युवाओं का सम्मेलन: वयस्कों पर दबाव डालने का मंच
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की युवा मामलों पर विशेष दूत जयथमा विक्रमानायके ने कहा है कि ये बहुत अहम है कि दुनिया की लगभग एक अरब 80 करोड़ की युवा आबादी को जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई और अंततः पृथ्वी ग्रह का भविष्य तय करने में निर्णायक भूमिका मिले.
दुनिया भर से आए युवा कार्यकर्ताओं, अभिनव अन्वेशकों, उद्यमियों और परिवर्तन लाने वालों ने 21 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में युवा जलवायु सम्मेलन में शिरकत की. इस जमावड़े का मक़सद विश्व नेताओं पर जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए ठोस कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाना था.
यूएन समाचार ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की युवा दूत जयथमा विक्रमानायके से पूछा कि जलवायु कार्रवाई चर्चा के लिए युवाओं की भूमिका इतनी अहम क्यों है.
पूरी दुनिया में इस समय युवाओं की आबादी लगभग एक अरब 80 करोड़ है, ये अभी तक के इतिहास में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या है. इसलिए ये बहुत अहम है कि पृथ्वी के भविष्य के लिए उनकी आवाज़ को जगह मिले.
जलवायु कार्रवाई के लिए स्कूल हड़ताल स्वीडन मूल की किशोरी कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के नेतृत्व में उनके गृहनगर स्टॉकहोम से शुरू हुई. उनसे प्रेरित होकर इस तरह की हड़तालें विश्व के अन्य स्थानों पर भी हुईं.
इन हड़तालों ने दिखाया है कि आज की युवा पीढ़ी जलवायु पर कार्रवाई की माँग कर रही है नीति-निर्माण व निर्णय प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका चाहती है. इस माँग की पूर्ति के लिए कार्रवाई करने का समय अभी बिल्कुल सही है.
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुए इस युवा जलवायु सम्मेलन में विश्व भर से युवा कार्यकर्ताओं ने शिरकत की. 1000 से ज़्यादा युवाओं ने ख़ुद इस सम्मेलन में भाग लिया और दुनिया भर में भारी संख्या में युवा ऑनलाइन के ज़रिए इस सम्मेलन का हिस्सा बने.
क्या इससे ये मतलब निकाला जाए कि जो वयस्क लोग सत्ता में हैं, वो समुचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं?
ये तो स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का सामना करने के लिए सभी लोगों को एकजुट होना होगा - युवाओं और वयस्क व बुजुर्गों, समृद्ध व वंचितों, विकसित व विकासशील देशों सभी से. युवा नीति-निर्माण और निर्णय प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी चाहते हैं जोकि उन्हें मिलनी भी चाहिए. और स्कूल हड़ताल का फ़ैसला बी उनकी इसी इच्छा से पनपा कि विश्व नेताओं को कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया जाए. 2030 का टिकाऊ विकास एजेंडा भी कहता है कि युवा पीढ़ी टिकाऊ विकास के लिए मशाल धारक हैं, यही पीढ़ी विचारक, कर्ता और अन्वेशक हैं जो इस एजेंडा को अमल में ला सकती है. भविष्य में उनकी भागीदारी है क्योंकि उन्हें यही गृह मिलने वाला है. जलवायु परिवर्तन का सबसे ज़्यादा असर भी उन्हीं पर पड़ने वाला है.
आपकी नज़र में इस युवा सम्मेलन से क्या लाभ होगा?
ये सम्मेलन युवा लीडर्स और युवाओं के नेतृत्व वाले संगठनों के लिए मंच का काम करेगा जिसके ज़रिए वो जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार धीमी करने के लिए उठाए जा रहे क़दमों के बारे में जानकारी साझा करने का मौक़ा मिलेगा. इनमें तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य शामिल है. मई में मैंने युवाओं को रचनात्कम और अभिनव टैक्नोलॉजी आधारित जलवायु समाधान तलाश करने की एक प्रतियोगिता शुरू की थी. इसमें एक ऐसा मंच बनाना भी शामिल था जिसके ज़रिए स्थानीय जललायु व बाज़ार के बारे में जानकारी मिल सके और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिल सके. ये एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य कूड़े-कचरे को ख़त्म करके संसाधनों के फिर से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है. सर्वश्रेष्ठ समाधान 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा बुलाए गए जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में प्रस्तुत किए जाएंगे.