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क्या संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा प्रभावी है? आँकड़ों पर एक नज़र

कम्बोडिया में यूएनटीएसी के डच सैनिक, थाईलैण्ड के शिविरों से कम्बोडिया लौटने वाले शरणार्थियों की एक ट्रेन की रक्षा कर रहे हैं. (फाइल, 1993)
UN Photo/Pernaca Sudhakaran
कम्बोडिया में यूएनटीएसी के डच सैनिक, थाईलैण्ड के शिविरों से कम्बोडिया लौटने वाले शरणार्थियों की एक ट्रेन की रक्षा कर रहे हैं. (फाइल, 1993)

क्या संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा प्रभावी है? आँकड़ों पर एक नज़र

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र शान्ति मिशनों की विफलताओं का बड़े स्तर पर प्रचार और आलेखन किया जाता है - और कुछ मायनों में यह सही भी है. लेकिन अगर समग्र तस्वीर देखें और आँकड़ों का विश्लेषण करें, तो एकदम अलग व अन्ततः सकारात्मक तस्वीर उभरकर सामने आती है.

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड

16 सहकर्मियों द्वारा समीक्षा किए गए अध्ययनों में एकत्र किए गए साक्ष्य से पता चलता है कि शान्तिरक्षक - या फिर जैसाकि कहा जाता है 'ब्लू हैलमेट' - सिविल हताहतों की संख्या में कमी लाते हैं, संघर्षों को निपटाने में मदद करते हैं, और शान्ति समझौते बनाए रखने में मदद करते हैं.

वास्तव में, संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश शान्ति मिशन अपने प्राथमिक लक्ष्य में सफल होते हैं, समाजों को स्थिर करने और युद्धों को ख़त्म करने में सहायक होते हैं.

"अगर हम प्राप्त आँकड़ों को व्यवस्थित रूप से देखें – तो यह जानेंगे कि ज़्यादातर शान्तिरक्षा कार्रवाई कारगर होती है.” यह कहना है, वाशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड का. हाल ही में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘पावर इन पीसकीपिंग’ संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न शान्ति मिशनों में फ़ील्ड पर की गई व्यापक शोध पर आधारित है.

विशेष सफलता

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड ने यूएन वीडियो के साथ एक साक्षात्कार में कहा, "अगर हम शीत युद्ध की समाप्ति के बाद पूरे हुए मिशनों को देखें, तो दो तिहाई मामलों में, शान्तिरक्षकों ने सफलतापूर्वक अपने शासनादेश पूरे करके प्रस्थान किया है."

"यह कहना तो उचित नहीं होगा कि उन सभी देशों में सब सही हो गया है. लेकिन यह कहा जा सकता है कि अब वहाँ युद्ध के हालात नहीं हैं.”

उन्होंने कहा, "शान्तिरक्षक गृहयुद्ध दोबारा होने की सम्भावना को कम करने में मदद करते हैं. वे शान्ति समझौते लागू करने में भी मदद करते हैं. जहाँ शान्तिरक्षक होते हैं, वहाँ हमें शान्ति समझौते होने और उसके पालन होने की सम्भावना अधिक होती है."

मिस्र में संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन बल के स्वीडिश शान्तिरक्षक. (फ़ाइल 1956)
UN Photo/GJ
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन बल के स्वीडिश शान्तिरक्षक. (फ़ाइल 1956)

लाखों लोगों की जान बचाई

सबसे अहम बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षक जीवन बचाते हैं: प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड कहती हैं कि 1948 में शान्तिरक्षा की शुरुआत के बाद से लाखों लोगों की जान बचाई गई है.

युद्ध की बजाय शान्ति स्थापना में मदद करने के लिये सैनिकों का उपयोग करने की अवधारणा का जन्म, 1948 में मध्य पूर्व में वार्ता के दौरान हुआ था, जब नव-स्थापित देश इसराइल का, अपने पड़ोसियों के साथ संघर्ष चल रहा था.

शान्ति स्थापना के मुख्य रचनाकारों में से एक अमेरिकी राजनयिक, और संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर राल्फ़ बंच थे.

"मानव इतिहास में यह एक नवीनतम विचार था - कि सैनिक निष्पक्ष रूप से तैनात होंगे, और वो किसी का पक्ष नहीं लेंगे. चूँकि वो विरोधी पक्षों की सहमति से तैनाती होंगे, तो वो शान्तिरक्षकों से शान्ति समझौता लागू करने में मदद करने के लिये आगे आएंगे.”

