़  की संचालक हैं जिसे उनके कार्यालय के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने साझा रूप से प्रायोजित किया है. 

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उन्होंने कहा, “चाहे हम फ़िलहाल तालाबन्दी वाले देशों में रह रहे हों या फिर ऐसे स्थानों पर जहाँ जीवन धीरे-धीरे फिर पटरी पर लौट रहा है, हम एक ऐसी वास्तविकता का सामना कर रहे हैं जो पहले से कहीं अलग है.”

‘Coping with COVID’ नामक इस सत्र के ज़रिये युवाओं को अनिश्चितता के इस माहौल में आपस में जुड़ने के लिए एक मंच मिला. साथ ही इसके माध्यम से युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य व मनोचिकित्सक सेवाओं को मज़बूत बनाने की माँग को सामने लाने का भी प्रयास किया गया.  

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि वैश्विक महामारी ने हमारे समाजों की ख़ामियों को उजागर और बेहतर पुनर्बहाली की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

जब उनसे पूछा गया कि नए सामान्य हालात (New normal) का उनके लिए क्या अर्थ है तो उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों को उस शब्दावली में परिभाषित करने से इनकार करते हुए कहा कि हालात असामान्य हैं. 

“मेरा मानना है कि मानव जीवन में मानव सम्पर्क की आवश्कयता होती है.”

उन्होंने कहा कि वह अपने परिवारों, मित्रों और साथी कर्मचारियों को याद करते हैं और जब तक उस सम्पर्क को फिर से बहाल करने में कामयाबी नहीं मिलती तब तक नए हालात सामान्य नहीं होंगे.

उन्होंने पिछले चार महीनों में तालाबन्दी के दौरान यूएन कर्मचारियों की योग्यताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्चुअल जगत के लिए वे सरलता से अभ्यस्त हो गए जिससे संगठन में कामकाज सुचारू रूप से जारी रहा.

मानसिक स्वास्थ्य को मिले प्राथमिकता

यूएन प्रमुख ने ना सिर्फ़ सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल पर ज़ोर दिया बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दिये जाने की पुकार लगाई. 

“यह बेहद ज़रूरी है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई में सरकारें मानसिक स्वास्थ्य का भी प्रमुखता से ध्यान रखें.”

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि सभी के लिए एक बेहतर भविष्य की कल्पना करने में युवाओं की अहम भूमिका है – एक ऐसा भविष्य जो ज़्यादा टिकाऊ और समावेशी हो.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 एक संकट तो है लेकिन हालात को बेहतर बनाने का अवसर भी है.

“हमें इस क्षण का उपयोग किशोरों के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाने के लिये करना चाहिये.” 

“मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य नहीं है. इसे सम्भव बनाने में युवाओं की अहम भूमिका है.”

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने ध्यान दिलाया कि मानसिक स्वास्थ्य हम सबके लिये सर्वोपरि प्राथमिकता रहेगी.

“मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहारा हमारे सभी कार्यक्रमों में गहराई से सम्मिलित रहेगा.” साथ ही उन्होंने युवा लोगों के साथ सम्पर्क बढ़ाने और हर देश में अच्छी नीतियों व सेवाओं के बारे में बात करने का वादा किया.

यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक ऐसा पहले से अनेक देशों में किया जा रहा है लेकिन इसे प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का हिस्सा बनाया जाना आवश्यक होगा.

उन्होंने उपस्थित युवाओं को कहा कि युवाओं के बारे में नहीं बल्कि उनके साथ बातचीत करना महत्वपूर्ण है.

फ़िलिपींस की एक युवा वक्ता ने एक ऑनलाइन मतदान सत्र के नतीजों की जानकारी देते हुए बताया कि युवाओं को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, और ऐसी समस्याओं से अपने और अपने आसपास के लोगों की रक्षा करने के लिये वे किस तरह के क़दम उठा रहे हैं.