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हैज़े के बढ़ते मामलों के बीच यमनी अस्पताल पर हमले की जांच

अदन के एक अस्पताल में हैज़े के मरीज़ का इलाज.
OCHA/Matteo Minasi
अदन के एक अस्पताल में हैज़े के मरीज़ का इलाज.

हैज़े के बढ़ते मामलों के बीच यमनी अस्पताल पर हमले की जांच

मानवीय सहायता

यमन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार टीम विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़े में स्थित एक अस्पताल पर कथित हवाई हमले की जांच कर रही है. मंगलवार को इस हमले में सात आम नागरिकों के मारे जाने की ख़बर है. उधर मानवीय राहत से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने चिंता जताई है कि यमन में हैज़े के मामले जंगल में आग की तरह फैल रहे हैं.

उत्तरी सअदा गवर्नरेट के किताफ़ ज़िले में हमले और ताइज़ शहर में हिंसा के तेज़ होने की यमन में मानवीय मामलों की समन्वयक लिज़े ग्रान्डे ने निंदा की है. उन्होंने कहा कि यह नितांत अनुचित है कि ज़रूरी सेवाओं को ऐसे समय में निशाना बनाया जा रहा है जब लोगों को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. लड़ाई के चलते एक और अस्पताल में कार्य ठप्प होने की रिपोर्टें मिली हैं.

"हैज़ा जंगल में आग की तरह देश भर में फैलता जा रहा है. पिछले तीन महीनों में अब तक 200 मौतें हो चुकी हैं और एक लाख से ज़्यादा संदिग्ध मामले सामने आए हैं." एक तिहाई से ज़्यादा मामलों में पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैज़े से पीड़ित हैं.

उधर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने बुधवार को बताया कि यमन में उसकी टीम सअदा में हवाई हमले में मारे लोगों की संख्या की पुष्टि करने का प्रयास कर रही है.

मानवीय मामलों में समन्वयन के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNOCHA) का कहना है कि ताइज़ के अल मुधहाफ़र ज़िले में झड़पों के दौरान दो लोगों की मौत हुई है जबकि पांच घायल हुए हैं.

"इस समय अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून इस समय सुस्पष्ट है. जो भी पक्ष हिंसा का सहारा लेता है उसे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का सुरक्षा का हरसंभव प्रयास करना होगा. यह स्वैच्छिक रूप से लिया गया संकल्प नहीं है - यह एक बुनियादी ज़िम्मेदारी है."

राहत कार्य में जुटी एजेंसियां

हैज़े और दस्त के मामलों में पिछले दो सालों की तुलना में कमी देखने को मिली है लेकिन चिंता जताई गई है कि बारिश के मौसम में और बुनियादी सेवाओं के अभाव में फिर से उनका स्तर बढ़ सकता है. जितने मामलों की जानकादी दी जाती हैं उनमें एक तिहाई से ज़्यादा पांच साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अपने एक संयुक्त बयान में कहा "हमारी टीमें यमन में दिन रात स्थानीय साझेदारों के साथ काम कर रही हैं ताकि बीमारियों को फैलने से रोका जा सके. हमें डर है कि बारिश के मौसम के जल्द आने और बुनियादी व्यवस्थाओं के ढह जाने से हैज़ा के संदिग्ध मामले बढ़ते रहेंगे."

हुदायदाह और ताइज़ में हिंसा के बढ़ने, पानी की निकासी की व्यवस्था ठप्प होने, कृषि के लिए प्रदूषित पानी के इस्तेमाल, भोजन के सुरक्षित भंडारण के लिए पर्याप्त बिजली आपूर्ति के अभाव और अन्य कई मुश्किलों की वजह से बड़े पैमाने पर बीमारी फैलने का ख़तरा है. इस आशंका से बहुत से परिवार अपने घरों को छोड़कर चले गए हैं.

यमनी राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी के समर्थक सुरक्षा बलों और हूती विद्रोही गुटों में चार साल पहले शुरू हुई लड़ाई के बाद से ही यमन दुनिया में सबसे ख़राब मानवीय संकट बन गया है.

लाखों लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हाल ही में ज़बरदस्त मानवीय आपदा की चेतावनी जारी करते हुए अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं से मदद की अपील की. पिछले महीने यूएन प्रमुख ने सदस्य देशों को बताया कि 3.6 लाख बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भुखमरी के चलते पांच साल से कम उम्र के 80 हज़ार बच्चों की मौत हो गई है.

मानवीय मामलों में समन्वयन के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNOCHA) के अनुसार यमन की कुल जनसंख्या का लगभग 80 फ़ीसदी हिस्से - 2.41 करोड़ लोग - को किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता या संरक्षण की ज़रूरत है.

एक करोड़ लोग अकाल और भुखमरी के कगार पर हैं जबकि 70 लाख लोग कुपोषण का शिकार हैं. 2019 के लिए यमन मानवीय राहत योजना के लिए निर्धारित 4.2 अरब डॉलर में से अब तक सिर्फ़ पांच प्रतिशत राशि का ही इंतज़ाम हो पाया है.