डॉक्टर बंच को, 1948 में मिस्र और इसराइल के बीच युद्धविराम की वार्ता में मध्यस्थता करने के लिये, 1950 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

नामीबिया में संयुक्त राष्ट्र परिवर्तन सहायता समूह के साथ एक डच यूएन पुलिस मॉनिटर. (फ़ाइल, 1989)
UN Photo/M. Grant
नामीबिया में संयुक्त राष्ट्र परिवर्तन सहायता समूह के साथ एक डच यूएन पुलिस मॉनिटर. (फ़ाइल, 1989)

नामीबिया का उदाहरण

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड की एक ‘केस स्टडी’ नामीबिया है. 1989 में, संयुक्त राष्ट्र के एक शान्ति मिशन ने गृहयुद्ध को समाप्त करने में मदद की और देश के इतिहास में पहले स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों का समर्थन किया. यह कोई आसान काम नहीं था.

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड कहती हैं, "नामीबिया एक ऐसा देश है जिसने भारी परेशानी झेली है. इसके कई औपनिवेशिक शासक रहे. यहाँ जनसंहार भी हुआ. यह एक क्षेत्रीय युद्ध व  गृहयुद्ध का शिकार रहा. लेकिन नामीबिया आश्चर्यजनक रूप से इस अत्यधिक भीषण इतिहास से ध्वस्त नहीं हुआ.

नामीबिया आज एक स्थिर, उच्च-मध्य-आय वाला देश है, जिसमें एक कार्यशील लोकतांत्रिक व्यवस्था है – जोकि उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, एक असाधारण उपलब्धि है.

नामीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन उस समय के लिये अभिनव था. इसमें 40 प्रतिशत महिलाएँ थीं. प्रोफ़ेसर लिस हावर्ड का मानना है कि केवल हथियारों के बल पर निर्भर नहीं होने के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र शान्ति स्थापना सबसे प्रभावी है.

अनुनय की शक्ति

"उनका मुख्य तरीक़ा था, अनुनय-विनय का. वहाँ शान्तिरक्षक राजनैतिक व्यवस्था में सुधार में मदद करने के लिये मौजूद थे. इससे पहले कभी किसी ने चुनाव में मतदान नहीं किया था. शान्तिरक्षक, नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दे रहे थे और यह बता रहे थे कि अपने नेताओं को चुनने के क्या मायने हैं.”

गृह युद्धों के दौरान जटिल मिशनों में, शान्तिरक्षक न केवल संघर्ष विराम की निगरानी करते हैं, बल्कि वे देश के बुनियादी संस्थानों के पुनर्निर्माण में भी मदद करते हैं.

वे लड़ाकों के निरस्त्रीकरण में मदद करते हैं. वे न्यायिक और आर्थिक प्रणालियों में सुधार में मदद करते हैं, ताकि जब विवाद उत्पन्न हों, तो लोगों को उन्हें हल करने के लिये फिर से हिंसा का सहारा न लेना पड़े.

एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है, नागरिकों के जीवन की रक्षा करना. दक्षिण सूडान में गृहयुद्ध के दौरान, संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षकों ने तीव्र हिंसा के बीच, सैकड़ों-हज़ारों लोगों को आसरा देने के लिये अपने परिसर खोल दिए थे.

यौन शोषण

कई बार ऐसा भी हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षकों ने नागरिकों को अत्यधिक नुक़सान पहुँचाया है – जोकि उनकी रक्षा करने के बिल्कुल विपरीत है. कुछ को तो, कमज़ोर नागरिकों का यौन शोषण और दुर्व्यवहार करने का दोषी पाया गया.

संयुक्त राष्ट्र ने शान्तिरक्षकों द्वारा यौन हिंसा कृत्यों को रोकने के लिये अनेक क़दम उठाए गए हैं. ऐसे में, पूरी बटालिनों को वापस भेज दिया गया और यह सुनिश्चित करने के लिये उचित तंत्र अपनाए गए कि पीड़ित, यौन शोषण के अभियुक्त शान्तिरक्षक की रिपोर्ट करने में सुरक्षित महसूस करें.

