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कोविड-19: पूर्ण ख़ात्मे के लिये, इसका अन्त हर किसी के लिये ज़रूरी

भारत में विशाल पैमाने पर कोविड-19 की रोकथाम के लिये टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हुई है.
© UNICEF/Ruhani Kaur
भारत में विशाल पैमाने पर कोविड-19 की रोकथाम के लिये टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हुई है.

कोविड-19: पूर्ण ख़ात्मे के लिये, इसका अन्त हर किसी के लिये ज़रूरी

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 जब तक हर किसी के लिये ख़त्म नहीं हो जाती, तब तक इस महामारी का अन्त किसी के लिये भी नहीं होगा. यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने महामारी पर क़ाबू पाने के लिये वैश्विक स्तर पर न्यायसंगत टीकाकरण सम्भव बनाने और समन्वित प्रयासों की पुकार लगाई है. 

मानवाधिकार और अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता मामलों पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ओबिओरा ओकाफ़ॉर ने कहा कि ग्लोबल साउथ (दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित अधिकांश विकासशील देशों वाला क्षेत्र) के जिन देशों में अभी आबादी को टीका नहीं लगा है, वहाँ से यह वायरस अब भी ग्लोबल नॉर्थ ( उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित विकसित देशों वाला क्षेत्र) में फैल सकता है. 

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उन्होंने बताया कि वायरस के प्रकार में बदलाव आ रहा है और केवल धनी देशों में टीकाकरण किये जाने से वायरस उन्मूलन की प्रक्रिया जटिल और धीमी होगी. 

वर्ष 2020 के अन्तिम हफ़्तों में अनेक देशों में कोविड-19 के लिये टीकों को मंज़ूरी मिली, जिससे दुनिया भर में अरबों लोगों में आशा का संचार हुआ.

यूएन विशेषज्ञ ने कहा कि अधिकतर मामलों में धनी देशों में बड़ी संख्या में टीकों का इन्तज़ाम किये जाने के बाद, टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर दिये गए हैं. 

लेकिन ग्लोबल साउथ के अधिकाँश देशों में यह शुरू नहीं हुआ है, जहाँ विश्व की 90 फ़ीसदी आबादी रहती है.

उन्होंने आगाह किया कि दुनिया के सामने एक बेहद पैनी और बड़ी समस्या खड़ी हो रही है. कोविड-19 के टीकों की अधिकाँश आपूर्ति ग्लोबल नॉर्थ के धनी देशों में हो रही है जबकि वहाँ विश्व आबादी का छोटा हिस्सा बसता है.

इसके कारण दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से की इन उपायों तक कोई पहुँच नहीं है.

“वैयक्तिक तरीक़े अपनाने के बजाय, वैश्विक रूप से, एक समन्वित वैक्सीन वितरण कार्यक्रम चलाया जाना बेहद हितकारी होगा.”

अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता

उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सहयोग सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है.

कोविड-19 वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण के लिये कोवैक्स सुविधा और देशों के बीच सहयोग की अहमियत को रेखांकित किया गया है. 

कोवैक्स का लक्ष्य न्यायोचित ढँग से दो अरब टीकों की ख़ुराकें, वर्ष 2021 के अन्त तक वितरित करना है. 

यूएन विशेषज्ञ ने स्पष्ट किया कि अन्तरराष्ट्रीय वैक्सीन प्रतिस्पर्धा के बजाय अन्तरराष्ट्रीय वैक्सीन एकजुटता को बढ़ावा दिया जाना होगा. 

उन्होंने कहा कि सर्वजन के लिये सर्वत्र वैक्सीन सुनिश्चित करने की तात्कालिक ज़रूरत के मद्देनज़र, देशों और अन्य पक्षकारों को हालात ठीक करने के लिये जल्द से जल्द क़दम उठाने होंगे. 

संयुक्त राष्ट्र के दो स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि प्रवासियों को राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल किया जाना होगा.

हर ज़रूरतमन्द व्यक्ति के लिये टीकाकरण सुनिश्चित करना महामारी का अन्त करने का एकमात्र रास्ता है.

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.