जलवायु सर्वेक्षण: जलवायु परिवर्तन है 'वैश्विक आपात स्थिति'

जलवायु परिवर्तन पर कराये गए एक सर्वेक्षण में शामिल 12 लाख में से दो-तिहाई लोगों का मानना है कि जलवायु संकट से वैश्विक स्तर पर आपात हालात पैदा हो गये है जिससे निपटने के लिये तात्कालिक क़दम उठाये जाने की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा कराये गए इस सर्वेक्षण को जलवायु परिवर्तन पर अब तक का सबसे बड़ा सर्वे (People’s Climate Vote) माना जा रहा है जिसे विश्व की आधी से ज़्यादा आबादी वाले 50 देशों में कराया गया.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के प्रशासक एखिम श्टाइनर ने कहा, “सर्वेक्षण के परिणाम स्पष्टता से दर्शाते हैं कि तात्कालिक जलवायु कार्रवाई के लिये दुनिया भर के लोगों में व्यापक समर्थन है. और यह राष्ट्रीयता, आयु, लिंग और शिक्षा स्तर से परे है.”
सर्वे में इस बात पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है कि जनता अपने नीतिनिर्धारकों को किस तरह से जलवायु संकट से निपटते हुए देखना चाहती है.
50 countries. 17 languages. 1.2 million people.The results are in of our #PeoplesClimateVote - the largest survey of public opinion on #ClimateChange ever conducted. Read more and explore the findings now: https://t.co/9s64aEletP#Mission1Point5 pic.twitter.com/TDkN7GcIz7
UNDP
“जलवायु-अनूकूल खेती से लेकर प्रकृति की रक्षा तक और कोविड-19 से हरित पुनर्बहाली तक, सर्वेक्षण लोगों की आवाज़ों को जलवायु चर्चा के अग्रिम मोर्चे पर लाता है.”
“यह इन्गित करता है कि किस तरह से देश जनता के समर्थन के साथ इस विकराल चुनौती का सामना करने के लिये साथ मिलकर काम कर सकते हैं.”
यूएनडीपी के मुताबित जलवायु परिवर्तन पर पहली बार इतने व्यापक पैमाने पर जनता की रायशुमारी की गई है.
संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन के नवम्बर में होने वाले 26वें सत्र (कॉप-26) के लिये तैयारियाँ चल रही हैं और उससे पहले सर्वे के नतीजों को पेश किया गया है.
सर्वेक्षण में प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या वे जलवायु परिवर्तन को वैश्विक आपात स्थिति मानते हैं.
साथ ही छह कार्रवाई क्षेत्रों में 18 अहम जलवायु नीतियों के प्रति उनके समर्थन को जानने का प्रयास किया गया: अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, परिवहन, भोजन एवँ खेत, प्रकृति, लोगो की रक्षा
सर्वेक्षण के लिये लक्षित 12 लाख लोगों में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग 18 वर्ष से कम उम्र के हैं, जिन्हें नियमित चुनावों में वोटिंग का आमतौर पर अधिकार नहीं है.
युवाओं की राय जानने व उन तक पहुँचने के लिये नवाचारी समाधानों, जैसेकि मोबाइल गेम के नैटवर्कों का सहारा लिया गया.
यूएन एजेंसी ने बताया कि ऑक्सफ़र्ड युनिवर्सिटी में विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर एकत्र किये गये नमूनों में यह सुनिश्चित किया गया कि सभी आयु, लिंग, और शिक्षा वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल सके.
सर्वे के नतीजों के मुताबिक लोगों ने मौजूदा हालात से परे जाकर व्यापक जलवायु नीतियों को अपनाये जाने का समर्थन किया है,
उदाहरणस्वरूप, सर्वे में शामिल और ऊर्जा क्षेत्र में सबसे ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार 10 में से आठ देशों में बहुमत ने नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन किया है.
भूमि के इस्तेमाल में बदलाव से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार शीर्ष पाँच में से चार देशों में अधिकाँश लोगों ने वनों और भूमि की संरक्षा पर ज़ोर दिया है.
सबसे ज़्यादा शहरी आबादी वाले 10 में से नौ देशों ने स्वच्छ ऊर्जा, बिजली चालित कारों, बसों या सायकिलों के इस्तेमाल का समर्थन किया है.
सर्वेक्षण में पाया गया है कि व्यक्ति की शिक्षा के स्तर और जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी आकाँक्षा के बीच सीधा सम्बन्ध है. सभी देशों में युनिवर्सिटी या कॉलेज जाने वाले छात्रों में जलवायु आपात हालत के प्रति समझ देखी गई.
निम्नतर आय वाले देशों जैसेकि भूटान (82 फ़ीसदी) और काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (82 फ़ीसदी) से लेकर साधन-सम्पन्न देशों जैसेकि फ़्राँस (87 प्रतिशत) और जापान (82 प्रतिशत).
नतीजे बताते हैं कि 18 वर्ष से कम आयु वाले युवा जलवायु आपात हालात को ज़्यादा मानते हैं, लेकिन अन्य आयु वर्ग भी पीछे नहीं हैं.
यूएनडीपी का कहना है कि यह दर्शाता है कि दुनिया भर में जलवायु आपात हालात की चुनौती को अब व्यापक स्तर पर समझा जाने लगा है.