अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय का वायुक्षेत्र विवाद मामले में फ़ैसला क़तर के पक्ष में
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) ने मध्य पूर्व के देशों में वायुक्षेत्र सम्बन्धी विवाद पर अपना फ़ैसला क़तर के पक्ष में सुनाया है. कोर्ट ने बहरीन, सऊदी अरब, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा दाख़िल की गई उस अपील को ख़ारिज कर दिया है जिसमें अन्तरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के अधिकारों पर सवाल उठाए गए थे. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यूएन एजेंसी इस विवाद पर सुनवाई करने में सक्षम है.
यह विवाद वर्ष 2017 में तब शुरू हुआ था जब चार देशों ने क़तर पर अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगाते हुए सऊदी अरब से लगने वाली क़तर की सीमा को बन्द कर दिया था.
साथ ही इन देशों के बन्दरगाहों पर क़तर के जहाज़ों के लंगर डालने की अनुमति भी वापिस ले ली गई थी और क़तर के विमानों को इन देशों के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई.
ग़ौरतलब है कि क़तर पर कथित तौर पर आतंकी गुटों को समर्थन दिये जाने के आरोप में ये पाबन्दियाँ लगाई गई थीं.
पाबन्दी लगाने वाले देशों के मुताबिक इससे क्षेत्र में कूटनैतिक सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिये हुए समझौतों की अवहेलना हो रही थी.
लेकिन क़तर ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए वायुक्षेत्र सम्बन्धी पाबन्दी को वर्ष 1944 में नागरिक उड्डयन पर हुई सन्धि का उल्लंघन क़रार दिया था.
यही वो अन्तरराष्ट्रीय समझौता है जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की नागरिक उड्डयन एजेंसी का गठन हुआ था.
क़तर ने पहले इस विवाद को यूएन उड्डयन एजेंसी के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसके विरोध में चारों देशों ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ही इन विवादों का निपटारा कर सकता है क्योंकि यह सिर्फ़ नागरिक उड्डयन से जुड़ा मामला नहीं है.
लेकिन अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के जजों ने मंगलवार को इन चार देशों की अपील को ख़ारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि यूएन एजेंसी इस मामले की सुनवाई करने में सक्षम है.
रिपोर्टों के मुताबिक क़तर के ट्रांसपोर्ट और संचार मंत्री जसीम सैफ़ अहमद अल-सुलैयती ने भरोसा जताया है कि यूएन उड्डयन एजेंसी क़तर के पक्ष में अपना फ़ैसला सुनाते हुए वायुक्षेत्र पाबन्दियों को ग़ैरक़ानूनी क़रार देगी.
वहीं नीदरलैंड्स के हेग में संयुक्त अरब अमीरात के दूतावास ने ट्वीट के ज़रिये पुष्टि की है कि अब इस विवाद में अन्तरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन में दलीलें पेश की जाएँगी.
नीदरलैंड्स में संयुक्त अरब अमीरात की राजदूत हिस्सा अब्दुल्लाह अल उतेएबा ने कहा है कि न्यायालय का फ़ैसला तकनीकी व प्रक्रियात्मक मुद्दों और विवाद का न्यायिक-क्षेत्र स्पष्ट करने तक सीमित है और इसका विवाद से कोई लेना देना नहीं है.
यूएन एजेंसी द्वारा इस मामले में अन्तिम फ़ैसला 2021 में आने की सम्भावना है.