प्रेस आज़ादी पहले से कहीं ज़्यादा अहम, 59 मीडियाकर्मियों की हत्याओं की निन्दा
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संगठन (UNESCO) ने बताया है कि वर्ष 2020 के दौरान, अभी तक कम से कम 59 मीडियाकर्मी मारे गए हैं, जिनमें चार महिलाएँ भी हैं. संगठन ने बुधवार को ये आँकड़े जारी करते हुए, सूचना प्राप्ति और तथ्यात्मक पत्रकारिता को एक सार्वजनिक अच्छाई के रूप में क़ायम रखने के समर्थन में खड़े होने की पुकार भी लगाई.
यूनेस्को ने बुधवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि पिछले एक दशक के दौरान, औसतन, हर चार दिन में एक पत्रकार को अपनी ज़िन्दगी गँवानी पड़ी है.
From human rights violations to environmental crimes, #journalists expose the abuses of power that impact us all. But standing up to power comes at a cost. We must stand up for them & for their safety. Time to #ProtectJournalists! Time to #EndImpunity!https://t.co/f2dYowpaiU pic.twitter.com/7MHHmxUHWr
UNESCO
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा है कि अलबत्ता, वर्ष 2020 में, पत्रकारों की मौतों की संख्या तुलनात्मक रूप में सबसे कम रही है.
लेकिन ये भी सच है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त के लिये, शायद ही पत्रकारिता की इतनी अहमियत रही हो, क्योंकि दुनिया, कोरोनावायरस और उसके आसपास मौजूद दुष्प्रचार व ग़लत जानकारी के फैलाव के वायरस से भी जूझ रही है.
सत्य की सुरक्षा
ऑड्री अज़ूले ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी, एक ऐसा सटीक तूफ़ान साबित हुई है जिसने दुनिया भर में प्रेस स्वतंत्रता को प्रभावित किया है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पत्रकारिता की सुरक्षा करना, दरअसल सत्य की हिफ़ाज़त करना है.
यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि लातीनी अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्रों में 22 – 22 पत्रकारों की हत्याएँ हुईं और इन क्षेत्रों को एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के साथ मिलाकर कहा जाए तो, पत्रकारों की सबसे ज़्यादा हत्याएँ हुई हैं.
इसके बाद अरब क्षेत्र में 9 और अफ्रीका में 6 पत्रकारों की हत्याएँ हुईं.
यूनेस्को का कहना है कि पत्रकारों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों में, औसतन 10 में से 9 मामलों में, दंडमुक्ति यानि न्यायिक प्रक्रिया का अभाव दिखा है, हालाँकि वर्ष 2020 में कुछ बेहतरी देखने को मिली है.
वर्ष 2020 में पत्रकारों की सुरक्षा पर यूनेस्को महानिदेशक की ये रिपोर्ट, पत्रकारों के ख़िलाफ़ अपराधों में न्याय के अभाव को ख़त्म करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के आसपास ही प्रकाशित ही है.
इस दिवस के अवसर पर उपलब्ध आँकड़ों में पिछले दो वर्षों के दौरान पत्रकारों की हत्याओं के तरीक़ों की गहराई से जानकारी मुहैया कराई गई है.
यूनेस्को की ये ताज़ा रिपोर्ट जारी किये जाने के अवसर पर ही, संगठन ने वैश्विक स्तर पर एक जागरूकता अभियान भी शुरू किया है जिसका नाम है – Protect Journalists. Protect the Truth – पत्रकारों की हिफ़ाज़त करें. सत्य को बचाएँ.
यूनेस्को का कहना है, “अब भी बहुत सी हत्याएँ होती हैं और कम घातक हमले व प्रताड़ना और परेशान किये जाने के मामले अब भी बढ़ रहे हैं."
"वर्ष 2020 में, पत्रकारों के सामने दरपेश ख़तरे और भी उजागर हुए हैं. मसलन, दुनिया भर में, ब्लैक लाइव्स मैटर - Black Lives Matter जैसे और इसी तरह के अन्य प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करते हुए उन्हें ज़्यादा ख़तरों का सामना करना पड़ा.”
प्रदर्शन ख़तरे
यूनेस्को ने वर्ष 2020 के आरम्भ में 65 देशों में हुए ऐसे 125 प्रदर्शनों की पहचान की थी जिनमें पत्रकारों पर या तो हमले किये गए, या उन्हें गिरफ़्तार किया गया, और ये प्रदर्शन 1 जनवरी 2015 से लेकर 30 जून 2020 के बीच हुए.
इनमें से 21 प्रदर्शन वर्ष 2020 की पहली छमाही के दौरान हुए, लेकिन वर्ष 2020 के दूसरे हिस्से के दौरान पत्रकारों को गिरफ़्तार किये जाने या उन्हें हमलों का निशाना बनाए जाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखी गई है.
यूनेस्को का कहना है कि इनके अतिरिक्त, महिला पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा अब भी चिन्ता का एक बड़ा कारण है. “महिला पत्रकारों को, पत्रकारिता के उनके पेशे और लिंग के लिये हमलों का निशाना बनाया जाता है और महिला पत्ररकार, ख़ासतौर से लिंग आधारित प्रताड़ना और हिंसा का भी सामना करती हैं.”