10 नई प्रवासी प्रजातियों को वन्यजीव समझौते के तहत मिलेगा संरक्षण

प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर संधि (सीएमएस) के 13वें सम्मेलन, कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ यानी कॉप-13 के समापन पर 10 प्रवासी प्रजातियों को वैश्विक वन्यजीव समझौते में शामिल करने की घोषणा की गई है जिससे उनके संरक्षण के प्रयासों को मज़बूती मिलेगी. इन प्रजातियों में एशियन एलिफ़ेंट, जैगुआर और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सहित अन्य प्रजातियां शामिल हैं.
15 फ़रवरी से 22 फ़रवरी तक चलने वाला कॉप-13 सम्मेलन भारत के गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर में आयोजित हुआ. सम्मेलन के अंतिम दिन जारी ‘गांधीनगर घोषणापत्र’ में नई वैश्विक जैवविविधता रणनीति के लिए प्रवासी प्रजातियों की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
⚡️PRESS RELEASE: #CMSCOP13 Concludes in #India With Major New Actions for #MigratorySpecies - Ten Migratory Species Added to Global Wildlife Agreement including the Asian #Elephant 🐘, Jaguar🐯and Great Indian Bustard 👉https://t.co/Mw1AC8l2Pa pic.twitter.com/pKoCPdJqbn
BonnConvention
सीएमएस की कार्यकारी सचिव एमी फ़्रैन्केल ने इस अवसर पर कहा कि, “कॉप-13 के साथ विश्व भर में प्रकृति की सुरक्षा के लिए सीएमएस की भूमिका को मज़बूती से अपनाया गया है. प्रवासी प्रजातियों और उनके पर्यावासों के संरक्षण और प्रजातियों व जैवविविधता खोने के रुझानों को पलटने में योगदान देने में सीएमएस की अनूठी भूमिका है.”
प्रवासी प्रजातियों से मानवता अनेक प्रकार से लाभान्वित होती है. उदाहरणस्वरूप, प्रवासी जीव परागण और बीजों के बिखराव से पर्यटन क्षेत्र तक उनके कई फ़ायदे हैं.
लेकिन मौजूदा समय में दुनिया भर की लगभग दस लाख प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं.
गर्म होती धरती और चरम मौसम की घटनाएँ बढ़ने से प्रवासी जीवों और उनके फलने-फूलने के लिए अहम पारिस्थितिकी तंत्रों पर भारी असर हो रहा है.
पारिस्थितिकीय तंत्रों के आपसी संबंध को बनाए रखना और उन्हें फिर बहाल करना सीएमएस की सर्वोच्च प्राथमिकता है – विशेषकर प्रवासी प्रजातियों उनके पर्यावास के प्रबंधन में. यही आयाम गांधीनगर घोषणापत्र में मज़बूती से दर्शाया गया है जिस पर 130 देशों ने मुहर लगाई है.
इस घोषणापत्र में प्रवासी प्रजातोयं और पारिस्थितिकीय तंत्रों के आपसी संबंध को ‘पोस्ट-2020 ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ़्रेमवर्क’ में एकीकृत करने और प्राथमिकता देने की पुकार लगाई गई है. इस फ़्रेमवर्क के अक्टूबर 2020 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन में पारित होने की उम्मीद है.
इस सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों की स्थिति पर पहली “Status of Migratory Species” रिपोर्ट को जारी किया गया. रिपोर्ट दर्शाती है कि सीएमएस संधि में शामिल अधिकांश प्रजातियों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है जिनके कारणों को समझने और हर प्रजाति के सामने मौजूद विशिष्ट ख़तरों की शिनाख़्त को अहम माना गया है.
इस बार आयोजन की थीम (Migratory species connect the planet and together we welcome them home) में पृथ्वी को जोड़ कर रखने में इन प्रजातियों की भूमिका और उनका अपने घरों में स्वागत करना थी.
कॉप-13 के मेज़बान देश के रूप में कॉप की अध्यक्षता अगले तीन सालों के लिए भारत के पास रहेगी.