संयुक्त राष्ट्र ने मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (सीएआर), काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी), हेती और लाइबेरिया में यौन शोषण व दुर्व्यवहार के शिकार लोगों की सहायता के लिये, 40 लाख डॉलर से अधिक राशि जुटाई है. यह ‘ट्रस्ट कोष’ सदस्य देश, पीड़ितों व यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार से पैदा हुए बच्चों की सहायता करने में उपयोग करते हैं.

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अन्तरिम बल से, घाना के शान्तिरक्षक. (फ़ाइल 2020)
UNIFIL/Pasqual Gorriz
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अन्तरिम बल से, घाना के शान्तिरक्षक. (फ़ाइल 2020)

केस स्टडी: लेबनान

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र मिशन, सैन्य बल की बजाय अन्य साधनों का उपयोग करके सफल होने वाले शान्ति अभियानों का एक और उदाहरण है. UNIFIL नामक यह मिशन, इसराइल और लेबनान की सीमा के पास एक अत्यधिक अस्थिर क्षेत्र में तैनात है. एक तरफ़, इसराइली रक्षा बल हैं, वहीं दूसरी ओर, हिज़बुल्लाह और अन्य सशस्त्र गुट.

UNIFIL के मुख्य कार्यों में से एक है, इसराइली रक्षा बलों और लेबनानी सेना के बीच शान्ति क़ायम रखने व तनाव दूर करने में मदद करना. लेकिन, प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड कहती हैं कि वर्तमान में शान्ति रक्षक, प्राथमिक रूप से जिस शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, वो है प्रेरणा व प्रोत्साहन.

"संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षक, शान्ति स्थापना में मदद करते हैं, इसलिये नहीं कि उनका कोई डर व्याप्त है, बल्कि वो संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षकों द्वारा लोगों को शान्ति की ओर बढ़ने के लिये प्रेरित करने का लाभ देखते हैं."

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड ने अपने फ़ील्ड शोध के दौरान पहली बार लेबनान में शान्तिरक्षकों की गतिविधियों का निकट से निरीक्षण किया.

पैदल गश्त

"दक्षिणी लेबनान में हम अक्सर शान्तिरक्षकों को पैदल गश्त करते हुए देखते हैं. वे स्थानीय समुदायों के आसपास गश्त लगते हैं. वे बाज़ारों का दौरा करते हैं. लोगों से बात करते हैं. इमाम से बात करेंगे, अन्य स्थानीय नेताओं से बात करेंगे. चिकित्सा क्लीनिक स्थापित करेंगे या दन्त चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करेंगे. दक्षिणी लेबनान में वो बहुत से रोज़गार भी मुहैया करवाते हैं.”

दूसरे शब्दों में, संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षक, वार्ता हेतु तनाव कम करने के लिये एक मार्ग प्रशस्त करते हैं. वे स्थानीय समुदायों से जान-पहचान बढ़ाते हैं और उन्हें सेवाएँ भी प्रदान करते हैं. वे शान्ति और स्थिरता के लाभ प्रदर्शित करते हैं.

युद्ध से शान्ति की ओर

प्रोफ़ेसर लीस हावर्ड का तर्क है कि प्रत्यक्ष सैन्य बल के बजाय, अनुनय और प्रेरणा व प्रोत्साहन का उपयोग करने से, संयुक्त राष्ट्र शान्ति स्थापना को ज़्यादा सफलता हासिल होती है. लेकिन सफलता के पीछे सिद्धान्त जो भी हो, व्यापक, व्यवस्थित अध्ययन के आँकड़ों से स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र शान्ति मिशन ज़्यादातर मामलों में बेहद प्रभावी होते हैं.

"यदि हम व्यवस्थित रूप से मामलों को देखें, तो शान्तिरक्षक, लोगों को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में, युद्ध एवं हिंसक संघर्ष की स्थिति से, अधिक शान्ति के हालात में बढ़ने में मदद कर रहे हैं."

यूएन शान्तिरक्षा अभियान के अब तक के कुछ सफल अभियान:

1. नामीबिया 1989-1990

2. कम्बोडिया 1992-1993

3. मोज़ाम्बीक़ 1992-1994

4. अल सल्वाडोर 1991-1995

5. ग्वाटेमाला 1997-1997

6. ई. स्लेवोनिया/क्रोएशिया 1996-1998

7. तिमोर लेस्ते 1999-2002

8. सिएरा लियोन 1999-2005

9. बुरुंडी 2004-2006

10. तिमोर लेस्ते 2006-2012

11. कोट डिवार 2004-2017

12. लाइबेरिया 2003-2018