युद्धग्रस्त यमन में ईंधन संकट का तत्काल हल ज़रूरी
यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सभी पक्षों तुरन्त उनके कार्यालय से सम्पर्क करके एक ऐसा समाधान तलाश करने के लिये साथ मिलकर काम करने का आहवान किया है जिसके ज़रिये युद्धग्रस्त देश के लोगों की ईंधन की बुनियादी ज़रूरतें पूरी सकें. अन्सार अल्लाह गुट के नियन्त्रण वाले इलाक़ों में ईंधन की भारी क़िल्लत हो गई है.
यमन में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफिथ्स ने ईंधन की कमी के विनाशकारी और व्यापक मानवीय परिणामों को रेखांकित किया. "संघर्षरत यमन में लोगों का जीवन पहले से ही बेहद चुनौतीपूर्ण हैं. ऊपर से यमन के नागरिक, स्वच्छ पानी, बिजली और परिवहन जैसी ईंधन से जुड़ी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिये कठिन संघर्ष करने को मजबूर हैं.”
Read a statement by the Special Envoy of the Secretary-General for #Yemen, Martin Griffiths, on the importance of making fuel available in Yemen: https://t.co/9wWLpidZeb
OSE_Yemen
उन्होंने कहा, "खाद्य, ईंधन और चिकित्सा आपूर्ति सहित आवश्यक वाणिज्यिक सामान का आयात प्रवाह और उस सामान का देश भर में नागरिकों को वितरण सुनिश्चित करना होगा."
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता कार्यों की एजेंसी (OCHA) के अनुसार, ईंधन की कमी के कारण अनौपचारिक बाजार में ईंधन की क़ीमतें आसमान छू रही हैं, पैट्रोल स्टेशनों पर लम्बी क़तारें लग रही हैं और पानी, परिवहन व कुछ अन्य चीज़ों की क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं. ईंधन की कमी और बढ़ती क़ीमतों ने मानवीय सहायता कार्यों को भी प्रभावित किया है, जिससे कुछ सहायता कार्यक्रमों में कमी आई है और अनेक कार्यक्रम गए हैं.
संघर्ष, बीमारी, आर्थिक पतन और सार्वजनिक संस्थानों व सेवाओं के टूटने के कारण यमन का मानवीय संकट दुनिया के सबसे विकट संकटों में से एक बन चुका है.
छह साल के संघर्ष के बाद लाखों लोग भूखे, बीमार, निराश्रित और बेहद सम्वेदनशील स्थिति में जीने को मजबूर हैं.
हालात ये हैं कि देश की 80 प्रतिशत आबादी को किसी न किसी तरह की मानवीय सहायता और सुरक्षा की आवश्यकता है.
रचनात्मक रूप से जुड़ने की अपील
विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि इसके समाधान के लिये दोनों पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा हुई, जिससे हुदायदाह बन्दरगाह के ज़रिये यमन की ईंधन और अन्य तेल उत्पादों की कमी की समस्या ख़त्म हो सके, और उससे मिलने वाले राजस्व से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जा सके.
विशेष दूत ने कहा, "मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि वे तात्कालिक रूप से, कल्याण की भावना लेकर, रचनात्मक तरीक़े से, किसी पूर्व शर्त के बिना, मेरे कार्यालय से जुड़कर इसमें मदद करें."
हुदयदाह बन्दरगाह को देश का एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र और मानवीय जीवन रेखा माना जाता है.
विशेष दूत का कार्यालय, हमेशा से हुदयदाह बन्दरगाह के रास्ते यमन में नियमित वाणिज्यिक ईंधन आयात पर सभी पक्षों की सहमति बनाने और उससे मिलने वाले राजस्व से 2014 के खातों के आधार पर प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कराने के लिये लगातार काम करता रहा है.
दिसम्बर 2018 में, विशेष दूत की मध्यस्थता से स्टॉकहोम में सभी पक्षों की वार्ता सम्भव हु थीई और हुदयदाह समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
इसके अलावा, उन्होंने एक और सीमित समझौता कराने में मदद की, जिसके तहत नवम्बर 2019 से अप्रैल 2020 तक हुदयदाह बन्दरगाह में 13 लाख टन से अधिक वाणिज्यिक ईंधन आयात करने वाले लगभग 72 जहाज़ों के प्रवेश की अनुमति दी गई.
उस अस्थायी समझौते के ख़त्म होने के बाद से ही विशेष दूत का कार्यालय ईंधन के आयात और वेतन के भुगतान के लिये सम्बद्ध राजस्व के उपयोग को लेकर एक तात्कालिक समाधान खोजने के लिये सभी पक्षों के सम्पर्क में है.
विशेष दूत के कार्यालय ने कहा कि इस वितरण तन्त्र पर बातचीत करने के लिये सभी पक्षों को बुलाने के अनेक प्रयास किये गए हैं.
कार्यालय के मातबिक, “हालाँकि, दुख की बात ये है कि अभी तक ये बैठक सम्भव नहीं हो सकी है. कार्यालय एक बार फिर सभी पक्षों से इस बैठक को यथाशीघ्र आयोजित करने का आग्रह करता है.”