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परमाणु जोखिम दूर करने का एकमात्र रास्ता – हथियारों का ‘पूर्ण उन्मूलन’

वर्ष 1971 में फ़्रेन्च पोलिनेशिया में परमाणु परीक्षण का दृश्य.
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वर्ष 1971 में फ़्रेन्च पोलिनेशिया में परमाणु परीक्षण का दृश्य.

परमाणु जोखिम दूर करने का एकमात्र रास्ता – हथियारों का ‘पूर्ण उन्मूलन’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि पृथ्वी पर जीवन रक्षा के लिये परमाणु हथियारों का पूर्ण रूप से उन्मूलन ज़रूरी है. महासचिव ने शुक्रवार को महासभा के 75वें सत्र के दौरान आयोजित एक कार्यक्रम में सर्वजन की सुरक्षा के लिये परमाणु निरस्त्रीकरण के साझा मार्ग पर लौटने का आहवान किया. 

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ‘परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम में एकत्र प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि परमाणु ख़तरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये यही एकमात्र रास्ता है. 

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75 वर्ष पहले यूएन की स्थापना होने के समय से ही परमाणु निरस्त्रीकरण संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है. लेकिन महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि दुनिया अब भी परमाणु विनाश की छाया में रहने के लिये मजबूर है. 

सुरक्षा की ख़ातिर 

उन्होंने चेतावनी भरे अन्दाज़ मेंं कहा कि परमाणु शस्त्रों के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में प्रगति अवरुद्ध हो गई है और इसके पलट जाने का भी जोखिम है. 

परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों के बीच बढ़ते अविश्वास व तनाव और सटीक, पैने और गुप्त हथियार विकसित किये जाने के कार्यक्रमों पर चिन्ता जताई गई है. 

यूएन प्रमुख ने इन शस्त्र कार्यक्रमों पर भारी-भरकम धन ख़र्च होने पर हैरानी जताते हुए कहा कि विश्व में परमाणु हथियारों के ज़खीरे को सीमित करने वाली सन्धि की अवधि अगले वर्ष समाप्त हो रही है.

इससे अनियन्त्रित रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के दिनों के वापिस लौटने का ख़तरा पैदा हो रहा है. 

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा, “हम सभी की सुरक्षा की ख़ातिर, दुनिया को परमाणु निरस्त्रीकरण के साझा मार्ग पर लौटना होगा.” 

उनके मुताबिक रूस और अमेरिका के लिये रणनैतिक शस्त्रों में कमी लाने के लिये नई सन्धि (Strategic Arms Reduction Treaty/START) को बिना देरी पाँच वर्षों के लिये आगे बढ़ाना अनिवार्य है.

इस सन्धि में परमाणु मिसाइल लॉन्चर की संख्या में 50 फ़ीसदी की कमी लाने और जाँच व पुष्टिकरण के लिये नई व्यवस्था स्थापित किये जाने की बात कही गई है. 

सन्धि के लागू होने के सात वर्षों के भीतर यह व्यवस्था की जानी होगी. 

महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि इस दिशा में नेतृत्व का दायित्व परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों का है और इस क्रम में उन्हें अपने मौजूदा संकल्पों का सम्मान करते हुए परमाणु जोखिमों को कम करने के लिये क़दम उठाने होंगे. 

“विशेष रूप से, आज के तनावग्रस्त अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल में, जहाँ बड़ी शक्तियों के बीच टकराव बढ़ रहा है, ऐसे क़दम पहले की अपेक्षा कहीं ज़्यादा आवश्यक हैं.”

बहुपक्षवाद पर ज़ोर

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन के अन्त में नए सिरे से एक मज़बूत और समावेशी बहुपक्षाद की पुकार लगाई जो भरोसे और मानव सुरक्षा की नींव पर खड़ा किया जाएगा. 

उन्होंने कहा कि इससे दुनिया को परमाणु हथियार मुक्त करने के साझा लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकेगा. 

यूएन महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बढ़ते वैश्विक तनाव के बीच निरस्त्रीकरण व्यवस्था-तन्त्र पर दबाव बढ़ रहा है.

उन्होंने चिन्ता जताई कि कुछ पक्ष परमाणु समझौतों से पीछे हट रहे हैं और अन्य की अवधि समाप्त हो रही है. इसके अलावा कुछ सदस्य देशों ने फिर से परमाणु परीक्षण किये जाने की धमकी जारी की है. 

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महासभा अध्यक्ष ने महत्वपूर्ण ‘परमाणु अप्रसार सन्धि’ और महासचिव के ‘निरस्त्रीकरण एजेण्डा’ का उल्लेख करते हुए कहा परमाणु हथियार मुक्त विश्व को सम्भव बनाने के लिये ये प्रभावी औज़ार हैं. 

उन्होंने स्पष्ट किया कि परमाणु निरस्त्रीकरण हम सभी के लिये एक प्राथमिकता है और इस सम्बन्ध में समय बर्बाद करने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता.