भूमिबद्ध देशों में ग़रीबी दूर करने के लिए साझेदारी हो

भूमिबद्ध यानी चारों ओर भूमि से घिरे देशों की गिनती विश्व के निर्धनतम देशों में होती है और उन्हें आर्थिक विकास की प्रक्रिया में बहुत से अवरोधों का सामना करना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि असरदार साझेदारियों के ज़रिए इन देशों को ग़रीबी से उबारा जा सकता है.
चारों ओर भूमि से घिरे देश कई चुनौतियों से भी घिरे होते है. वहां परिवहन सेवाओं और संपर्क मार्गों का अभाव होता है; सड़क, रेलसेवा और इंटरनेट जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आधारभूत ढांचा नहीं होता और वैश्विक व क्षेत्रीय बाज़ारों तक पहुंच संभव नहीं होती है.
अफ़ग़ानिस्तान, बुर्किना फ़ासो, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, मलावी, माली, दक्षिण सूडान, यूगांडा, बुरुंडी, चाड और बोत्सवाना ऐसे ही कुछ देशों के उदाहरण हैं.
भूमिबद्ध देशों के लिए 10-वर्षीय ‘विएना प्रोग्रैम ऑफ़ एक्शन’ की मध्यावधि समीक्षा को एक ऐसा अवसर बताया गया है जिसका इस्तेमाल इन देशों की मदद के लिए संकल्पों में नई ऊर्जा भरने और आर्थिक विकास की गाड़ी आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.
यूएन महासचिव ने कहा है कि इस नज़रिए से इन देशों में आपसी सहयोग बेहद अहम है. “हमें सही नीतियों का मिश्रण चाहिए; ज़्यादा निवेश, पारगमन के लिए विश्वसनीय ढांचा, दक्ष कस्टम प्रक्रिया, तकनीक तक पहुंच और उसका बेहतर इस्तेमाल.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी क्षेत्रों को विकसित करने, व्यावसायिक वातावरण को सुधारने और सांख्यिकी प्रणालियों को मज़बूत बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगे आना चाहिए क्योंकि आंकड़ों के ज़रिए ही प्रभावी नीतियाँ तैयार की जा सकती हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा कि कुछ विषयों में आगे बढ़ना संभव हुआ है और कई देशों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अब पहले से बेहतर है; साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, लैंगिक समानता, और सूचना व संचार तकनीकों जैसे विषयों में संकेतकों में सुधार आया है.
परिवहन क्षेत्र में भी स्थिति बेहतर हुई है और आर्थिक व पारगमन के लिए कॉरिडोर बनाया जा रहा है. आर्थिक क्षेत्र में बढ़ते रिश्तों व संपर्कों के रूप में ‘African Continental Free Trade Agreement’ और ‘World Trade Organization Trade Facilitation Agreement’ का नाम दिया गया है जिससे भूमिबद्ध देशों की बाहरी बाज़ारों और वैश्विक वैल्यू चेन से जुड़ने के अवसरों तक पहुंच संभव हो रही है.
वर्ष 2014 में विएना कार्यक्रम को अपनाए जाने के बाद से ही, भूमिबद्ध देशों को सरकारों से मिलने वाली विकास सहायता राशि भी बढ़ी है. इसके अलावा विकासशील देशों के बीच व्यापार और सहयोग के लिए सहायता का स्तर बढ़ा है.
लेकिन महासचिव गुटेरेश ने सचेत किया कि भूमिबद्ध देशों में निराशाजनक तस्वीर को अगर बदलना है तो फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई का दायरा और स्तर बढ़ाना होगा.
यूएन प्रमुख के मुताबिक़ ऐतिहासिक अन्यायों की परछाई में ये देश अब भी संघर्ष करने के लिए मजबूर हैं.
भूमिबद्ध देशों में आर्थिक वृद्धि की दर में पिछले पांच सालों में गिरावट दर्द की गई है, एक तिहाई जनसंख्या चरम ग़रीबी में रहने के लिए मजबूर है, और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास सूचकांक में ऐसे देशों की औसत रैंकिंग विश्व औसत से 20 फ़ीसदी पीछे है.
चारों ओर भूमि से घिरे देशों में अल्पपोषण वर्ष 2016 में 23 फ़ीसदी तक पहुंच गया जबकि खाद्य असुरक्षा से 51 प्रतिशत आबादी त्रस्त है.
यह एक ऐसी समस्या है जो जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में और ज़्यादा व्यापक रूप धारण कर सकती है. साथ ही इन देशों में 40 प्रतिशत लोगों को बिजली की सुविधा नहीं है.
विएना प्रोग्राम की मध्यावधि समीक्षा के दौरान एक राजनैतिक घोषणा पारित की जानी है. यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने इसे बहुपक्षवाद की सफलता का परिचायक बताया है.
उनके मुताबिक़ यह एक ऐसा रोडमैप मुहैया कराता है जिसके ज़रिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों, विशेषकर ग़रीबी उन्मूलन के लक्ष्य की दिशा में प्रगति कर पाना संभव है.
भूमिबद्ध देशों की सहायता के लिए जो क़दम अहम बताए गए हैं उनमें अवैध वित्तीय लेनदेन को रोकने में डिजिटल तकनीक का सहारा लेना, सूक्षम, लघु और मध्यम आकार वाले उद्यमों को मज़बूत बनाना; आर्थिक शासन व व्यापार नियामन को बेहतर बनाना और परिवहन सहित बुनियादी ढांचे को विकसित करने में ज़रूरी सहयोग प्रदान करना प्रमुख हैं.