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परमाणु हथियार निषेध सन्धि के लागू होने का मार्ग प्रशस्त

वर्ष 1971 में फ्रेंच पोलेनेशिया के एक द्वीप पर परमाणु परीक्षण.
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वर्ष 1971 में फ्रेंच पोलेनेशिया के एक द्वीप पर परमाणु परीक्षण.

परमाणु हथियार निषेध सन्धि के लागू होने का मार्ग प्रशस्त

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘परमाणु हथियारों के निषेध पर सन्धि’ को लागू किये जाने से जुड़ी शर्तों के पूरा होने के बाद इस सन्धि पर मोहर लगाने वाले देशों की सराहना की है. होण्डूरास शनिवार को इस सन्धि पर मोहर लगाने वाले 50वाँ देश बन गया जिसके बाद, इस सन्धि के 22 जनवरी 2021 से लागू होने का रास्ता स्पष्ट हो गया है. 

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की जुलाई 2017 में आयोजित एक बैठक के दौरान 122 देशों ने इस सम्बन्ध में एक समझौते का समर्थन किया था.

यूएन प्रमुख के मुताबिक इस सन्धि का लागू होना उस विश्वव्यापी आन्दोलन की परिणाम है जिसके ज़रिये परमाणु अस्त्रों के इस्तेमाल से होने वाले विनाशकारी मानवीय परिणामों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया.

परमाणु हथियारों के निषेध पर सन्धि में घोषणा की गई है कि इस पर मोहर लगाने वाले देश कभी भी, किसी भी परिस्थिति में, परमाणु हथियारों या अन्य प्रकार के परमाणु विस्फोटकों का विकास, परीक्षण, उत्पादन नहीं करेंगे, और ना ही उन्हें किसी अन्य तरह से हासिल करने या भण्डारण करने की कोशिश में शामिल होंगे. 

महासचिव गुटेरेश ने शनिवार को एक बयान जारी करके सन्धि पर मोहर लगाने वाले सभी देशों और नागरिक समाज के प्रयासों की सराहना की है.

महासचिव ने कहा है कि उनके प्रयासों के फलस्वरूप इस दिशा में वार्ताएँ आगे बढ़ाने और सन्धि को अमली जामा पहनाने में मदद मिली है. 

एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया है कि सन्धि का लागू होना परमाणु विस्फोटों और परीक्षणों में जीवित बच गए सभी लोगों को एक श्रृद्धांजलि है. इनमें से बहुत से लोग इस सन्धि के लिये पैरवी करते रहे हैं. 

 “यह उपलब्धि परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में एक अर्थपूर्ण संकल्प को प्रदर्शित करती है, जोकि संयुक्त राष्ट्र की सर्वोपरि निरस्त्रीकरण प्राथमिकता बनी हुई है.” 

यूएन प्रमुख ने कहा  कि इस सन्धि की मदद से पूर्ण उन्मूलन की दिशा में प्रगति के लिये वह अपनी भूमिका निभाते रहने के लिये तैयार हैं. 

बताया गया है कि पिछले दो दशकों में परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में यह सन्धि पहला बहुपक्षीय व क़ानूनी रूप से बाध्यकारी औज़ार है.