साक्षरता दिवस: असरदार शिक्षा के लिए मन-मस्तिष्क को जोड़ना ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की अध्यक्ष ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरत दिवस पर अपने संदेश में कहा है कि असरदार शिक्षा विस्तार के लिए ज़रूरी है कि लोगों के मस्तिष्क और मन दोनों के साथ तालमेल बिठाया जाए. ये दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है.
ऑडरी अज़ौले ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर अपने संदेश में ध्यान दिलाया कि आज के दौर में विश्व भर में लगभग 7 हज़ार भाषाएँ बोली जाती हैं. उन्होंने उन भाषाओं को संचार, जीवन भर शिक्षा हासिल करने के प्रयासों, समाज में भागीदारी और कामकाज की दुनिया में एक उपरण की संज्ञा दी.
यूनेस्को अध्यक्ष ने कहा, "ये भाषाएँ विशिष्ट पहचानों, संस्कृतियों, वैश्विक परिप्रेक्ष्य और ज्ञान व्यवस्थाओं के साथ भी जुड़ी हुई हैं."
"इसलिए साक्षरता और शिक्षा में भाषाई विविधता को अपनाना समावेशी समाजों को विकसित करने के लिए भी बहुत अहम है ताकि विविधता और भिन्नता का सम्मान किया जा सके और मानव प्रतिष्ठा को भी बरक़रार रखा जा सके."
लोगों के बढ़ते आवागमन, तेज़ी से विकसित होते संचार माध्यमों, दैनिक जीवन में बहु-भाषा संस्कृति के बढ़ते चलन के कारण लोगों में बहुत मिलता-जुलता हो गया है. इस वातावरण को वैश्वीकरण और डिजिटलीकरण भी एक आकार दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद बहुत सी भाषाएँ लुप्त होने के ख़तरे में हैं क्योंकि नकारात्मक सोच और चलन से साक्षरता विकास पर नकारात्मक असर डालते हैं.
उनका कहना था, "किसी दूसरी विदेशी भाषा का ज्ञान हासिल करने से पहले मातृ भाषा में साक्षरता की बुनियाद तैयार करने के अनेक फ़ायदे हैं."
"हालाँकि अब दुनिया की लगभग 40 फ़ीसदी आबादी को उस भाषा में सीखने और शिक्षा हासिल करने की सुविधा नहीं है जो वो बोलती है या समझती है."
यूनेस्को अध्यक्ष ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस स्थिति को नीतियों और भाषा व संस्कृति संबंधि परंपराओं में परिवर्तन के ज़रिए बदलना होगा. साथ ही डिजिटल टैक्नोलॉजी की संभावनाओं को भी और ज़्यादा आसान बनाना होगा.
सुश्री अज़ौले का कहना था कि मस्तिष्क और मन के साथ तालमेल बिठाना प्रभावशाली शिक्षा के लिए बहुत अहम है. सात से भी ज़्यादा दशकों से यूनेस्को ने मातृ भाषा द्वारा समर्थित शिक्षा की हिमायत की है. साथ ही बहुभाषी शिक्षा और अंतर-सांस्कृतिक परंपराओं की समझ बढ़ाना भी बहुत ज़रूरी है.
साक्षरता को प्राथमिकता
2019 को देसी भाषाओं के वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है. इस वर्ष विशेष आवश्यकताओं वाली शिक्षा पर विश्व सम्मेलन की 25वीं वर्षगाँठ भी है. इसी सम्मेलन में समावेशी शिक्षा पर सलामान्का वक्तव्य स्वीकार किया गया था.
साक्षरता को सभी के शिक्षा के अधिकार के एक हिस्से के रूप में बढ़ावा देने के लिए विश्व साक्षरता दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस अभियान के तहत व्यक्तियों के सशक्तिकरण और समावेशी व टिकाऊ विकास की बुनियाद तैयार करने का भी लक्ष्य रहता है.
साक्षरता दिवस की मुख्य थीम है - साक्षरता और बहुभाषावाद. इसके तहत भाषा की बुनियादी अहमियत पर फिर से विचार करने का मौक़ा मिलता है, साथ ही व्यक्तियों और समाजों के लिए भाषा की विविधता की अहमियत भी उजागर होती है.