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बढ़ता वैश्विक तापमान जलवायु लक्ष्य पूरा करने में 'बड़ी चुनौती'

गर्मी से राहत पाने के लिए, 11 साल का एक लड़का, उज़्बेकिस्तान के समरकंद शहर के एक ऐतिहासिक हिस्से में फव्वारे में खेल रहा है. (फाइल)
UNICEF/Pirozzi
गर्मी से राहत पाने के लिए, 11 साल का एक लड़का, उज़्बेकिस्तान के समरकंद शहर के एक ऐतिहासिक हिस्से में फव्वारे में खेल रहा है. (फाइल)

बढ़ता वैश्विक तापमान जलवायु लक्ष्य पूरा करने में 'बड़ी चुनौती'

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के नए आँकड़ों के अनुसार आने वाले पाँच वर्षों में वार्षिक वैश्विक तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में कम से कम 1° सैल्सियस बढ़ने की आशंका है, जिससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य खटाई में पड़ सकते हैं. 

यूएन एजेंसी की जिनीवा में गुरुवार को जारी नवीनतम रिपोर्ट - Global Annual to Decadal Climate Update में ये पूर्वानुमान लगाया गया है कि अब लेकर वर्ष 2024 के बीच किसी एक वर्ष के दौरान, तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है.

1850-1900 तक मानी जाने वाली पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में पृथ्वी का औसत तापमान पहले से ही 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ चुका है, वहीं पिछले पाँच साल सबसे गर्म रहे हैं.

WMO के महासचिव, पैट्टेरी तालस ने कहा "उच्च स्तर के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए इस अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को पूरा करने और वैश्विक तापमान को इस सदी के पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे रखने के प्रयासों को आगे बढ़ाने और 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के रास्ते में भारी चुनौती है.

कार्रवाई का कोई विकल्प नहीं

इस नए अध्ययन में प्राकृतिक बदलाव और जलवायु पर मानव प्रभाव को ध्यान में रखा गया है, लेकिन कोरोनोवायरस महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु में हुए परिवर्तनों को इससे बाहर रखा गया है.

मौसम संगठन ने बताया कि महामारी के कारण औद्योगिक व आर्थिक गतिविधियों में हुई मन्दी, निरन्तर और समन्वित जलवायु कार्रवाई का विकल्प नहीं है.

पैट्टेरी तालस ने बताया, "वायुमण्डल में कार्बनडाइ ऑक्साइड बहुत लम्बे समय तक रहती है, इसीलिये इस वर्ष उत्सर्जन में हुई गिरावट के कारण वायुमण्डलीय कार्बनडाइ ऑक्साइड सान्द्रता में कमी होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार होती है."

उन्होंने कहा, “चूँकि कोविड-19 की वजह से एक गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य और आर्थिक संकट पैदा हो गया है, जलवायु परिवर्तन से निपटने में विफलता - सदियों के लिए मानव कल्याण, पारिस्थितिकी तन्त्र और अर्थव्यवस्थाओं के लिए ख़तरा बन सकती है."

"सरकारों को इस अवसर का उपयोग करते हुए जलवायु कार्रवाई को पुनर्बहाली कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो कि हम भविष्य में संकट से बेहतर तरीक़े से उबरें.”

अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का अध्ययन

इस Global Annual to Decadal Climate Update का नेतृत्व ब्रिटेन का मौसम कार्यालय करता है.

ये अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय स्तर के जलवायु वैज्ञानिकों और दुनिया भर के अग्रणी जलवायु केन्द्रों के सर्वश्रेष्ठ कंप्यूटर मॉडल की मदद से किया गया है. 

मौसम संगठन के मुतबिक किसी एक स्रोत से प्राप्त नतीजों के मुक़ाबले दुनिया भर के कई पूर्वानुमानों को मिलाकर हासिल किये गये निष्कर्ष ज़्यादा भरोसे के लायक होते हैं.