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हिंसक संघर्ष के दौरान नागरिक विमानों की सुरक्षा के लिये सुस्पष्ट मानकों की दरकार

न्यायेतर और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा दिए जाने के मामलों पर विशेष रैपोर्टेयर एग्नेस कैलामार्ड.
UN Photo/Manuel Elias
न्यायेतर और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा दिए जाने के मामलों पर विशेष रैपोर्टेयर एग्नेस कैलामार्ड.

हिंसक संघर्ष के दौरान नागरिक विमानों की सुरक्षा के लिये सुस्पष्ट मानकों की दरकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ एग्नेस कैलामार्ड ने कहा है कि हिंसा प्रभावित या सैन्य तनाव से ग्रस्त वायु क्षेत्र से गुज़रने वाले नागरिक विमानों की सुरक्षा के लिये तत्काल प्रयास किये जाने की ज़रूरत है.  न्यायेतर और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा दिए जाने के मामलों पर विशेष रेपोर्टेयर एग्नेस कैलामार्ड ने अपनी यह अपील यूक्रेन इन्टरनेशनल एयरलाइन (UIA) की उड़ान पीएस752 के दुर्घटनाग्रस्त होने के एक साल पूरे होने पर जारी की है.

यूक्रेन एयरलाइन की यह उड़ान 8 जनवरी 2020 को तेहरान से कियेव जा रही थी जब दो ईरानी मिसाइलों की जद में आने से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें सवाल सभी 176 लोगों की मौत हो गई. 

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विशेष रैपोर्टेयर ने अपने एक बयान में कहा कि उड़ान पीएस752 का दुर्घटनाग्रस्त होना दर्शाता है कि वायु सुरक्षा के सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय सन्धियाँ अपर्याप्त हैं. 

ना ही नागरिक विमानों के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई को टालने में और ना ही ऐसी घटनाएँ होने की स्थिति में उपयुक्त जाँच सुनिश्चित करने में.

एग्नेस कैलामार्ड ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच भारी तनाव की पृष्ठभूमि में इन मिसाइलों को दागा गया था.

अमेरिका ने एक ड्रोन हमले में ईरान के शीर्ष जनरल क़ासिल सुलेमानी को निशाना बनाते हुए उनकी हत्या कर दी थी जिसके बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर पहुँच गया था. 

जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद जवाबी कार्रवाई के तहत ईरान ने अपनी भूमि से पड़ोसी देश इराक़ में तैनात अमेरिकी सैन्य बलों को निशाना बनाते हुए मिसाइल दागे थे. 

उसी दौरान मिसाइलों के विमान से टकराने से उड़ान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. विशेष रैपोर्टेयर ने इस घटना के सम्बन्ध में ईरानी प्रशासन को पत्र लिखा है.   

“इस त्रासदी को टाला जा सकता था, जिसके लिये देशों और एयरलाइन सहित सभी पक्षकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.”

स्पष्ट मानकों की दरकार

मानवाधिकार विशेषज्ञ ने नागरिक एयरलाइन पर सवार यात्रियों की सुरक्षा मज़बूत करने के उद्देश्य से अपनी अनुशन्साओं को पेश किया है.

उन्होंने कहा है कि सैन्य तनाव के हालात में वायुक्षेत्र को बन्द किया जाना विमानों पर हमलों की रोकथाम क लिये सबसे असरदार उपाय है. 
इसके बावजूद वाणिज्यिक या राजनैतिक कारणों से इस क़दम को नहीं उठाया जाता है.

“अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सुस्पष्ट, मुखर और बिना लागलपेट के मानकों को स्थापित करना होगा जो बताएँ कि देशों को कब अपने अधिकार क्षेत्र में वायुक्षेत्र को बन्द कर देना चाहिये.”

“अगर देश अपने अधिकार-क्षेत्र में वायु क्षेत्र को बन्द करने या उड़ानों पर पाबन्दी के लिये ज़िम्मेदारीपूर्वक कार्रवाई नहीं करते, तो यह अन्य देशों व एयरलाइन का दायित्व है कि तत्काल कार्रवाई करते हुए विमानों को हिंसाग्रस्त इलाक़ों के ऊपर से या फिर पास से गुज़रने से रोका जाये.”
साथ ही उन्होंने एयरलाइन कम्पनियों से आग्रह किया है कि उड़ान पथ को लोगों के साथ साझा किया जाना चाहिये और वायु मार्ग की योजना बनाते समय सभी सूचना स्रोतों का इस्तेमाल होना चाहिये. 

मानवाधिकार विशेषज्ञ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा को देशों और एयरलाइन की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता जोकि सुरक्षा से पहले राजस्व और अन्य उद्देश्यों को प्राथमिकता देते हैं. 

भविष्य में ऐसे हादसों को टालने और ज़िन्दगियों को बचाने के लिये उन्होंने एक स्वतन्त्र निकाय बनाये जाने का आग्रह किया है जो निहित जोखिमों पर सूचनाओं को भी एकत्र करेगा. 

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.