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विश्व बैंक

केरल की महिला इंजीनियर.
World Bank

भारत: रूढ़िवादी धारणाएँ तोड़तीं, केरल की महिला इंजीनियर

भारत के दक्षिणी प्रदेश केरल के भूतथनकेट्टू और मलंकरा बान्ध, केरल के उन 16 बान्धों में से हैं, जिनकी मरम्मत विश्व बैंक समर्थित बान्ध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP) के तहत की जा रही है. परम्परागत रूप से पुरुषों के कार्यक्षेत्र के रूप में पहचाने जाते रहे बान्ध निर्माण क्षेत्र में, सिंचाई विभाग की महिला इंजीनियरों ने, बान्धों के प्रबन्धन एवं सिंचाई और घरेलू इस्तेमाल के लिए बनाई जा रही नहरों के निर्माण-कार्य व देख-रेख की ज़िम्मेदारी संभाल रखी है.

2004 से, विश्व बैंक राजस्थान के दूर-दराज़ के गांवों को सड़कों के माध्यम से जोड़ने में मदद कर रहा है. यह विश्व बैंक द्वारा व्यापक रूप से समर्थित राष्ट्रव्यापी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) का हिस्सा है.
World Bank/Hemant Mehta

भारत: विकास के नए द्वार खोलती राजस्थान की सड़कें

विश्व बैंक, भारत के राजस्थान प्रदेश में वर्ष 2004 से, दूर-दराज़ के गाँवों को सड़कों के माध्यम से जोड़ने में मदद कर रहा है. यह विश्व बैंक द्वारा व्यापक रूप से समर्थित राष्ट्रव्यापी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) का हिस्सा है. इन सड़कों ने लोगों की स्कूलों, अस्पतालों तक पहुँच को आसान बनाने के साथ-साथ, उन्हें बेहतर रोज़गार के अवसर भी मुहैया कराए हैं.

भारत में, चिनाई का काम एक विशेष कौशल है जो आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व है. लेकिन झारखंड की रानी मिस्त्रियाँ अब इन लैंगिक पूर्वाग्रहों को तोड़ चुकी हैं.
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भारत: झारखंड की रानी मिस्त्रियाँ तोड़ रही हैं रूढ़िवादी मानसिकता

विश्व बैंक, भारत के झारखंड प्रदेश में, सरकार की स्वच्छ भारत योजना के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, जिसके तहत गाँव-गाँव में शौचालय निर्माण के लिए, अनेक राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया.  ख़ास बात यह थी कि आमतौर पर पुरुषों के वर्चस्व वाले चिनाई के काम में, कई महिला राजमिस्त्रियों ने भी भाग लिया.

भारत में जौहर परियोजना के तहत अब तक एक हज़ार से अधिक पशु सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.
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भारत: झारखंड की सामुदायिक पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता, ‘पशु सखियाँ’

भारत के झारखंड प्रदेश में विश्व बैंक समर्थित जौहर परियोजना के तहत महिलाओं को पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. ये ‘पशु सखियाँ’ किसानों को पशुओं की देखभाल के तरीक़ों पर सलाह देती हैं, और उन्हें किसान समूहों व बाज़ारों से जोड़कर पशु-पालन व बिक्री में मदद करती हैं. ‘पशु सखी मॉडल’ को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन और अन्तरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान ने, किसानों के लिए सेवा वितरण के शीर्ष 8 वैश्विक सर्वोत्कृष्ट मॉडल में से एक के रूप में चुना है.

केरल प्रदेश के कैफे कुदुम्बश्री मॉडल से प्रेरित, दीदी की रसोई की शुरुआत 2018 में हुई.
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भारत: ‘दीदी की रसोई’ – एक अनूठा ग्रामीण महिला उद्यम

भारत के बिहार प्रदेश में, वर्ष 2018 में विश्व बैंक समर्थित बिहार परिवर्तनकारी विकास परियोजना (BTDP) के हिस्से के रूप में, ‘दीदी की रसोई’ परियोजना शुरू की गई थी. ‘जीविका’ नामक संस्था द्वारा संचालित इस परियोजना का मक़सद राज्य के समस्त ज़िला एवं ब्लॉक अस्पतालों में खाद्य सेवा काउंटर स्थापित करना है. वर्तमान में, इस परियोजना के तहत, बिहार के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, स्कूलों, बैंकों और अन्य संस्थानों में ऐसे 83 से अधिक उद्यम चल रहे हैं, जिनमें 1,200 से अधिक महिला उद्यमी और 150 पूर्णकालिक कर्मचारी कार्यरत हैं.

