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भीषण आग से प्रभावित रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये वित्तीय मदद जारी

कुटुपलाँग महाशिविर में 23 मार्च को भीषण आग लगने के बाद प्रभावित इलाक़े में एक बच्चा.
UNICEF/Salman Saeed
कुटुपलाँग महाशिविर में 23 मार्च को भीषण आग लगने के बाद प्रभावित इलाक़े में एक बच्चा.

भीषण आग से प्रभावित रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये वित्तीय मदद जारी

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवीय राहत अधिकारी ने कुटुपलाँग महाशिविर में भीषण आग से प्रभावित हज़ारों रोहिंज्या परिवारों तक जीवनदायी सहायता पहुँचाने के लिये, बुधवार को एक करोड़ 40 लाख डॉलर की आपात धनराशि जारी की है. दक्षिणी बांग्लादेश में स्थित इस महाशिविर में आग लगने से कम से कम 11 लोगों की मौत होने की ख़बर है, और 400 से ज़्यादा लापता बताए गए हैं.

महाशिविर में आग लगने से 45 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें अधिकाँश पड़ोसी देश म्याँमार से शरण लेने वाले रोहिंज्या शरणार्थी हैं. 

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आग के कारण शिविर का मुख्य अस्पताल और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण केन्द्र बर्बाद हो गए हैं.  

यूएन आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने कहा, “इस आग ने दुनिया के सबसे निर्बलों में से एक समुदाय को तबाह कर दिया है.”

“रोहिंज्या शरणार्थियों को अब पहले से कहीं ज़्यादा हमारे समर्थन की ज़रूरत है, ऐसे समय जब महामारी का असर जारी है और मॉनसून का मौसम नज़दीक आ रहा है.”

उन्होंने कहा कि रोहिंज्या शरणार्थियों ने हमेशा राहतकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया है और शिविरों में जवाबी कार्रवाई को सहारा देने के लिये स्वेच्छा से अपनी सेवाएँ प्रदान की. 

“अब यह लम्हा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिये, उनके साथ खड़े होने का है.”

मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) के अनुसार, ‘केन्द्रीय आपात कार्रवाई कोष’ (Central Emergency Response Fund/CERF) के ज़रिये प्रभावितों के लिये शरणस्थलों का पुनर्निर्माण किया जाएगा. 

साथ ही ज़रूरतमन्दों को भोजन, जल, साफ़-सफ़ाई सेवाएँ, मानसिक व मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य सहायता और अन्य प्रकार की मदद प्रदान किये जाने की बात कही गई है. 

कुटुपलाँग शरणार्थी महाशिविर, विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है, जहाँ कॉक्सेस बाज़ार में शरण लेने वाले आठ लाख रोहिंज्या में से अधिकाँश शरणार्थी रहते हैं. 

परिवारों की मदद  

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत टीमें घटना के बाद से ही ज़मीनी स्तर पर काम कर रही हैं – आग की लपटों पर क़ाबू पाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने से लेकर, प्रभावितों को प्राथमिक सहायता, भोजन व जल मुहैया कराने, और लापता परिजनों को खोजने में मदद करने तक. 

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, बुधवार तक, दो हज़ार परिवारों को शरण व ग़ैर-खाद्य सामग्री सम्बन्धी सहायता किटों को उपलब्ध कराया गया है ताकि शुरुआती साफ़-सफ़ाई और अस्थाई शरणगाहों को सुनिश्चित किया जा सके.  

बांग्लादेश में संगठन के मिशन उपप्रमुख मैनुअल मार्केस परेरा ने बताया कि इन बुनियादी चीज़ों से प्रभावित शरणार्थियों के लिये अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिलेगी. 

आगामी कुछ हफ़्तों में एक महत्वपूर्ण गतिविधि शरणस्थलों में हालात को बेहतर बनाना और बुनियादी साफ-सफ़ाई को सुनिश्चित करना है. 

इस कार्य को मॉनसून के आगमन से पहले पूरा किये जाने की ज़रूरत है, जब इस इलाक़े में मूसलाधार बारिश के साथ तेज़ हवाएँ चलती हैं. 

संयुक्त राष्ट्र केन्द्रीय आपात कार्रवाई कोष’ (Central Emergency Response Fund/CERF) सरकारों, कम्पनियों, व्यक्तियों सहित अन्य दानदाताओं से मिली धनराशि को जुटाकर स्थापित किया गया एक कोष है.

इसका उपयोग तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने में किया जाता है, और संकट में फँसे लोगों तक तेज़ी से राहत पहुँचाने का यह एक कारगर तरीका है.

वर्ष 2005 में इसे स्थापित किया गया, और उसके बाद से, इस कोष की मदद से 100 देशों व क्षेत्रों में करोडों लोगों को सात अरब डॉलर की सहायता प्रदान की जा चुकी है.

इस कोष का प्रबन्धन, संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ओर से यूएन आपात राहत समन्वयक द्वारा किया जाता है.