वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश के ज़रिये ‘वायरस पर क़ाबू पाना सम्भव’

कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में मास्क पहना जाना अहम बताया गया है.
02-11-2020_WHO_MaskWearer.jpg
कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में मास्क पहना जाना अहम बताया गया है.

स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश के ज़रिये ‘वायरस पर क़ाबू पाना सम्भव’

स्वास्थ्य

मज़बूत स्वास्थ्य प्रणालियाँ और वैश्विक तैयारियाँ ना केवल भविष्य में एक निवेश हैं बल्कि मौजूदा कोविड-19 स्वास्थ्य संकट से निपटने में असरदार जवाबी कार्रवाई की बुनियाद भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने दुनिया के अनेक देशों में संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सोमवार को आगाह किया है कि पुख़्ता कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये यह एक अहम क्षण है. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर घेबरेयेसस ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ़्रेन्सिन्ग के ज़रिये पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य -  दवाओं और विज्ञान से कहीं बढ़कर है; और किसी व्यक्ति से कहीं बड़ा है. 

Tweet URL

“यह आशा है कि स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश करके...हम इस वायरस पर क़ाबू पा सकते हैं और साथ मिलकर हमारे समय की अन्य चुनौतियों का सामना करने के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं.”

महानिदेशक घेबरेयेसस हाल के दिनों में एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आए थे जिसे कोरोनावायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र ख़ुद को एकान्तवास में समेट लिया है, हालाँकि उनमें कोई संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिये हैं. 

उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताहान्त योरोप और उत्तर अमेरिका के देशों में संक्रमण के मामलों में उछाल आया है. “यह कार्रवाई के लिये एक और अहम लम्हा है...नेताओं के आगे बढ़ने का...साझा उद्देश्यों के लिये लोगों के एक साथ आने का...” 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि अभी देर नहीं हुई है और मौजूदा अवसर का लाभ उठाया जा सकता है.   

उन्होंने आगाह किया कि जिन देशों में संक्रमित लोगों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हो रही है और अस्पताल अपनी पूरी क्षमता के कगार पर पहुँच रहे हैं, वहाँ मरीज़ों और स्वास्थ्यकर्मियों पर जोखिम है. 

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने देशों द्वारा बुनियादी उपायों में निवेश की ज़रूरत पर बल दिया है ताकि लागू की गई पाबन्दियाँ सुरक्षित ढँग से हटाई जा सकें और सरकारों को फिर ऐसे उपाय लागू करने की ज़रूरत ना पड़े. 

संक्रमणों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र कुछ देश इन पाबन्दियों को लागू कर रहे हैं जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाला बोझ कम किया जा सके. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया कि मज़बूत प्रणालियों का निर्माण करना और गुणवत्तापरक परीक्षण, संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाना और उपचार सुनिश्चित करना, सभी अहम हैं. 

“विज्ञान, समाधान और एकजुटता को आगे बढ़ाने के लिये WHO अपने प्रयास जारी रखेगा.”

असरदार औज़ार

सोमवार को प्रैस वार्ता के लिये आमन्त्रित तीन अतिथियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके देशों में कोविड-19 से किस तरह लड़ाई आगे बढ़ाई जा रही है. 

कोरिया गणराज्य में संक्रमित लोगों की संख्या एक समय दुनिया में दूसरे नम्बर पर पहुँच गई थी लेकिन अब वहाँ बेहद कम मामले सामने आ रहे हैं. 

ग़ौरतलब है कि कोरोनावायरस पर क़ाबू पाने में कोरिया गणराज्य ने तालाबन्दी का सहारा नहीं लिया है.

सून्गक्यूनक्वान यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में प्रोफ़ेसर याई-जीन किम ने बताया कि वर्ष 2015 के MERS महामारी के फैलाव से लिये गए सबक़ के आधार रणनीति का पालन किया गया. 

कोरिया गणराज्य में तेज़ी से परीक्षण करने और संक्रमित लोगों को अलग करने के साथ-साथ डॉक्टरों ने ऐसे टैस्टिंग केन्द्र बनाए जहाँ लोग अपने वाहन से परीक्षण कराने जा सकते थे. 

इसके अलावा, मामूली लक्षण वाले मरीज़ों के लिये एक सामुदायिक उपचार केन्द्र स्थापित किया गया, सार्वजनिक अस्पतालों को जोखिमपूर्ण संचारी रोगों के लिये तैयार किया गया और बढ़ते संक्रमणों से निपटने में निजी अस्पतालों से मदद हासिल की गई.  

ये भी पढ़ें - कोविड-19: संक्रमण से दीर्घकालीन स्वास्थ्य पर असर के मामले चिन्ताजनक

दक्षिण अफ़्रीका में विटवॉटरस्रैण्ड यूनिवर्सिटी में प्रमुख वैज्ञानिक मर्विन मेर ने बताया कि बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँच बनाने के लिये पूरी क्षमता का इस्तेमाल किया गया. 

कोविड-19 ने अन्य देशों में फैलाव के कुछ महीने बाद दक्षिण अफ़्रीका को अपनी चपेट में लिया. इस समय का इस्तेमाल हालात से निपटने की रणनीति का ख़ाका तैयार करने में किया गया. 

इसके तहत फ़ील्ड अस्पतालों को स्थापित करने के बजाय मौजूदा अस्पतालों की क्षमताएँ बढ़ाई गईं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन स्टाफ़ में नई अधिकारी और सिएरा लियोन में पार्टनर्स इन हैल्थ में शीर्ष चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम कर चुकी मार्ता लाडो ने बताया कि किस तरह वहाँ 2014-2016 में इबोला महामारी पर क़ाबू पाने के लिये उपाय किये गए.  

संक्रामक बीमारी का फैलाव रोकने के लिये कॉन्टैक्ट ट्रेसिन्ग (संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाने), निगरानी, उपचार व देखभाल और बचाव उपकरणों के इस्तेमाल का सहारा लिया गया.