वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

जलवायु परिवर्तन के समाधान में योग से मिल सकती है मदद

2019 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम जलवायु कार्रवाई से जुड़ी है.
Permanent Mission of India
2019 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम जलवायु कार्रवाई से जुड़ी है.

जलवायु परिवर्तन के समाधान में योग से मिल सकती है मदद

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से उपजते ख़तरों से निपटने में योग और उससे प्रेरित टिकाऊ जीवनशैली की अहम भूमिका है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गुरुवार को न्यूयॉर्क में यूएन महासभा में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि योग के ज़रिए जीवन, समाज और प्रकृति के साथ समरसता स्थापित करने में मदद मिलती है. 

उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ने स्वस्थ जीवनशैली में योग की भूमिका को बयान करते हुए कहा कि तनाव कम करने से लेकर शारीरिक और मानसिक कल्याण में योग महत्वपूर्ण है. 

“संतुलन ही योग का सार है. व्यक्ति के जीवन में संतुलन स्थापित करने के अलावा योग से एकजुटता, सामाजिक एकीकरण, सहिष्णुता, न्याय और शांति भी सुनिश्चित की जा सकती है.”  

विश्व भर में योग की लोकप्रियता बढ़ रही है और इसके ज़रिए बेहतर स्वास्थ्य, चेतना, टिकाऊ जीवनशैली और प्रकृति के साथ समरसता का भी संदेश दिया जा रहा है. 

उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजनों से स्वस्थ जीवनशैली और मानव कल्याण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और असहिष्णुता जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए साझा कार्रवाई का रास्ता भी स्पष्ट होता है. 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘योग फ़ॉर क्लाइमेट एक्शन’ यानि ‘जलवायु कार्रवाई के लिए योग’ है.

यह पांचवी बार है जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है.

योग शब्द का उद्भव संस्कृत भाषा से हुआ है और इसका अर्थ जुड़ना है – यह शरीर और चेतना के मिलाप का प्रतीक है. 

योग को महज़ एक शारीरिक गतिविधि के रूप में नहीं देखा जाता है. माना जाता है कि यह शरीर, विचार और भावनाओं का यह एक ऐसा जुड़ाव है जिससे दीर्घकालीन और बेहतर स्वास्थ्य का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यूएन मुख्यालय में आयोजित योग सत्र (फ़ाइल).
UN Photo/JC McIlwaine
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर यूएन मुख्यालय में आयोजित योग सत्र (फ़ाइल).

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का सदस्य देशों से आग्रह रहा है कि लोगों को शारीरिक शिथिलता कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. शारीरिक शिथिलता दुनिया भर में होने वाली मौतों के दस प्रमुख कारणों में शामिल है और ग़ैर-संचारी बीमारियों जैसे हृदयरोग, कैंसर और मधुमेह (डायबिटीज़) के लिए भी ज़िम्मेदार है. 

किफ़ायती रूप से स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराना ज़रूरी है लेकिन स्वस्थ जीवनशैली से होने वाले लाभ के प्रति जागरूकता का प्रसार करना भी उतना ही ज़रूरी है. 

योग की अंतरराष्ट्रीय अपील और महत्व को पहचानते हुए 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने 69वें सत्र के दौरान प्रस्ताव 69/131 के तहत हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इस प्रस्ताव को भारत ने पेश किया था जिसे 175 सदस्य देशों से समर्थन मिला जो एक रिकॉर्ड है. 

इस प्रस्ताव में वैश्विक स्वास्थ्य को दीर्घकालीन विकास के लिए अहम माना गया है और उसे सुनिश्चित करने के सर्वश्रेष्ठ तरीक़ों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया गया है. साथ ही माना गया है कि विश्व में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की प्रक्रिया में योग के प्रति जागरूकता का प्रसार भी किया जाना होगा. 

इसके ज़रिए स्वस्थ जीवन और मानव कल्याण को सुनिश्चित करना उद्देश्य है जिन्हें टिकाऊ विकास लक्ष्यों के 2030 एजेंडा में भी जगह दी गई है.

इस दिवस के अंतर्गत होने वाले कार्यक्रमों के तहत गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग गुरुओं के साथ एक योग सत्र का आयोजन हुआ और अन्य कार्यक्रम भी पेश किए गए. 21 जून को जलवायु कार्रवाई में योग की भूमिका पर एक पैनल में विचार विमर्श होगा.