एक नर्स की ज़ुबाँ से: बचाव पोशाकों व उपकरणों पर निर्भर है उनकी ‘क़िस्मत’

इटली में विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के संक्रमितों की देखभाल में जुटी एक 24 वर्षीय नर्स ने बयान किया है कि संक्रमण से बचाव और उनकी क़िस्मत इस पर निर्भर करती है कि ख़ुद के बचाव के लिए पहनी जाने वाली पोशाकें और अन्य बचाव उपकरण उन्होंने कितने अच्छे ढंग से पहने हैं.
लॉरा लुपी इटली के अबरुज्ज़ो क्षेत्र में स्थित तेरामो के एक अस्पताल में कार्यरत हैं जहां वह कोविड-19 से संक्रमित मरीज़ों की देखभाल में जुटी हैं.
6 अप्रैल तक इटली में कोरोनावायर संक्रमण से 16 हज़ार से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं जो अभी तक किसी अन्य देश की तुलना में सबसे बड़ा आंकड़ा है.
7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर इस महामारी से निपटने में नर्सों के अहम योगदान को ही रेखांकित किया गया है.
लॉरा लुपी ऐसी अनेक नर्सों में से एक चेहरा हैं जो कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में अग्रिम मोर्चे पर जुटे हैं.
उन्होंने बताया कि वह बीमारों की मदद करने के लिए अपने स्वास्थ्य और जीवन को जोखिम में क्यों डाल रही हैं.
“अपनी पाली (shift) की शुरुआत में हम अपने बचाव उपकरणों को किस तरह पहनते हैं, उसी से हमारी नियति तय होती है.
मरीज़ो के पास जाने से पहले बचाव पोशाकों को पहनने में क़रीब 20 मिनट का समय लगता है. संक्रमण से बचाव के लिए इन पोशाकों को पहनना ज़रूरी है.
लॉरा लुपी ने बताया कि संक्रामक बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों की वह पहले भी देखभाल कर चुकी हैं लेकिन यह वायरस अलग है क्योंकि इसके बारे में अभी ज़्यादा जानकारी नहीं है.
मैंने एक साल पहले ही नर्सिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी और जनरल सर्जरी के अलावा एक अन्य विभाग में काम किया.
लेकिन कोई भी अनुभव मुझे इस पेशेवर और भावनात्मक चुनौती के लिए तैयार नहीं कर सकता था जिसका सामना मैं अब कर रही हूं.
मैं 38 मरीज़ों की देखभाल में जुटी हूँ और सात या दस घंटे की शिफ़्ट करती हूं. मैं इस दौरान कुछ खा-पी नहीं सकती; एक बार पहन लेने के बाद हम अपने बचाव उपकरणों को नहीं उतार सकते.
कई बार सॉंस लेना कठिन हो जाता है और मैं अगर खिड़की खोलती भी हूँ तो मुझे ताज़ा हवा का एहसास नहीं हो पाता.
शायद सबसे चुनौतीपूर्ण बात यह है कि हमें अपने मरीज़ों से एक दूरी बनाकर रखनी है और यह इसलिए भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि हम पूरी तरह से ढंके हुए हैं.
मानवीय जुड़ाव की वह भावना नदारद है जबकि असल में मुझे उन्हीं कुछ एहसासों के कारण इस पेशे से लगाव हुआ था.
कोविड-19 के दौरान अस्पताल में पहले दिन, मैंने एक कमरे में प्रवेश किया जहां एक मरीज़ रो रहा था. जब मैंने पूछा कि कि क्या हुआ तो उसने बताया कि उनकी सास की मौत हो गई थी और उन्हें अपनी पत्नी को सांत्वना ना दे पाने का खेद था.
”We’ve always known that our job, as #nurses, carries some risk with it. The only thing we ask you is to stay at home for us. We will stay at work for you,” says #nurse Laura Lupi, fighting #COVID19 in Italy.#SupportNursesAndMidwivesLaura's story ➡️ https://t.co/CE78z4anb6 pic.twitter.com/3xi1YjaJGE
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उनके दर्द को कम करने के लिए मैंने अपना हाथ उनकी छाती पर रखा. मैं बस इतना ही कर पाई लेकिन वो मेरा चेहरा भी नहीं देख पाए.
वो पहला दिन असल में कई मायनों में चुनौतीपूर्ण था लेकिन मैंने अपना काम किसी तरह पूरा कर लिया.
घर लौटने पर मैं शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह थक चुकी थी. मैं सिर्फ़ अपनी मॉं से गले लगना चाहती थी लेकिन वह संभव नहीं था.
शुरुआत में, मुझे हिम्मत हारने जैसे एहसास से लड़ना पड़ा लेकिन मैं अपनी अन्य नर्स सहकर्मियों के साथ ऐसा नहीं कर सकती.
मुझे अपना काम करना है और मुझे मालूम है कि मैं अपने मरीज़ों के जीवन में बदलाव ला सकती हूं. मेरे काम में बड़ा बदलाव आया है, लेकिन अपना बाक़ी समय गुज़ारने का तरीक़ा भी बदला है.
मैं अपने माता-पिता और भाई के साथ रहती हूं, लेकिन ये नई ज़िम्मेदारी संभालने के बाद मैंने उनके साथ समय नहीं व्यतीत किया है. मैं उन्हें संक्रमित करने का ख़तरा मोल नहीं ले सकती; हम मेज़ पर एक साथ रात का भोजन नहीं कर सकते.
अतीत में, मैं अपने दिन भर के काम में सोचना पसंद करती थी, यह सोचकर कि चुनौतीपूर्ण लम्हे आगे बढ़ने के अवसर हो सकते हैं.
अब मुझे हर समय दूसरों को संक्रमित करने का डर बना रहता है और अपनी शिफ़्ट के बाद मैं काम के बारे में ना सोचने की ही कोशिश करती हूं. इसके बजाय, मैं अपना ध्यान बंटाने का प्रयास करती हूँ ताकि संक्रमित हो जाने या अपने प्रियजनों को संक्रमित करने के बारे में सोचने से बच सकूँ.
हमने हमेशा जाना है कि एक नर्स के तौर पर हमारी आजीविका में कुछ जोखिम ज़रूर है. इस मर्तबा अंतर यह है कि अन्य लोग भी इस बात को जानते हैं. हर एक से एकजुटता का प्रदर्शन होने पर मुझे सम्मानित महसूस होता है.
यह पढ़ना सुखद अनुभूति है कि लोग हमारी भूमिका को पहचान दे रहे हैं – वे वास्तव में हमें और हमारे काम को देखते हैं.
आने वाले दिनों में, मुझे मरीज़ों के ठीक होने और अस्पताल से छुट्टी मिलने की आशा है. मैं जानती हूँ कि हम इस वायरस को हरा सकते हैं; हम साथ मिलकर इससे लड़ सकते हैं.
मैं अस्पताल से छुट्टी मिलने वाले मरीज़ों की बात सुनना चाहती हूं: ‘मैं कोविड-19 से जीवित बच गया हूँ.’
यही बात मुझे प्रोत्साहित करती है और आगे बढ़ाती है. मानवीय रूप से जो भी संभव है, हम इन हालात से उबरने के लिए वो करते रहेंगे और हम सफल होंगे. हमें होना ही है. हम नर्सों को कमतर मत आँकिए.
हम आपको बस इतना ही कहना चाहेंगे: हमारे लिए आप अपने घर तक ही सीमित रहिए. हम आपके लिए काम पर रहेंगे.”