2020 तीसरा सर्वाधिक गर्म वर्ष होने की राह पर...
विश्व मौसम संगठन ने कहा है कि वर्ष 2020, तीसरा सबसे ज़्यादा रिकॉर्ड गर्म वर्ष होने के रास्ते पर है. ऐसा होने पर लगातार छह साल का सिलसिला पूरा होगा जो, रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से सबसे गर्म दर्ज किये गए थे.
संगठन के महासचिव पैट्टेरी तालस ने बुधवार को एक वक्तव्य में कहा कि वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड के बढ़ते स्तर के कारण आने वाले दशक में भी तापमान वृद्धि होगी. कोविड-19 महामारी के दौरान यातायात में धीमापन आने के बावजूद कार्बन डाइ ऑक्साइड के स्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
.@WMO #StateofClimate report:🔶 2020 is on track to be one of the three warmest years on record 🔶 2011-2020 will be the warmest decade on record🔶 Warmest 6 years have all been since 2015#ClimateAction pic.twitter.com/8GCmSYNpja
UNEP
उन्होंने कहा, “वर्ष 2020 में, औसत तापमान, 1850-1900 के पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.2 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहने का अनुमान है. 20 प्रतिशत ऐसे अस्थाई अनुमान भी हैं कि ये तापमान वृद्धि वर्ष 2024 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक भी हो सकती है.”
चिन्ताजनक सीमा
1.5 डिग्री सेल्सियस का स्तर, एक ऐसी सीमा है, दुनिया जिस तक पहुँचने से बचना चाह रही है: जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते में यही लक्ष्य रखा गया है.
इस समझौते को पृथ्वी पर मौजूद लगभग सभी देशों ने अपना समर्थन दिया है.
इसमें पूर्व औद्योगिक काल में मौजूद तापमान के स्तर से, वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा नहीं होने देने का लक्ष्य रखा गया है.
बुधवार को, यूएन समर्थित एक उत्पादन अन्तर रिपोर्ट में कहा गया है कि तापमान वृद्धि को धीमा करने के लिये, दुनिया को व्यापक और तेज़ कार्रवाइयाँ करनी होंगी.
अगर दुनिया को, विनाशकारी तापमान वृद्धि से बचना है तो, देशों को वर्ष 2020 से 2030 के दौरान, जीवाश्म ईंधन का उत्पादन प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की दर से घटाना होगा.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को न्यूयॉर्क में, एक महत्वपूर्ण भाषण में कहा कि जलवायु पदा के ख़िलाफ़ लड़ाई 21वीं सदी की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
मौसमी विरोधाभास
प्रोफ़ेसर तालस ने कहा कि रिकॉर्ड तापमान वाले गरम वर्ष अक्सर प्रबल एल नीनो घटना से मेल खाते रहे हैं, जैसाकि 2016 में हुआ था. अब हम ला नीना (सर्द) का अनुभव कर रहे हैं, जिसने वैश्विक तापमानों पर ठण्डा असर डाला है, लेकिन फिर भी इस वर्ष की तापमान वृद्धि पर विराम लगाने में कामयाब नहीं रहा है.
मौजूदा ला नीना परिस्थितियों के बावजूद, इस वर्ष, अभी तक ही, 2016 के लगभग समान गर्मी दर्ज कर दी है.
उनका कहना है, “हमने पृथ्वी, समुद्रों और ख़ासतौर से आर्कटिक में नए चरम तापमान देखे हैं. ऑस्ट्रेलिया, साइबेरिया, अमेरिका के पश्चिमी तटों और दक्षिण अमेरिका में, जंगली आगों ने बहुत बड़े इलाक़ों को लील लिया, उनसे निकली लपटों ने बहुत बड़े आसमान में धुएँ के बादल फैला दिये.”
“अटलाँटिक में बड़ी संख्या में समुद्री तूफ़ानों देखे गए, जिनमें नवम्बर में मध्य अमेरिका में चार तूफ़ानों ने तो एक के बाद एक करके तबाही मचाई. अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ इलाक़ों में बाढ़ के कारण बड़े पैमाने पर लोगों को विस्थापित हना पड़ा और लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ी.”
विश्व मौसम संगठन ने कहा है कि 2020 की तापमान रिपोर्ट तब तक अस्थाई है जब तक कि मार्च, 2021 में, अन्तिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर दी जाती है.