पूर्वोत्तर बांग्लादेश में, कुलौरा उपज़िला के मोबारकपुर सामुदायिक क्लिनिक में, एक माँ और बच्चे इलाज के लिये आए हैं.
UN Photo/Mark Garten

लगभग एक अरब लोग, बिजली की विश्वसनीय आपूर्ति के बिना, स्वास्थ्य सुविधाएँ उपयोग करने को मजबूर

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि वैसे तो स्वास्थ्य देखभाल के लिये बिजली बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन ग़रीब देशों में लगभग एक अरब लोग – यानि वैश्विक आबादी के एक-आठवें हिस्से को स्वास्थ्य सुविधाएँ, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति के बिना प्रदान की जाती है.

उत्तरी घाना में ग्रामीण महिलाओं के लिये शीया फल और मक्खन का उत्पादन, सबसे सुलभ आय-सृजन गतिविधियों में से एक है.
© FAO/Luis Tato

विश्व बैंक: लम्बे समय की मन्दी से विकासशील देशों पर गम्भीर प्रभाव पड़ने की सम्भावना

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, अगले दो वर्षों में बड़े स्तर पर विकास प्रभावित होगा.

अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य व कृषि संगठन (FAO) द्वारा शीतकाल में गेहूँ की फ़सल के लिये मुहैया कराई गई, समयानुकूल मदद की बदौलत लगभग 13 लाख लोगों को फ़ायदा हुआ है, जिससे 17 लाख लोगों के लिये पर्याप्त गेहूँ की पैदावार होने की उम्मीद है.
©FAO/Giulio Napolitano

अफ़ग़ानिस्तान: बदतर होती खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिये, मदद में तेज़ी

 संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने सोमवार को कहा है कि विश्व बैंक ने, अफ़ग़ानिस्तान में बेहद नाज़ुक हालात का सामना कर रही ग्रामीण आबादी को अति महत्वपूर्ण व जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराने के लिये सोमवार को, 15 करोड़ डॉलर की असाधारण रक़म जारी करने की घोषणा की है, और ये राशि, अति महत्वपूर्ण आजीविका व जीवनरक्षक सहायता के लिये, व्यापक साढ़े 19 करोड़ डॉलर के पैकेज का हिस्सा है.

सड़क दुर्घटनाएँ, 10-19 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है.
WHO

दक्षिण एशिया में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिये सुरक्षित हैलमेट कार्यक्रम

सड़क सुरक्षा पर, 2022 के मध्य में संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक बैठक होने वाली है. विश्व बैंक ने हाल ही में, कुछ दक्षिण एशियाई देशों में संयुक्त राष्ट्र के मानकों वाले हैलमेट उपलब्ध करवाने के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिससे इस क्षेत्र में सड़क दुर्घनाओं में मौतों की उच्च दर को बहुत कम किये जाने की उम्मीद है. दुर्घटनाओं की रोकथाम और सुरक्षित यातायात के लिये, सड़क सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत, ज्याँ टॉड और विश्व बैंक में दक्षिण एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष, हार्टविग शेफ़र का संयुक्त ब्लॉग.

कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में परिवारों के जीवन व आजीविका पर असर पड़ा है.
© UNICEF

कोविड-19: पारिवारिक आय में गिरावट, पीढ़ियों के लिये विषमता बढ़ने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व बैंक (World Bank) की एक साझा रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 महामारी के कारण, बच्चों वाले कम से कम दो-तिहाई घर-परिवारों को आय में नुक़सान झेलना पड़ा है और बड़ी संख्या में बच्चे बुनियादी ज़रूरतों से वंचित हो गए हैं.