योग दिवस: कोविड-19 के दबावों से निपटने में विश्व को भारतीय भेंट की अहमियत
संयुक्त राष्ट्र 21 जून को छठा अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है जिस दौरान मानव स्वास्थ्य और बेहतर जीवन में इस प्राचीन और व्यापक प्रक्रिया की भूमिका की अहमियत को पहचान दी जा रही है. कोविड-19 महामारी से उत्पन्न अनेक तरह के दबावों और तनावों से निपटने के लिए भी योग को एक शक्तिशाली औज़ार समझा जाता है.
योग एक ऐसी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक व्यायाम प्रक्रिया है जो भारत में शुरू हुई थी और अब दुनिया भर में विभिन्न रूपों में लोकप्रिय व प्रचलित है. योग शब्द का मूल संस्कृत भाषा में है जिसका अर्थ होता है – शामिल या एकत्र होना. इसका भावार्थ शरीर और चेतना को एक करने से है.
अवसाद और चिन्ता का मुक़ाबला
दुनिया भर में कोविड-19 के फैलाव ने लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों को अपनी जीवनशैली में अभूतपूर्व बदलाव करने पड़े हैं जिनसे लोगों में अवसाद और चिन्ता जैसी स्वास्थ्य परिस्थितियाँ भी बढ़ी हैं.
इस वर्ष योग दिवस को मनाने के लिए कोविड-19 के मद्देनज़र ऐहतियाती उपायों के बीच संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थाई मिशन ने 19 जून को ऑनलाइन (वर्चुअल) आयोजन किए.
इसकी थीम रखी गई – “स्वास्थ्य के लिए योग – घर पर योग”. कोविड-19 के कारण योग स्टूडियो और सामुदायिक स्थान भी बन्द रहे इसलिए योग प्रेमियों ने ये स्वास्थ्य प्रक्रिया या तो अपने घरों पर की या फिर ऑनलाइन संसाधनों का सहारा लिया.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) के न्यूयॉर्क कार्यालय में कार्यरत और वैश्विक आपदाओं में संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में सहायता करने वाली एक योग शिक्षिका सिल्के वॉन ब्रॉकहाउसेन का इस मौक़े पर कहना था, “मेरे अभियानों व सीमित स्थानों में काम करने के दौरान, योग ने मुझे शान्त व स्थिर, सन्तुलित और ध्यान केन्द्रित करने में मदद की है.”
एक अदभुत खोज
विश्व के अनेक हिस्सों में स्कूल और ग्रीष्मकालीन गतिविधियाँ स्थगित होने के दौरान अभिभावक व माता-पिता अपने बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखने और उन्हें तनावमुक्त रखने में योग का सहारा ले सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में उप स्थाई प्रतिनिधि नागराज नायडू कहते हैं, “योग एक अदभुत खोज है, मैंने योग के ज़रिये ख़ुद को और मेरे परिवार के भीतर अनूठे बदलाव आते देखे हैं. योग करने से बहुत से फ़ायदे हो सकते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव संख्या 69/131 के ज़रिये 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था.
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की पहल और प्रोत्साहन के तहत ये निर्णय लिया गया था. उन्होंने महासभा के 69वें सत्र में कहा था, “योग मस्तिष्क और शरीर का सम्मिलन करता है, ये एक ऐसी व्यापक प्रक्रिया है जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन की बेहतरी के लिए मूल्यवान है.”
एकान्तवास में रहने के नुस्ख़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 महामारी फैलने के शुरुआती दिनों से ही योग के फ़ायदों पर ज़ोर दिया था और घरों पर रहने के दौरान शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए योग करने की सिफ़ारिश की है.
संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने 20 मार्च की प्रैस वार्ता में लोगों के लिए एकान्तवास में रहने के दौरान अन्य स्वास्थ्य प्रक्रियों के साथ-साथ योग को भी महत्वपूर्ण बताया था.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2018-2030 की वैश्विक शारीरिक गतिविधि कार्रवाई योजना में योग को भी महत्वपूर्ण स्थान मिला है. इसमें शारीरिक व्यायाम बढ़ाने के लिए नीतिगत निवेश बढ़ाने और टिकाऊ विकास लक्ष्य संख्या-3 (अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर जीवन) हासिल करने के बीच एक कड़ी का काम करता है.
वैश्विक स्वास्थ्य – दीर्घकालीन मक़सद
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बाँडे ने 19 जून को योग के वर्चुअल सत्र का उदघाटन करते हुए कहा, “स्वास्थ्य केवल बीमार नहीं होने भर की स्थिति नहीं है. स्वस्थ रहने का मतलब अच्छी तरह जीवन जीना है.”
“वैश्विक स्वास्थ्य हासिल करना एक दीर्घकालीन लक्ष्य है.”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरूमूर्ति ने इस मौक़े पर कहा कि 2020 के समारोह योग की वैश्विक प्रासंगिकता साबित करते हैं, साथ ही ऐसे ठोस चिकित्सीय और वैज्ञानिक साक्ष्य भी पेश करते हैं जो स्वस्थ जीवनशैली के प्रोत्साहित को पुष्ट करते हैं.
उन्होंने कहा कि योग तकनीकों में साँस पर नियन्त्रण करना, ध्यान लगाना जैसी प्रक्रियाएँ प्रमुख हैं और योग के ज़रिये अवसाद और चिन्ता जैसी स्वास्थ्य स्थितियों से निजात पाने, और ऊर्जा का संचार करने में मदद मिलती है.
कोरोनावायरस पोर्टल व न्यूज़ अपडेट
हमारे पाठक नॉवल कोरोनावायरस के बारे में संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन व अन्य यूएन एजेंसियों द्वारा उपलब्ध जानकारी व दिशा-निर्देश यहाँ देख सकते हैं. कोविड-19 के बारे में यूएन न्यूज़ हिंदी के दैनिक अपडेट के लिए यहाँ क्लिक करें.“इस वर्ष हमने ऐसे सरल योग संस्करण पेश किये हैं जिन्हें सभी लोग अपने घरों पर आसानी से कर सकते हैं. कृपया विश्व को भारत की इस अदभुत भेंट का आनन्द उठाने के प्रयासों में शामिल हों.”
मानवता फिर से पटरी पर
ईशा संस्थान के संस्थापक सदगुरू ने योग के इस वर्चुअल सत्र के प्रतिभागियों का नेतृत्व सिंहा क्रिया से किया जिसका अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिये किया जाता है.
उन्होंने कहा कि विशेषरूप से संकट की किसी स्थिति के दौरान ये बहुत महत्वपूर्ण है कि हम सभी इन्सान अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के साथ काम करें.
सदगुरू ने कहा “हम अपने भीतर ही कोई संकट पैदा नहीं कर सकते.” यौगिक प्रक्रियाएँ व अभ्यास लोगों के मस्तिष्कों को मुक्त करने और रोग प्रतिरोधी बढ़ाने में सक्षम हैं.
“ये बहुत अहम है कि हम जीवित रहें और शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहें, और मानवता यथाशीघ्र पटरी पर लौट आएगी.”