विकासशील दुनिया को क़र्ज़ राहत के लिये निर्णायक कार्रवाई का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश सोमवार को एक नीति-पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुए संकट में, दुनिया भर में, क़र्ज़ संकटों को रोकने के लिये महत्वपूर्ण क़दम उठाए गए हैं, मगर वो क़दम, अनेक विकासशील देशों में, आर्थिक स्थिरता पुनर्बहाल करने के लिये पर्याप्त नहीं रहे हैं.
यूएन प्रमुख न कहा है कि कोविड-19 महामारी को शुरू हुए एक साल से भी ज़्यादा का समय हो गया, और इस संकट के प्रभावों के परिणामस्वरूप अनेक देशों में, क़र्ज़ का भीषण दबाव बढ़ रहा है.
Since the onset of the pandemic, the world has been teetering on the brink of a global debt crisis.The international community has a responsibility to come together and cooperate to support a sustainable global recovery.https://t.co/tW9OfKVjjj
antonioguterres
क़र्ज़ दबाव की ये स्थिति, महामारी से उबरने के प्रयासों और टिकाऊ विकास एजेण्डा में संसाधन निवेश करने के लिये, अनेक देशों की क्षमता सीमित कर रही है.
यूएन महासचिव द्वारा जारी नीति-पत्र के अनुसार, 42 ऐसे देश, जो पूँजी बाज़ार से क़र्ज़ उठाते हैं, महामारी शुरू होने के समय से ही, उनकी राष्ट्रीय साख़ का रुख़ नीचे की तरफ़ गया है. इनमें छह विकसित देश, 27 उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देश, और 9 कम विकसित देश शामिल हैं.
इन देशों की राष्ट्रीय साख़ यानि क्रेडिट सूची में उनका स्थान घटने के कारण, उनकी क़र्ज़ लागत बढ़ गई है, विशेष रूप में, विकासशील देशों के लिये.
साथ ही, साख़ में इस कमी ने, और अधिक देशों के, क़र्ज़ के दलदल में फँसने का जोखिम बढ़ा दिया है, ख़ासतौर पर, अगर कोविड-19 महामारी और ज़्यादा लम्बे समय तक चलती है और उसका असर, अपेक्षा से कहीं ज़्यादा गहरा होता है तो.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है, “अगर हम, क़र्ज़ व नक़दी सम्बन्धी चुनौतियों पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं करते हैं, तो, अनेक विकासशील देशों के लिये, अनेक देश खो जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं. ऐसा होने पर टिकाऊ विकास लक्ष्यों को, 2030 की निर्धारित समय सीमा तक हासिल करना, पहुँच से बाहर हो जाएगा.”
यूएन प्रमुख द्वारा जारी – टिकाऊ विकास लक्ष्यों में संसाधन निवेश के लिये, नक़दी और क़र्ज़ समाधान नामक इस नीति-पत्र में, अप्रैल 2020 से वैश्विक स्तर पर नीति प्रतिक्रिया का आकलन किया गया है.
साथ ही, इसमें वैश्विक नीति को लागू करने में मौजूद ख़ामियों और चुनौतियों का भी आकलन किया गया है और वर्ष 2020 में पेश की गई सिफ़ारिशों पर, पिछले एक साल के दौरान हुए घटनाक्रमों के मद्देनज़र, ताज़ा जानकारी मुहैया कराई गई है.
नीति-पत्र में, क़र्ज़ राहत की ज़रूरत रेखांकित की गई है ताकि पुनर्बहाली और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में संसाधन निवेश के लिये जगह बन सके.
इसमें कहा गया है कि यहाँ तक कि बढ़े हुए क़र्ज़ के मामलों में भी, अगर नया क़र्ज़ लिया जाता है तो उससे देशों की साख़ या क्रेडिट दशा बेहतर हो सकती है, बशर्ते कि नया क़र्ज़ उत्पादक निवेशों में लगाया जाए.
नीति-पत्र में ये भी कहा गया है कि क़र्ज़ राहत से, संसाधन भी मुक्त हो सकते हैं, और ऐसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं जिनमें देश, स्वैच्छिक बाज़ार पहुँच का रुख़ कर सकते हैं. ऐसे हालात में, किसी देश की, क़र्ज़ लेने की कुल लागत नीचे आ सकती हैं, जिसका सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने तमाम देशों से, विकासशील देशों, ख़ासतौर पर, कम विकसित देशों और छोटे द्वीपीय देशों को, नए सिरे से रियायत वाली वित्तीय सहायता मुहैया कराने का आग्रह किया है.
नीति-पत्र में जी20 देशों से, विश्व बैंक की क़र्ज़ स्थगन पहल को और जून 2022 तक आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया गया है. साथ ही इस पहल में, मध्यम आय वाले देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों को भी शामिल किये जाने का आग्रह किया गया है, जिन पर कोविड-19 महामारी का बहुत भीषण असर पड़ा है.
ये नीति-पत्र, कोविड-19 महामारी और उसके बाद के दौर में, विकास के लिये वित्त नामक विषय पर, सरकारों व राष्ट्राध्यक्षों की एक उच्चस्तरीय बैठक के मौक़े पर जारी किया गया है.
इस उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन यूएन महासचिव, जमैका के प्रदानमन्त्री एण्ड्रयू होलनैस और कैनेडा के प्रधानमन्त्री जस्टिन ट्रूडो ने, संयुक्त रूप से आयोजित की है.