कोविड-19: यूएन फ़लस्तीनी सहायता एजेंसी के समक्ष वित्तीय संकट

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवँ कार्य एजेंसी (UNRWA) के पास कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिये ज़रूरी धनराशि ख़त्म हो गई है. यूएन एजेंसी की प्रवक्ता तमारा अलफ़िराई ने मंगलवार को जिनीवा में एक प्रैस वार्ता के दौरान मौजूदा चुनौतियों से अवगत कराते हुए बताया कि 28 हज़ार कर्मचारियों के वेतन के लिये संकट उत्पन्न हो गया है.
तमारा अलरिफ़ाई ने बताया कि मध्य पूर्व में 57 लाख फ़लस्तीनियों के लिये यूएन एजेंसी की अतिआवश्यक सेवाओं को बरक़रार रखने के उद्देश्य से वर्ष 2020 में पर्याप्त धनराशि जुटाने के प्रयास किये गए.
इसके बावजूद 9 नवम्बर को यूएन एजेंसी के पास धन अब और नहीं बचा है.
“अगर इस महीने, नवम्बर, के अन्त तक हमें अतिरिक्त धनराशि प्राप्त नहीं हुई तो हमें वास्तव में कुछ दुखदायी फ़ैसले लागू करने होंगे जिनसे अग्रिम मोर्चे पर डटे हमारे 28 हज़ार UNRWA कर्मचारियों के वेतनों पर असर पड़ेगा.”
उन्होंने कहा कि यह सब वैश्विक स्वास्थ्य आपात हालात के दौरान हो रहा है.
कोविड-19 से संक्रमित फ़लस्तीनी शरणार्थियों की संख्या जुलाई में 200 से कम थी लेकिन अब यह बढ़कर 17 हज़ार से ज़्यादा हो गई है.
1/4 I am pained to announce that despite all efforts to raise the resources for @UNRWA 2020, I informed our 28,000 staff that we do not have enough funds to pay their salaries in full this monthhttps://t.co/yxHSp0CkMy
UNLazzarini
यूएन एजेंसी ने कोरोनावायरस के फैलाव की रफ़्तार कम करने के लिये कुछ उपाय अपनाए हैं. इनके तहत फ़ोन के ज़रिये चिकित्सा परामर्श मुहैया कराया जा रहा है, राहत सामग्री वितरण केन्द्रों पर भीड़-भाड़ रोकने के लिये सामग्री घर पहुँचाई जा रही है और छात्र घरों पर रहकर ही स्कूली पढ़ाई कर रहे हैं.
लेकिन तालाबन्दी उपायों का शुरुआत में पालन किये जाने के बाद अब लोगों पर रोज़ी-रोटी की तलाश में घर से बाहर निकलने का दबाव बढ़ रहा है.
“असल में इसी वजह से वायरस अब शरणार्थी समुदायों तक पहुँच गया है.”
UNRWA की स्थापना वर्ष 1948 में अरब-इसराइली संघर्ष के बाद हुई थी और एजेंसी का कामकाज ग़ाज़ा और पश्चिमी तट के अलावा लेबनान, जॉर्डन और सीरिया में केन्द्रित है.
इस एजेंसी का कामकाज लगभग पूर्ण रूप से यूएन के सदस्य देशों के वित्तीय योगदान से संचालित होता है.
अपने कर्मचारियों के वेतन के लिये यूएन एजेंसी को प्रतिमाह लगभग पाँच करोड़ डॉलर की आवश्यकता होती है. अगले दो हफ़्तों में UNRWA को तीन करोड़ डॉलर की ज़रूरत होगी ताकि कर्मचारियों को समय पर वेतन सुनिश्चित किया जा सके.
ऐसा सम्भव ना हो पाने की स्थिति में आंशिक रूप से वेतन का भुगतान किया जाएगा और बाक़ी भुगतान धनराशि का इन्तज़ाम होने तक टाल दिया जाएगा.
तमारा अलरिफ़ाई ने कहा कि क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने में यूएन एजेंसी की एक अहम भूमिका है. धनराशि के अभाव में स्वास्थ्य केन्द्रों और पाँच लाख बच्चों के लिये स्कूल संचालित नहीं कर पाना एजेंसी के लिये बेहद दुखद होगा.
लेकिन इस वर्ष दानदाताओं से यूएन एजेंसी को पर्याप्त वित्तीय संसाधन प्राप्त नहीं हुए हैं जबकि संयुक्त राष्ट्र महासभा से भरपूर राजनैतिक समर्थन हासिल किया गया था.
“इसलिये, हमारे संकट के केन्द्र में यूएन के सदस्य देशों से मिलने वाले राजनैतिक समर्थन और वित्तीय योगदानों के बीच का अन्तर है.”
वरिष्ठ फ़लस्तीनी अधिकारी और इसराइल-फ़लस्तीन विवाद के शान्तिपूर्ण निपटारे के लिये वार्ताओं में अहम भूमिका निभाने वाले साएब ऐराकात के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रृद्धांजलि दी गई हैं.
कोविड-19 संक्रमण की जटिलताओं के कारण उन्हें अक्टूबर में अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ मंगलवार को येरूशलम के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
ख़बरों के मुताबिक फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने तीन दिवसीय शोक की घोषणा की है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने साएब ऐराकात के निधन पर गहरा शोक जताते हुए ध्यान दिलाया है कि साएब ऐराकात हमेशा न्याय, गरिमा और फ़लस्तीनियों के जायज़ अधिकार सुनिश्चित करने के लिये समर्पित रहे.