प्रगति के लिए ‘दासता की नस्लीय विरासत से टक्कर ज़रूरी’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को ‘दासता और पराअटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्मरण दिवस’ पर अपने संदेश में नस्लीय तंत्रों और संस्थाओं को तोड़ने का आहवान किया है ताकि दुनिया की प्रगति का रास्ता सुनिश्चित किया जा सके.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि नस्लवाद ही वह कारण था जिसके कारण अफ़्रीका के बाहर, अफ़्रीकी मूल के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, न्याय और अन्य सभी प्रकार के अवसरों के लिए क़तार में सबसे आख़िर में जगह मिलने का माहौल रहा है.
The transatlantic slave trade is one of the biggest crimes in the history of humankind.And we continue to live in its shadow.We can only move forward by confronting the racist legacy of slavery together.https://t.co/xkUVH9zdoe
antonioguterres
“नस्लवाद और नस्लीय बर्ताव के सभी रूपों के ख़िलाफ़ हमें अपनी आवाज़ बुलन्द करने की ज़रूरत है. हमें तात्कालिक रूप से नस्लवादी तंत्रों को तोड़ने और नस्ली संस्थाओं में सुधार लाने की ज़रूरत है. हम आगे तभी बढ़ सकते हैं जब दासता की नस्लीय विरासत का सीधे तौर पर सामना करें.”
अंतरराष्ट्रीय स्मरण दिवस पर उन लाखों-करोड़ों अफ़्रीकी मूल के लोगों को श्रृद्धांजलि दी जाती है जिन्हें अपने घरों और भूमि से दूर जाने के लिए मजबूर किया गया. वर्ष 1501 में शुरू हुई यह प्रक्रिया अगले 400 वर्षों तक चली.
इस वर्ष स्मरण दिवस की थीम नस्लवाद पर केंद्रित है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने सभी देशों से नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेने का आहवान किया है.
“दासता ने बहुत सी ज़िंदगियों का अंत किया और भावी पीढ़ियों का भविष्य चुरा लिया. दासता के शिकार हुए लोगों के वंशज आज भी सामाजिक और आर्थिक असमानता, पूर्वाग्रह, असहिष्णुता, नस्लवाद और भेदभाव झेलने को मजबूर हैं.”
संयुक्त राष्ट्र महासभा सभी 193 सदस्य देशों को एक मंच पर लाती है.
महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने अनुरोध किया कि अफ़्रीकी मूल के लोगों के योगदान को पहचाना जाना चाहिए.
उन्होंने आधुनिक काल में दासता के अंत के लिए कार्रवाई की पुकार लगाई. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में चार करोड़ लोग दासता के नए रूपों से पीड़ित हैं जिनमें अधिकांश महिलाएं व बच्चे हैं.
“तस्करी, जबरन मज़दूरी, पराधीनता और दासता को उखाड़ फेंकने का दायित्व हर एक सदस्य देश का है. हम में से किसी को भी तब तक वास्तव में आज़ादी नहीं मिल सकती जब तक इन लोगों की पीड़ा जारी रहेगी.”
“हम अन्याय को किसी भी तरह से अनदेखा नहीं कर सकते. यह हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम मानवाधिकारों को हर एक के लिए हर जगह क़ायम रखें.”
‘दासता और पराअटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्मरण दिवस’ वर्ष 2007 से हर साल 25 मार्च को मनाया जाता रहा है.
हर वर्ष न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में स्मृति समारोह, प्रदर्शनियाँ और अन्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं लेकिन इस वर्ष विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने इस आयोजन को स्थगित करने पर खेद जताते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी यह बात मज़बूती से ध्यान दिलाती है कि हमारा फ़र्ज़ दूसरों के अनुभवों को समझने के लिए अपने दिलो-दिमाग़ को खुला रखना है.