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दासता

अमेरिका के मिशिगन प्रान्त के डेट्रॉयट शहर में भूमिगत रेलमार्ग पर अन्तरराष्ट्रीय स्मारक. यह 2001 में समर्पित किया गया.
UN News/Matthew Wells

न्यूयॉर्क: भूमिगत रेलमार्ग - स्वतंत्रता की ओर ले जाने वाला एक रास्ता

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के न्यूयॉर्क प्रान्त में स्थित नियाग्रा जल प्रपात, दासता और भेदभाव के विरुद्ध अफ़्रीकी अमेरिकी प्रतिरोध के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहाँ स्थित एक भूमिगत रेलमार्ग गुप्त रास्तों और सुरक्षित घरों का एक ऐसा नैटवर्क था, जिनके ज़रिए दासता के शिकार अफ़्रीकी अमेरिकी लोगों को स्वतंत्र राज्यों व कैनेडा की ओर बचकर भागने में मदद मिली थी. इस वीडियो फ़ीचर के मुख्य किरदार शिक्षक, लेखक और मानवाधिकार अधिवक्ता सलादीन अल्लाह हैं, जो भूमिगत रेलमार्ग के अग्रदूत, जोसियाह हेन्सन के वंशज हैं... 

तंज़ानिया के ज़जीबार में दास प्रथा के पीड़ितों के स्मरण में एक स्मारक.
UN/Israa Hamad

नस्लवाद के विरुद्ध लड़ाई में, दासता के 'भयावह अतीत' को समझा जाना ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि नस्लवाद की क्रूरतापूर्ण विरासत के विरुद्ध लड़ाई में, शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है. यूएन प्रमुख ने हर वर्ष, 25 मार्च को मनाए जाने वाले ‘पार-अटलांटिक दास व्यापार और उसके पीड़ितों स्मरण में अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के सिलसिले में यूएन महासभा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही है.

न्यूयॉर्क में एक प्रदर्शनी में उन बेड़ियों को दर्शाया गया है, जिनका इस्तेमाल दासोंं को बांधने के लिए किया जाता था. (फ़ाइल)
UN Photo/Mark Garten

दासता की विरासत, नस्लवाद से शिक्षा के ज़रिये लड़ने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘पार-अटलांटिक दास व्यापार और उसके पीड़ितों स्मरण में अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर जारी अपने सन्देश में उन लाखों अफ़्रीकियों के लिए गरिमा बहाल किए जाने का आग्रह किया है, जिन्हें निर्दयतापूर्वक, दास के तौर पर बेचकर इससे वंचित कर दिया गया था. यूएन प्रमुख ने कहा है कि दासता की दुखद विरासत और मौजूदा नस्लवाद के विरुद्ध लड़ाई में शिक्षा एक अहम भूमिका निभा सकती है.

"ट्रोन्को" से व्यक्तियों को ग़ुलामों के रूप में नियंत्रित किया जाता था.
UN News/Eileen Travers

'डच औपनिवेशिक दासता की दस सच्ची कहानियाँ' प्रदर्शनी

"दासता: डच औपनिवेशिक दासता की दस सच्ची कहानियाँ" नामक एक प्रदर्शनी, यूएन मुख्यालय में 23 फ़रवरी 2023 को शुरू हुई है, जोकि ऐसे 10 लोगों की कहानियाँ प्रदर्शित करती है जो ग़ुलाम थे, उन लोगों की कहानियाँ जो ग़ुलामी की व्यवस्था से लाभान्वित हुए, और उनकी कहानियाँ जिन्होंने इस प्रथा के ख़िलाफ़ आवाज उठाई. एक महीने तक चलने वाली ये प्रदर्शनी, 17वीं से 19वीं सदी तक ब्राज़ील, सूरीनाम और कैरीबियाई के साथ-साथ दक्षिण अफ़्रीका, एशिया और नैदरलैंड्स में डच औपनिवेशिक युग में दासता पर केन्द्रित है. (वीडियो फ़ीचर)

लंदन में ब्लैक लाइव्स मैटर के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन. (फ़ाइल)
© Unsplash/James Eades

ब्रिटेन: आपराधिक न्याय प्रणाली में 'व्यवस्थागत नस्लवाद, एक गम्भीर चिन्ता'

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ब्रिटेन में व्यवस्थागत, संस्थागत और ढाँचागत नस्लवाद पर चिन्ता जताते हुए आगाह किया है कि देश में अफ़्रीकी मूल के लोगों को अब भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है, और उनके बुनियादी अधिकारों का क्षरण हो रहा है.

बुर्कीना फ़ासो में, बच्चों को बदतरीन मज़दूरी करनी पड़ती है जोकि दासता का एक रूप माना जा सकता है.
© UNICEF/Christine Nesbitt

‘ग़ुलामी की छाप के घाव आज भी समाज पर स्पष्ट, प्रगति में भी बाधा’

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि महाद्वीप-पर दास व्यापार की छाप आज तक गूंज रही है, और साथ ही आधुनिक दौर की दासता भी बढ़ रही है.

तख़्ती लिये हुए एक व्यक्ति, जिस पर लिखा है - दासता अब भी मौजूद है.
© Unsplash/Hermes Rivera

पार-अटलाण्टिक दास व्यापार, इतिहास का ‘काला अध्याय’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार, 25 मार्च को, ‘दासता एवं पार-अटलाण्टिक दास व्यापार के पीड़ितों के स्मरण के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ नस्लवाद के विरुद्ध एकजुट होकर खड़े होने और गरिमा व समानता के आधार पर समाज निर्माण का आहवान किया है. यूएन प्रमुख ने पार-अटलाण्टिक दास व्यापार को इतिहास का एक बहुत काला अध्याय क़रार देते हुए मानवता के विरुद्ध एक स्पष्ट अपराध बताया है. 

फ्रांस के उत्तरी हिस्से में स्थित एक प्रवासी शिविर में एक लड़का.
UNICEF/Geai

ब्रिटेन: 'राष्ट्रीयता और सीमाएँ विधेयक' से 'अधिकार उल्लंघन के गम्भीर जोखिम'

संयुक्त राष्ट्र के पाँच स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन में सांसद, जिस नए “राष्ट्रीयता व सीमाएँ विधेयक” (Nationality and Borders Bill) पर संसद में चर्चा कर रहे हैं उससे भेदभाव और मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन का ख़तरा बढ़ेगा, और ये विधेयक दरअसल अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत देश की ज़िम्मेदारियों का उल्लंघन भी करता है.

ब्रिटेन में ब्लैक लाइव्स मैटर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी.
Unsplash/Arthur Edelmans

डरबन+20 का झरोखा

संयुक्त राष्ट्र महासभा, ऐतिहासिक डरबन सम्मेलन की 20वीं वर्षगाँठ के अवसर पर, बुधवार, 22 सितम्बर को एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन कर रही है. इस बैठक की थीम “मुआवज़ा, नस्लीय न्याय और अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिये समानता” रखी गई है. एक नज़र ‘डरबन घोषणापत्र और कार्रवाई कार्यक्रम’ की पृष्ठभूमि पर... (वीडियो फ़ीचर)

पहली बार, 31 अगस्त 2021 को, अफ़्रीकी मूल के लोगों का अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया है.
PAHO

अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिये, पहला यूएन अन्तरराष्ट्रीय दिवस

संयुक्त राष्ट्र ने, जीवन व मानवता के क्षेत्र में, अफ़्रीकी मूल के लोगों द्वारा किये गए असीम योगदान को पहचान देने के लिये, मंगलवार, 31 अगस्त को, अफ़्रीकी मूल के लोगों का पहला अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया है.