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कोविड-19: स्वतन्त्र आयोग की अन्तरिम रिपोर्ट, जवाबी कार्रवाई में मिली कमियाँ

ब्राज़ील में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से फैले और लोगों ने ऐहतियाती उपायों के तहत मास्क पहनना शुरू किया.
IMF/Raphael Alves
ब्राज़ील में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले तेज़ी से फैले और लोगों ने ऐहतियाती उपायों के तहत मास्क पहनना शुरू किया.

कोविड-19: स्वतन्त्र आयोग की अन्तरिम रिपोर्ट, जवाबी कार्रवाई में मिली कमियाँ

स्वास्थ्य

कोरोनावायरस संकट की पृष्ठभूमि में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने कहा है कि मौजूदा वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली, विश्वव्यापी महामारियों के प्रति समय रहते आगाह करने और पुख़्ता जवाबी कार्रवाई करने के लिये पूरी तरह सक्षम नहीं है. इन विशेषज्ञों ने मंगलवार को अपनी एक अन्तरिम रिपोर्ट जारी की है जिसमें कोविड-19 महामारी और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिये एक नए ढाँचे की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.

महामारी से निपटने की तैयारी और जवाबी कार्रवाई के लिये स्वतन्त्र आयोग (Independent Panel for Pandemic Preparedness and Response ) की रिपोर्ट दर्शाती है कि मौजूदा प्रक्रियाएँ धीमी, अनिर्णायक और बोझिल हैं. 

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ये प्रक्रियाएँ एक ऐसे सूचना युग के लिये तैयार नहीं हैं जहाँ नई महामारियों के फैलने की जानकारी जितनी तेज़ी से फैलती हैं, देश उतनी रफ़्तार से औपचारिक जानकारी मुहैया नहीं करा पाते हैं. 

न्यूज़ीलैण्ड की पूर्व प्रधानमन्त्री और आयोग की सह-अध्यक्ष हेलेन क्लार्क ने कहा कि स्वास्थ्य जोखिमों की सम्भावना के मद्देनज़र, देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन को 21वीं सदी के डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा ताकि सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैलने वाली ख़बरों और यात्राओं के ज़रिये फैलने वाले संक्रामक वायरस के सम्बन्ध में समुचित कार्रवाई की जा सके.

उन्होंने कहा कि मामलों का पता लगाने और सावधान करने की प्रक्रिया अतीत के वायरसों के मानदण्डों के हिसाब से तेज़ हुए हैं लेकिन वायरस, दिनों और हफ़्तों के बजाय मिनटों और घण्टों में फैलते हैं.

अवसर धूमिल होना

कोविड-19 महामारी पर अन्तरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई से सीखे गए सबक़ की समीक्षा के तहत ही स्वतन्त्र आयोग की स्थापना की गई थी. 

नॉवल कोरोनावायरस का संक्रमण फैलने के पहले मामले की पुष्टि दिसम्बर 2019 में चीन के वूहान शहर में हुई थी. दुनिया भर में, अब तक, इस वायरस के संक्रमण के 9 करोड़ 40 लाख मामले दर्ज हुए हैं, और 20 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.

आयोग की दूसरी प्रगति रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीन कोरोनावायरस पर देशों ने धीमी रफ़्तार से जवाबी कार्रवाई की और शुरुआती चरण में भी बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू करने के अवसरों को हाथ से निकल जाने दिया गया. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने 20 जनवरी 2020 को कोविड-19 को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया था.

आयोग के मुताबिक अनेक देशों ने देशों के भीतर और सीमाओं से परे संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिये न्यूनतम कार्रवाई की.

”आयोग के लिये यह स्पष्ट है कि चीन में, जनवरी 2020 में ही स्थानीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशासनों द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय ज़्यादा सख़्ती से लागू किये जा सकते थे.”

“यह भी स्पष्ट है कि अनेक देशों में जनवरी 2020 के अन्त तक संक्रमणों के तथ्य मौजूद थे. सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये पाबन्दी उपाय तत्काल देशों में लागू किये जाने चाहिये थे. ऐसा नहीं किया गया.”

रिपोर्ट में जवाबी कार्रवाई के हर चरण में गम्भीर ख़ामियाँ भी उजागर की गई हैं, जिनमें वर्षों की चेतावनी के बावजूद महामारी का मुक़ाबला करने की तैयारियों में विफलता भी है.

गहराती विषमताएँ

आयोग का मानना है कि महामारी पर जवाबी कार्रवाई ने विषमताओं को और ज़्यादा गहरा किया है और कोविड-19 टीकाकरण प्रयासों में विसंगति इसका एक स्पष्ट उदाहरण है जहाँ धनी देशों को प्राथमिकता मिली है. 

लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति और आयोग के सह-अध्यक्ष ऐलेन जॉनसन सरलीफ़ ने बताया कि ऐसी दुनिया, जहाँ उच्च-आय वाले देशों को सार्वभौमिक कवरेज मिले जबकि निम्न आय वाले देशों को आने वाले समय में केवल 20 प्रतिशत से काम चलाना अपेक्षित हो, वो ग़लत दिशा में है.  

उन्होंने कहा कि यह न्याय और महामारी पर क़ाबू पाने, दोनों के ही नज़रिये से ठीक नहीं है और इन विफलताओं को दूर किया जाना होगा. 

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को मज़बूत बनाए जाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया है.

इसके अलावा देशों से जाँच व परीक्षण, सम्पर्क में आए लोगों की जानकारी रखना और वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिये, अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है ताकि ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके.

अन्तरराष्ट्रीय पैनल ने समीक्षा कार्य सितम्बर 2020 के अन्त में शुरू किया था और मई 2021 में, विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली की बैठक के दौरान रिपोर्ट पेश की जाएगी.